योनि डिलीवरी की संभावना कैसे बढ़ाएं?pregnancytips.in

Posted on Tue 11th Oct 2022 : 15:17

भगछेदन (एपिसियोटमी) क्या है?
मूलाधार (पेरिनियम) में शल्य चीरा लगाने को एपिसियोटमी कहा जाता है। पेरिनियम योनि और गुदा के बीच का मांसपेशीय क्षेत्र होता है।

एपियोटमी से शिशु को जन्म लेने में मदद मिलती है, क्योंकि इससे योनि का मुख चौड़ा हो जाता है और शिशु आसानी से बाहर निकल पाता है।

भगछेदन भारत में नॉर्मल डिलीवरी की प्रक्रिया का एक आम हिस्सा है। बहुत से देशों में डॉक्टरों ने एपिसियोटमी करना बंद कर दिया है, क्योंकि धीरे-धीरे इसके कई नुकसान सामने आए हैं।

यदि आपकी एपिसियोटमी नहीं होती है, तो भी जन्म के दौरान शिशु का सिर योनि से बाहर निकलते समय अक्सर पेरिनि​यम क्षेत्र अपने आप फट जाता है।
क्या एपिसियोटमी से कुछ नुकसान हो सकता है?
भारत में नॉर्मल डिलीवरी के अधिकांश मामलों में भगछेदन किया जाता है। हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं, जैसे कि:

एपिसियोटमी के बाद भी पेरिनियम क्षेत्र और ज्यादा फट सकता है। यदि ऐसा हो तो आपकी त्वचा में थर्ड या फोर्थ डिग्री टेयर हो सकता है। इतनी गहराई में फटने पर त्वचा को ठीक होने में ज्यादा समय लगता है और मल असंयमितता भी हो सकती है। मल असंयमितता का मतलब है कि प्रसव के बाद गैस या मलत्याग पर नियंत्रण रख पाने में मुश्किल होना।
डिलीवरी के दौरान आपका बहुत ज्यादा खून बह सकता है।
प्रसव से उबरने के दौरान आपको ज्यादा दर्द हो सकता है।
आपको बिना किसी असहजता के संभोग (सेक्स) करने के लिए ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है।
अगली डिलीवरी में आपके पेरिनियम क्षेत्र के फटने का खतरा ज्यादा होता है।
त्वचा के एक समान ढंग से ठीक न होने का खतरा रहता है।

इन सभी नुकसानों के बावजूद, भारत में डॉक्टरों का मानना है कि पेरिनियम क्षेत्र में शल्य चीरे में टांके लगाना अपने आप फटी त्वचा को सिलने की तुलना में ज्यादा आसान होता है, इसलिए वे आमतौर पर भगछेदन का विकल्प चुनते हैं।
मुझे एपिसियोटमी की जरुरत क्यों पड़ सकती है?
एपिसियोटमी करवाने के कुछ सबसे आम कारण निम्नलिखित हैं:

यह आपकी पहली नॉर्मल डिलीवरी है और आपके पेरिनियिम क्षेत्र में पहले कभी खिंचाव नहीं रहा।
आपके शिशु का जन्म जल्दी करवाने में मदद के लिए। यदि शिशु के बाहर निकलने के लिए पेरिनियम क्षेत्र में खिंचाव होने का इंतजार किया जाए, तो इसमें काफी समय लग सकता है। यदि आपकी डॉक्टर प्रसव की प्रक्रिया में तेजी लाना चाहती हैं, तो भगछेदन से मदद मिल सकती है। वे शायद ऐसा इसलिए करना चाहेंगी क्योंकि या तो आपका शिशु तनाव में हैं या फिर आप लंबे समय से जोर लगा रही हैं।
आपकी डॉक्टर को लगता है कि आपका पेरिनियम क्षेत्र बहुत ज्यादा फट सकता है। एपिसियोटमी में डॉक्टर गुदा से दूर एक स्पष्ट चीरा लगाती हैं, जिससे योनि और पेरिनियम क्षेत्र में गंभीर क्षति होने से बचाव हो जाता है।
उपकरणों की सहायता से प्रसव करवाने के लिए जगह बनाना। यदि डॉक्टर को शिशु को बाहर निकालने के लिए प्रसूति चिमटी (फॉरसेप्स) या वेंटूस की जरुरत पड़े तो वे इन उपकरणों को अंदर डालने के लिए चीरा लगाकर जगह बनाएंगी।

क्या ऐसे कुछ उपाय हैं जिनसे एपिसियोटमी की जरुरत न पड़े?
आप कुछ चीजें कर सकती हैं, जो पेरिनियम क्षेत्र को तैयार करती हैं और डिलीवरी के दौरान इसमें खिंचाव में मदद करती हैं। यदि आपका पेरिनियम क्षेत्र में अच्छी तरह खिंचाव होगा तो चीरा लगाने की जरुरत को कम किया जा सकता है। हो सकता है आपकी त्वचा फिर भी फट जाए, मगर पेरिनियम को खिंचाव के लिए तैयार करने से संभव है कि आपको कम संख्या में टांकें लगें।

यहां कुछ उपाय बताए गए हैं जो आप गर्भावस्था व प्रसव के दौरान आजमा सकती हैं। इनसे पेरिनियम क्षेत्र में ज्यादा खिंचाव होने में मदद मिलेगी। इन उपायों में शामिल है:

गर्भावस्था के दौरान पेरिनियम क्षेत्र की मालिश। इससे योनि के आसपास की श्रोणि मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है।
प्रसव के दौरान जोर लगाने वाले चरण में अच्छी श्वसन तकनीक अपनाना। इससे आपके शिशु को प्रसव नलिका से आराम से बाहर आने में मदद मिल सकती है। ऐसे में आपके पेरिनियम क्षेत्र को फैलने के लिए और समय मिलता है और त्वचा के ज्यादा गहराई से फटने की संभावना कम हो जाती है। आपकी डॉक्टर इसमें आपकी मदद करेंगी, क्योंकि हो सकता है कि शुरुआत में आपका जोर लगाने की इच्छा को रोकना पड़े।
प्रसव के दौरान सीधी अवस्था में होना। आपके शिशु का वजन और संकुचनों के दबाव की वजह से श्रोणि मंजिल में पहले ही खिंचाव होना शुरु हो सकता है। यदि आप सीधी नहीं बैठ सकतीं तो करवट लेकर लेट जाएं।

भगछेदन किस तरह किया जाता है?

डॉक्टर आपके शिशु के जन्म से ठीक पहले पेरिनियम क्षेत्र में कोने में एक चीरा लगाएंगी। इसे अंग्रेजी में मीडियोलेटरल चीरा कहा जाता है।

कई मामलों में चीरा लंबवत लगाया जाता है। इसे अंग्रेजी में मिडलाइन चीरा कहा जाता है।

भारत में ​मीडियोलेटरल चीरा अधिक आम है, खासतौर पर यदि आपकी उपकरणों (जैसे कि फॉरसेप्स) की सहायता से डिलीवरी हो रही हो तो। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टरों को लगता है कि मीडियोलेटरल एपिसियोटमी को मिडलाइन चीरे की तुलना में और ज्यादा फटने से रोका जा सकता है। यदि त्वचा और ज्यादा फट भी जाए तो भी यह चीरा गुदा तक नहीं पहुंचेगा।

हालांकि, मिडलाइन चीरे की तुलना में मीडियोलेटरल चीरे को ठीक होने में ज्यादा समय लगता है और इसमें प्रसव के बाद ज्यादा दर्द होता है।

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