सोते समय गर्भवती होने पर कूल्हे के दर्द में क्या मदद करता है?pregnancytips.in

Posted on Thu 13th Oct 2022 : 09:11

प्रेग्‍नेंसी में कूल्‍हों में दर्द से निकल जाती है महिलाओं की चीख, कारण जानकर मिलेगी थोड़ी शांति
प्रेग्‍नेंसी एक ऐसा समय है जब महिलाओं का शरीर ना जाने कितनी पीड़ाओं और बदलावों से गुजरता है। इस समय कई महिलाओं को कूल्‍हों में दर्द भी महसूस होता है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्‍स्‍टेट्रिशियन एंड गायनेकोलोजिस्‍ट के अनुसार प्रेग्‍नेंसी के दौरान शरीर में ऐसे हार्मोन बनते हैं जो जोड़ों को रिलैक्‍स करते हैं, इससे जोड़ों की गतिशीलता बढ़ जाती है और चोट लगने की संभावना रहती है।लंबे समय तक खड़े रहने, कोई एक्‍सरसाइज करने और किसी विशेष पोजीशन में लेटने या बैठने पर प्रेग्‍नेंसी में कूल्‍हों में दर्द बढ़ सकता है। आइए जानते हैं प्रेग्‍नेंसी में होने वाले कूल्‍हे में दर्द के बारे में।
​प्रेग्‍नेंसी में कूल्‍हों में दर्द का कारण

गर्भावस्‍था के दौरान शरीर ऐसे हार्मोन रिलीज करता है जो संयोजी ऊतकों को रिलैक्‍स और मुलायम करने का काम करते हैं। इससे पेल्विस की हड्डियों के बीच के जोड़ और लिगामेंट ढीले पड़ने शुरू हो जाते हैं।

इन हड्डियों में लचीलापन बढ़ने से प्रसव के दौरान बच्‍चे को बाहर निकलने में मदद मिलती है। पोस्‍चर में बदलाव और गर्भाशय के भारी होने की वजह से आपको कूल्‍हों में दर्द महसूस हो सकता है।
​कूल्‍हों में दर्द क्‍यों होता है

प्रेग्‍नेंसी में साइटिक नर्व पर दबाव पड़ने के कारण भी कूल्‍हों में दर्द होता है। शरीर में दो साइटिक नर्व होतीं हैा जो टांग के पीछे निचले हिस्‍से में होती हैं। गर्भाशय के बढ़ने पर नसों पर दबाव पड़ता है और आपको कूल्‍हों एवं जांघों में झनझनाहट, दर्द और सुन्‍नता महसूस हो सकती है।

इस समस्‍या को साइटिका कहते हैं। डिलीवरी डेट पास आते-आते बच्‍चा गर्भाशय के अंदर अपनी पोजीशन बदल लेता है। इससे मां को असहज महसूस होने लगता है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान साइटिका होना आम बात है लेकिन फिर भी आपको डॉक्‍टर के इस बारे में बताना चाहिए।
​प्रेग्‍नेंसी में कूल्‍हों में दर्द का इलाज

गर्भावस्‍था में कूल्‍हों में दर्द बढ़ने पर आप डॉक्‍टर की सलाह पर दवा ले सकती हैं। इसके अलावा दर्द वाले हिस्‍से की गर्म सिकाई करें।

करवट लेकर सोने पर पैरों के बीच तकिया लगाकर रखें। आप पैदल चलने, योग, स्‍विमिंग और हल्‍के व्‍यायामों से भी इस दर्द को कम कर सकती हैं। वैसे भी प्रेगनेंट महिलाओं को पूरे नौ महीने हल्‍के-फुल्‍के व्‍यायाम करते रहना चाहिए।

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