शिशुओं की सूखी त्वचा के लिए कौन सा तेल अच्छा है?pregnancytips.in

Posted on Tue 18th Oct 2022 : 11:24

शिशु की रूखी त्वचा के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
नीले रंग के तौलिया में लिपटा हुआ शिशु

नन्हें शिशु के चेहरे पर चकत्ते बचपन में होने वाले चकत्ते और त्वचा समस्याओं के बारे में जानकारी।
शिशु की त्वचा बहुत नाजुक होती है और आसानी से खुश्क हो सकती है। मौसम, त्वचा पर इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद या कपड़े धोने के तरीके आदि सभी से शिशु की त्वचा रुखी हो सकती है।

शिशु की देखभाल के तरीके में थोड़े-बहुत बदलाव करने से उसकी त्वचा में नमी बनाए रखने में मदद मिलेगी।

त्वचा की देखभाल वाले उत्पाद
हमेशा उन उत्पादों का इस्तेमाल करें, जो विशेषकर शिशुओं के लिए बने हों। शिशु की त्वचा वयस्कों की त्वचा की तुलना में बहुत नाजुक होती है। बेबी के लिए आने वाले शावर वॉश, शैम्पू या लोशन आम स्किन केयर उत्पादों की तुलना में काफी सौम्य होते हैं।

शिशु के लिए आने वाले उत्पादों में भी बहुत सी वैरायटी उपलब्ध है। यदि आपके शिशु की त्वचा अक्सर रुखी रहती है, तो ऐसे सौम्य उत्पाद का चयन करें जिसमें परफ्यूम न हो और जो विशेषतौर पर संवेदनशील त्वचा के लिए बना हो।

शिशु को नहलाना
शिशु को कम अंतराल में ज्यादा बार नहलाने या फिर उसे पानी में ज्यादा देर तक बैठे रहने देने से त्वचा खुश्क हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भी आप शिशु को नहलाती हैं, क्लींजर से उसकी त्वचा में प्राकृतिक तौर पर मौजूद तेल की परत हट जाती है। यह तेल की परत शिशु की त्वचा को नमीयुक्त रखती है।

नन्हे शिशु और नवजात बहुत जल्दी गंदे नहीं होते, इसलिए उन्हें कुछेक दिन छोड़कर भी नहलाया जाए तो कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि, आपको हर बार डायपर बदलने पर उसके नैपी क्षेत्र को साफ करना होगा और हर बार दूध निकालने या उल्टी करने पर शिशु की गर्दन को अच्छी तरह साफ करना होगा। मगर, शिशु को रोजाना पूरा नहलाना जरुरी नहीं है।

जब शिशु बड़ा होता है और आप उसे रोजाना या ज्यादा बाद नहलाती हैं, तो उसे केवल पांच मिनट तक ही नहलाएं। कभी-कभार आप उसे ज्यादा समय के लिए पानी में खेलने दे सकती हैं, मगर रोजाना ऐसा न करें।

शिशु की मालिश
तेल या लोशन से मालिश करना शिशु की त्वचा को नमीयुक्त रखने का अच्छा तरीका है।

माँएं आमतौर पर शिशु को नहलाने से पहले उसकी मालिश करती हैं। मगर यदि आपके शिशु की त्वचा रुखी है, तो आप नहलाने के बाद उसकी मालिश कर सकती हैं। नहलाने के बाद शिशु को तौलिये ​से थपथपाकर पौंछे ताकि उसकी त्वचा में नम रहे और तेल की मालिश से यह नमी त्वचा में बनी रहे।

सुनिश्चित करें कि आप ऐसा तेल इस्तेमाल करें जो शिशु की त्वचा के लिए उपयुक्त हो। कुछ तेल जैसे कि सरसों का तेल आदि रुखी त्वचा को और खुश्क बना सकते हैं, क्योंकि ये त्वचा की सबसे बाहरी परत पर कठोर रहते हैं।

शिशु की रुखी त्वचा पर इस्तेमाल के लिए नारियल तेल या बादाम का तेल अच्छा रहता है।​ खनिज या वनस्पती तेल भी जल्दी त्वचा में समाहित हो जाते हैं और फायदेमंद हो सकते हैं। यदि तेल त्वचा में अच्छे से समाहित न हो और गर्मी में शिशु को पसीना आए तो त्वचा में फंसी नमी से वास्तव में त्वचा में जलन या फिर घमौरी हो सकती है।

यदि आप लोशल से मालिश कर रही हैं, तो शुरुआत करने से पहले शिशु की त्वचा से पानी अच्छी तरह पौंछ दें। ऐसा लोशन चुनें जो संवेदनशील त्वचा के लिए उपयुक्त हो। यदि आपके शिशु की त्वचा बहुत ज्यादा रूखी है, तो आप दिन में दो बार उसे मॉइस्चराइजर लगा सकते हैं।

