Login
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu. Fusce viverra neque at purus laoreet consequa. Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
Create an accountLost your password? Please enter your username and email address. You will receive a link to create a new password via email.
श्रेष्ठ संतान प्राप्ति के ये नियम, आप भी जानें
गर्भाधान का संस्कार का महत्व इसलिए है कि आप लोग जो संतान प्राप्त करना चाहते हैं। या आप जिस संतान की इच्छा रखते हैं। अगर आप यह चाहते हैं कि आपके द्वारा उत्पन्न बच्चे आपका नाम रोशन करें। आपके परिवार की यश और कीर्ति को आपके बच्चे बढ़ाएं। तो इसके लिए आप को गर्भाधान संस्कार के नियमों का पालन करते हुए गर्भधारण करना होता है। तो आइए आप भी जानें गर्भाधान संस्कार के नियम।
श्रेष्ठ संतान प्राप्ति के ये हैं नियम, आप भी जानें
गर्भाधान का संस्कार का महत्व इसलिए है कि आप लोग जो संतान प्राप्त करना चाहते हैं। या आप जिस संतान की इच्छा रखते हैं। अगर आप यह चाहते हैं कि आपके द्वारा उत्पन्न बच्चे आपका नाम रोशन करें। आपके परिवार की यश और कीर्ति को आपके बच्चे बढ़ाएं। तो इसके लिए आप को गर्भाधान संस्कार के नियमों का पालन करते हुए गर्भधारण करना होता है। तो आइए आप भी जानें गर्भाधान संस्कार के नियम।
1. सबसे पहले तो आप (पति-पत्नी) दोनों को संतान की इच्छा होनी चाहिए। आपके मन में होना चाहिए कि संतान प्राप्त करनी है। ऐसी इच्छा के बाद ही आप गर्भधारण करें। और इस संस्कार का पालन करें।
2. गर्भधारण करते समय आप दोनों यानि पति-पत्नी का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए। बेहतर स्वास्थ्य भी बेहतर संतान या स्वस्थ संतान पैदा करने के अनिवार्य है।
3. गर्भधारण करते समय आपको अपने बुजुर्गों की आज्ञा लेना आवश्यक है। यानि की परिवार के बड़े लोगों की भी इच्छा ऐसी होनी चाहिए कि आपके घर में संतान पैदा हो।
4. मासिक धर्म के दौरान आपको पहले सात दिन तक गर्भधारण के लिए सहवास नहीं करना चाहिए। यानि की ऋतुकाल के दौरान आपको संतान प्राप्ति के उद्देश्य से शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके द्वारा उत्पन्न संतान रोगी या अल्पायु हो सकती है।
5. मासिक धर्म के सात दिन छोड़कर आठवीं, नौवीं या दसवीं रात्रि गर्भाधान संस्कार के लिए शास्त्रों में उचित मानी जाती है। और इसके बाद 12वीं रात्रि, 14वीं रात्रि, 15वीं और 16वीं रात्रि भी गर्भधारण करने के लिए उचित मानी जाती है। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि इन दिनों में गर्भधारण के दौरान पैदा होने वाली आपकी संतान आपका नाम रोशन करेगी। और ये संतान निरोगी और दीर्घायु होगी।
6. जिस दिन आप गर्भधारण के लिए गर्भ में बीज की स्थापना कर रहे हैं उस दिन पूर्णिमा, अमावस्या, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि भी नहीं होनी चाहिए। इन तिथियों के सभी तिथि गर्भ में बीज की स्थापना के लिए शुभ मानी जाती हैं।
7. शनिवार, मंगलवार और बुधवार के दिन भी गर्भधारण के लिए अशुभ माने जाते हैं। इन तीनों दिन को छोड़कर बाकी शेष दिन गर्भ में बीज की स्थापना के लिए शुभ माने जाते हैं।
8. भद्रा में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस लिए भद्रा काल भी गर्भ में बीज की स्थापना के लिए अशुभ माना जाता है।
9. संक्रांति के दिन भी गर्भधारण नहीं करना चाहिए। संक्रांति का दिन भी गर्भ में बीज की स्थापना के लिए अशुभ माना जाता है।
10. जेष्ठा नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, मूल नक्षत्र और मघा नक्षत्र में भी गर्भधारण के लिए बीज की स्थापना नहीं करनी चाहिए।
11. ग्रहण के दिन भी पति-पत्नी को मिलन नहीं करना चाहिए। अर्थात गर्भधारण करने के प्रयास नहीं करने चाहिए।
12. पितृ पक्ष में जिस दिन आपके घर में किसी का श्राद्ध हो उस दिन भी गर्भधारण के लिए आपको गर्भ में बीज की स्थापना नहीं करनी चाहिए।
13. जिस दिन आपका जन्म नक्षत्र यानि पति-पत्नी के जन्म का नक्षत्र हो उस दिन भी आपको गर्भधारण नहीं करना चाहिए।
14. स्थिर लग्न में गर्भधारण करना बहुत शुभ माना जाता है।
--------------------------- | --------------------------- |