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यूनाइटेड किंगडम के शोधकर्ताओं ने सिजेरियन डिलीवरी के कुछ फायदों को अंकित किया है जबकि मेडिकल विशेषज्ञों का अब भी मानना है कि जब तक जरूरत न हो तब तक सर्जरी से बचना ही समझदारी है।
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अब तक सिर्फ नॉर्मल डिलीवरी के फायदों के बारे में ही बात होती आई है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सी-सेक्शन डिलीवरी के भी कुछ फायदे होते हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि फायदे होने के बावजूद भी सर्जरी का विकल्प चुनना सही नहीं है।
क्या कहती है रिसर्च
पीएलओएस मेडिसन की स्टडी में कहा गया है कि सिजेरियन डिलीवरी करवाने वाली महिलाओं में मूत्र असंयमिता (पेशाब न रोक पाना) और पेल्विक प्रोलैप्स का खतरा कम होता है।
स्कॉटलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्घ में प्रीटर्म अर्थ पर अध्ययन कर रहीं डॉ साराह स्टॉक और उनकी टीम में लगभग 3 करोड़ महिलाओं पर 79 अध्ययन किए। इस स्टडी में नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सर्जरी से बच्चा पैदा करने वाली महिलाओं पर लंबे समय तक इसके पड़ने वाले प्रभाव की जांच की गई।
अध्ययनों में पाया गया है कि सिजेरियन से पैदा हुए बच्चों में 12 साल की उम्र तक अस्थमा और पांच साल की उम्र तक मोटापे का खतरा ज्यादा था।
हालांकि, इन अध्ययनों में इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि यह सर्जरी पहले से ही प्लान थीं या आपातकालीन स्थिति में की गई थीं।
सिजेरियन डिलीवरी के फायदे
न्यूयॉर्क की यूनिवर्सिटी के रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के गायनेकोलोजिस्ट डॉ नील एस सेलिगमैन का कहना है कि सी सेक्शन डिलीवरी के कुछ संभावित लाभ हो सकते हैं।
अधिकतर सिजेरियन डिलीवरी प्रेगनेंसी के 39वें सप्ताह में शेडयूल की जाती है इसलिए डॉक्टर को डिलीवरी के कुछ मिनटों के अंदर ही पता चल जाता है कि शिशु को जन्मजात ह्रदय रोग जैसी समस्याओं के लिए सर्जरी की जरूरत तो नहीं है।
वहीं, अगर पहले से ही सिजेरियन प्लान कर लिया जाए तो इससे जन्म से समय लगने वाली चोटों जैसे कि एस्फिक्सिया (ऑक्सीजन की कमी, फ्रैक्चर आदि) का खतरा कम हो जाता है।
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साल 2012 में लारा ने बेबी गर्ल को जन्म दिया था। मुंबई के लीलावती अस्पताल में लारा दत्ता की सी-सेक्शन डिलीवरी हुई थी। लारा ने साल 2011 में टेनिस स्टार महेश भूपति से शादी की थी।
डिलीवरी के बाद बहुत जल्द ही लारा ने अपनी फिट फिगर और बॉडी को वापस पा लिया था और आज उन्हें देखकर आप बिल्कुल नहीं कह सकते कि उनकी सिजेरियन डिलीवरी हुई थी।
एवग्रीन एक्ट्रेस काजोल ने भी अपने दूसरे बच्चे को सी-सेक्शन की मदद से जन्म दिया है। इससे पहले काजोल को मिसकैरेज का दर्द भी झेलना पड़ा था।
करीना ने साल 2016 में तैमूर को जन्म दिया था और बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उनकी सिजेरियल डिलीवरी हुई थी। करीना ने खुद बताया था कि डिलीवरी के वक्त एंग्जायटी होने की वजह से उन्हें ऑपरेशन करवाना पड़ा था।
सी सेक्शन ऑपरेशन पेल्विक हिस्से से जुड़े विकारों (जैसे कि प्रोलैप्स या मूत्र असंयमिता) को रोकते हैं, लेकिन फिर भी ऑपरेशन करवाने का फैसला लेना इतना आसान नहीं है। अगर महिला दोबारा मां बनना चाहती है तो उन्हें सी सेक्शन से संबंधित जोखिम ज्यादा होते हैं।
सी सेक्शन से मिसकैरेज और प्लेसेंटा प्रीविया जैसे जोखिम भी जुड़े हुए हैं। वहीं जो महिलाएं ऑपरेशन करवाती हैं, उन्हें प्लेसेंटा एक्रिटा और प्लेसेंटा एब्रप्शन का खतरा ज्यादा रहता है। प्लेसेंटा एक्रिटा की स्थिति में डिलीवरी के बाद हिस्टेरेक्टोमी करवानी पड़ती है।
ऑपरेशन में स्कार पड़ने का भी खतरा है, लेकिन यह दुर्लभ ही है। यह एक प्रकार की एक्टोपिक प्रेगनेंसी है। सी सेक्शन से स्कार टिश्यू आगे डिलीवरी में दिक्कतें बढ़ सकती हैं क्योंकि यह स्थिति मूत्राशय में चोट लगने और अत्यधिक ब्लीडिंग के खतरे काे बढ़ा देती है।
भले ही सी सेक्शन डिलीवरी के कुछ चंद लाभ हों, लेकिन फिर भी नॉर्मल डिलीवरी को ही बेहतर माना जाता है। सिजेरियन के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी के फायदे बहुत ज्यादा हैं और अगर नॉर्मल डिलीवरी की संभावना है तो किसी भी स्थिति में ऑपरेशन का विकल्प नहीं चुनना चाहिए। केवल आपातकालीन स्थिति में ही सिजेरियन डिलीवरी को चुनना सही होता है।
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