बदलते मौसम में त्वचा में रूखापन
सर्दियों में आमतौर पर शिशुओं की त्वचा रूखी होना आम है, क्योंकि हवा में नमी कम होती है। हीटर का इस्तेमाल करने से हवा और ज्यादा शुष्क हो जाती है। गर्मियों में हर समय एयर कंडीशनर चलाने से भी हवा में नमी नहीं रहती।

बदलते मौसम में होने वाले रूखेपन से शिशु को बचाने के लिए ऊपर बताए गए उपायों के साथ-साथ आप कमरे में ह्यूमिडिफायर चलाएं। हवा में आर्द्रता बढ़ाने से शिशु की त्वचा पर शुष्क हवा का प्रभाव कम हो सकता है।

शिशु के कपड़े
कई बार, वाशिंग पाउडर के अंश बच्चों के कपड़ों मे रह जाते हैं। ऐसा अक्सर कपड़ों को पानी से अच्छी तरह न धोने या फिर वाशिंग मशीन में बहुत ज्यादा कपड़े डालने की वजह से होता है। डिटर्जेंट के ये अंश शिशु की त्वचा पर साबुन की तरह काम करते हैं और उसमें जलन या फिर रूखापन पैदा कर सकते हैं।

शिशु के कपड़े उसकी त्वचा से जहां रगड़ खाते हैं वहां यदि आपको त्वचा रूखी लगे तो कम डिटर्जेंट का इस्तेमाल या मशीन में कपड़ों को पानी से धोने का फंक्शन दोबारा चलाकर देखें। आप चाहे तो आम डिटर्जेंट की बजाय बच्चों के ​कपड़ों के लिए आने वाला विशेष डिटर्जेंट इस्तेमाल कर सकती हैं।

​रूखी त्वचा के लिए पारंपरिक उपचार
रूखी त्वचा के उपचार के लिए कई पारंपरिक घरेलू उपचार हैं। हालांकि, इनमें से सभी शिशुओं के लिए उचित नहीं हैं, मगर आप निम्नांकित उपायों में से कुछ आजमाकर देख सकती हैं:

ग्लिसरीन और गुलाब जल को बराबर मात्रा में एक बोतल में डालकर मिलाएं। इसे अच्छी तरह हिलाएं और जब आपके शिशु की त्वचा नम हो तब इसका इस्तेमाल करें। इसके सूखने के बाद आप अपनी सामान्य तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली क्रीम या लोशन लगा सकती हैं।

बादाम के तेल की कुछ बूंदें दही में मिलाएं। इस मिश्रण को अपने शिशु के शरीर पर लगाएं। पांच मिनट तक इसे लगा रहने दें और फिर गुनगुने पानी के साथ धो दें। दही को बेहतरीन क्लींजर और मॉइश्चराइजर माना जाता है।

इन उपचारों को सर्दियों में आजमाने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि इनसे शिशु को ठंड महसूस होगी। साथ ही, ध्यान दें कि शिशु इन्हें मुंह में न निगले।

अगर आपके शिशु को खुजली वाले लाल चकत्ते हो गए हैं तो यह एक्जिमा भी हो सकता है। कई बार नियमित रूप से माॅइश्चराइज करने पर एक्जिमा का इलाज हो जाता है। मगर यदि, चकत्ते ठीक नहीं होते और आपके शिशु को वहां खुजली होती रहती है तो अपने डॉक्टर से बात करें। संभवत: वह साबुन और लोशन की जगह आपको एमोलिएंट्स का इस्तेमाल करने को कहेंगे। अगर एक्जिमा ज्यादा ही गंभीर है तो वे प्रभावित जगह पर उचित आइंटमेंट लगाने के लिए कह सकते हैं।

रूखी त्वचा संक्रमित भी हो सकती है। अगर आपको अपने शिशु की त्वचा में किसी दरार से पीले रंग का पदार्थ निकलता या सूजन दिखे तो तुरंत इसे डॉक्टर को दिखाएं।

कुछ दुर्लभ मामलों में खुश्क त्वचा इक्थीओसिस नाम की अनुवांशिक स्थिति को भी दर्शा सकती है। इसमें रूखी त्वचा परत के साथ या कभी-कभी लाल दिखती है। इसमें अक्सर हथेली और तलवे भी मोटे हो जाते हैं। अगर आपके डॉक्टर को आशंका है कि आपके शिशु को इक्थीओसिस है तो वह आपको इलाज के लिए त्वचा रोग विशेषज्ञ (डर्मिटोलॉजिस्ट) के पास भेज सकते हैं।

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