सर्दी में बच्चे को कितनी बार नहाना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Tue 18th Oct 2022 : 16:24

अक्‍टूबर के महीने से हल्‍की ठंड शुरू हो जाती है, ऐसे में कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है, वरना बीमार होने का खतरा रहता है। नवजात शिशुओं के लिए तो सर्दी का मौसम और भी ज्‍यादा मुश्किल होता है क्‍योंकि बच्‍चों की इम्‍यूनिटी पूरी तरह से बनी ही नहीं होती है, ऐसे में आपकी छोटी सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है।

पहली बार मां बनने पर महिलाओं को कई बातों के बारे में पता नहीं होता है। जैसे कि उन्‍हें पता नहीं होता कि सर्दी के मौसम में शिशु को कैसे नहलाना चाहिए। पहली बार शिशु को नहलाने में हर मां को डर लगता है और अगर बात सर्दी की हो तो डर और बढ़ जाता है।
यहां हम आपको ठंड के मौसम में शिशु को नहलाने से पहले ध्‍यान रखने वाली कुछ बातों के बारे में बता रहे हैं।

कुछ पैरेंट्स साफ सफाई की वजह से शिशु को रोज नहलाना पसंद करते हैं लेकिन ठंड में बच्‍चे को जल्‍दी-जल्‍दी नहलाने से उसके एलर्जी, जुकाम और बीमार पड़ने का खतरा रहता है।

नवजात शिशु की त्‍वचा बहुत नाजुक होती है, इसलिए गुनगुने पानी के बार बार संपर्क में आने और कुछ बेबी प्रोडक्ट्स की वजह से स्किन को नुकसान पहुंच सकता है और त्‍वचा रूखी हो सकती है या खुजली हो सकती है।
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-कब शुरू करें शिशु को नहलाना
जब तक कि नवजात शिशु की अम्बिलिकल कॉर्ड गिर न जाए तब तक उसे नहलाना नहीं चाहिए। अम्बिलिकल कॉर्ड के ठीक होने पर शिशु को तीन दिन में एक बार नहला सकते हैं। हालांकि, शिशु के मुंह, चेहरे और निजी अंगों को रोज साफ करना चाहिए।

ये गलती न करें
अगर बहुत ज्‍यादा ठंड का मौसम है तो शिशु को नहलाने के बाद गरमाई देने का इंतजाम जरूर रखें। दिन में धूप निकलने के बाद शिशु को नहलाना सही रहता है। शिशु की अच्‍छी नींद के लिए आप उसे रात को सोने से पहले भी नहला सकती हैं लेकिन ठंड में दोपहर के समय नहलाना ही सही होता है क्‍योंकि इस समय ठंड रात की तुलना में कम होती है।

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सरसों का तेल रक्‍त प्रवाह को बेहतर करता है और शिशु की संपूर्ण सेहत में सुधार लाता है। शिशु की रोज मालिश करने से शरीर स्‍वस्‍थ और मजबूत बनता है। इसके अलावा शरीर में गरमाई रखने में सरसों का तेल बहुत मदद करता है। यही वजह है कि ठंड के मौसम और ठंडे इलाकों में शिशु को गरम रखने के लिए सरसों के तेल का ही इस्‍तेमाल किया जाता है।
- लहसुन की कुछ कलियां लें और उसे सरसों के तेल में डालकर हल्‍का गर्म कर लें। अब तेल के थोड़ा ठंडा होने पर शिशु की छाती पर लगाएं। इस तरह शिशु में खांसी और जुकाम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसमें आप लहसुन की जगह तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं।
ठंड में नहलाने का सही तरीका
बहुत ज्‍यादा ठंड होने पर बाथरूम में हीटर का इस्‍तेमाल करें ताकि शिशु को ठंड न लगे। बाथ टब को गुनगुने पानी से भर दें और शिशु को नहलाने से पहले एक बार चैक जरूर करें कि पानी ज्‍यादा गर्म तो नहीं है। पानी ठीक लगने के बाद ही शिशु को अब में बैठाएं।

शिशु के लिए बाथ टिप्‍स
टब में शिशु की छाती जितना पानी भरें, इससे ज्‍यादा पानी भरना बच्‍चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ठंड के मौसम में देर तक शिशु को पानी में न रखें और पैरों से नहलाना शुरू करें। बच्‍चे को पानी से निकालकर तौलिए में लपेट लें और जल्‍दी से उसका बदन पोंछ दें।
नहलाते समय अपने पास ही तौलिया रखें ताकि नहाने के बाद शिशु को इंतजार न करना पड़े। नहाने के बाद कपड़े पहनाने से पहले शिशु का शरीर अच्‍छी तरह से पोंछ लें।

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