सेकंड डिलीवरी में कितना टाइम लगता है?pregnancytips.in

Posted on Sat 22nd Oct 2022 : 11:26

ऐसा माना जाता है कि पहली प्रेगनेंसी की तुलना की में सेकंड प्रेगनेंसी आसान होती है। दूसरी बार में शरीर गर्भावस्‍था के लिए तैयार होता है और उसे प्रेगनेंसी में होने वाले बदलावों का एक्‍सपीरियंस होता है। कहते हैं कि इस वजह से दूसरी बार मां बनने पर समस्‍याएं कम आती हैं।
वहीं, सेकंड डिलीवरी को लेकर भी कहा जाता है कि दूसरी डिलीवरी पहले की तुलना में जल्‍दी और आसानी से हो जाती है। जानिए कि क्‍या सच में दूसरी डिलीवरी आसान होती है और अगर ऐसा होता है तो इसका क्‍या कारण है।

दूसरी डिलीवरी होगी जल्‍दी-
पहली डिलीवरी के बाद बाकी सभी प्रसव जल्‍दी हो सकते हैं क्‍योंकि इस समय गर्भाशय ग्रीवा पहले की तुलना में जल्‍दी खुल जाती है। पुश करने का स्‍टेज आसान हो जाता है और इसमें ज्‍यादा समय भी नहीं लगता है क्‍योंकि योनि और पेल्विक हिस्‍सा पहले प्रसव में ही स्‍ट्रेच हो चुके होते हैं।

एक अध्‍ययन में सामने आया है कि दूसरी प्रेगनेंसी में महिलाओं को प्रसव पीड़ा के लिए संकुचन तेज करने और ताकत के लिए दवाएं लेने की जरूरत कम पड़ती है।

कितने घंटे होता है लेबर पेन-
पहला लेबर पेन लगभग 18 घंटे तक रहता है जबकि दूसरा लेबर पेन इससे कम समय का हो सकता है या इसमें 8 घंटे का समय लग सकता है। वैसे हर महिला में लेबर पेन का समय अलग होता है, लेकिन पहले की तुलना में दूसरी डिलीवरी जल्‍दी हो जाती है।

चूंकि, पहली डिलीवरी के बाद मांसपेशियां और लिगामेंट स्‍ट्रेच हो चुके होते हैं इस‍लिए आसानी से दूसरी बार डिलीवरी हो जाती है। गर्भाशय ग्रीवा भी जल्‍दी खुल जाती है।

सेकंड डिलीवरी में जल्‍दी होती प्रसव पीड़ा-
दूसरी डिलीवरी में लगभग 40 सप्‍ताह और 3 दिन का समय लगता है जो कि पहली प्रेगनेंसी से एक सप्‍ताह कम है।

चूंकि, शरीर पहले से प्रसव पीड़ा से गुजर चुका होता है और सेकंड डिलीवरी में लेबर हार्मोंस पर शरीर जल्‍दी प्रतिक्रिया देता है जिससे प्रसव पीड़ा भी पहले से जल्‍दी शुरू हो जाती है।

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