सोनोग्राफी जांच कैसे होती है?pregnancytips.in

Posted on Wed 12th Oct 2022 : 12:05

सोनोग्राफी क्या है? सोनोग्राफी के प्रकार, टेस्ट और नुकसान क्या है? सोनोग्राफी टेस्ट क्यों और कैसे किया जाता है?

आज हम जानेंगे सोनोग्राफी की पूरी जानकारी (Sonography in Hindi) के बारे में क्योंकि आप सोनोग्राफी के बारे में जानना चाहते हैं तो निश्चित बात है कि आपने टीवी पर या फिर अखबारों में यह देखा होगा कि किसी डॉक्टर को सोनोग्राफी करने के जुर्म में पुलिस ने गिरफ्तार किया। बता दे की सोनोग्राफी को लेकर के लोगों की अपनी-अपनी सोच है। Sonography को लेकर के अधिकतर लोगों का यही मानना है कि अगर इसे करवाया जाता है, तो यह कानून की नजरों में इलीगल होता है

और अगर किसी भी प्रकार से पुलिस को इसकी भनक लग जाती है कि कोई डॉक्टर सोनोग्राफी कर रहा है अथवा कोई व्यक्ति सोनोग्राफी करवा रहा है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि हर अवस्था में सोनोग्राफी में गिरफ्तारी नहीं होती है। इसमें गिरफ्तारी सिर्फ बच्चे की जांच करने के कारण ही होती है। आज के इस लेख में जानेंगे कि Sonography Kya Hota Hai, सोनोग्राफी टेस्ट क्या है, सोनोग्राफी टेस्ट के प्रकार, Sonography Kaise Hota Hai, आदि की सारी जानकारीयां विस्तार में जानने को मिलेंगी, इसलिये पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढे़ं।
सोनोग्राफी क्या है? – What is Sonography in Hindi
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Sonography In HindiSonography In Hindi

जब कोई महिला गर्भवती हो जाती है तो उसे समय-समय पर गर्भवती होने से लेकर के बच्चा पैदा करने तक अपना सोनोग्राफी टेस्ट करवाना होता है, जिसे अल्ट्रासाउंड टेस्ट भी कहा जाता है। ग्रामीण भाषा में लोग Sonography की जगह पर अल्ट्रासाउंड टेस्ट ही कहते हैं। अल्ट्रासाउंड टेस्ट किसी अनुभवी डॉक्टर के द्वारा ही करवाया जाना उचित माना जाता है।

अल्ट्रासाउंड टेस्ट करके डॉक्टर यह जानकारी प्रेग्नेंट महिला और उसके घर वालों को देते हैं कि, वर्तमान में पेट में पल रहे बच्चे की स्थिति कैसी है। क्या उसे कोई समस्या है अथवा वह बिल्कुल स्वस्थ है। इसके द्वारा महिला के पेट में पल रहे बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और यह देखा जाता है कि उसका विकास सही प्रकार से हो रहा है या नहीं। सोनोग्राफी टेस्ट में बच्चे का पूरा आकार दिख जाता है। इससे यह पता चल जाता है कि बच्चे की बॉडी के सभी अंग बने हैं अथवा नहीं।
सोनोग्राफी का मतलब क्या है? – Sonography meaning in Hindi

सामान्य तौर पर देखा जाए तो सोनोग्राफी टेस्ट करवाने की सबसे ज्यादा आवश्यकता प्रेग्नेंट महिला को ही होती है। अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाने के बाद उसे यह पता चल जाता है कि उसके पेट में पल रहे बच्चे की स्थिति कैसी है। क्या उसकी बॉडी के सभी अंगों का विकास सही प्रकार से हुआ है अथवा नहीं।
इस टेस्ट के द्वारा अगर बच्चे में कोई खामी पाई जाती है तो उचित इलाज करके उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है और अगर बच्चा पैदा करने लायक नहीं होता है तो महिला को इसकी जानकारी दी जाती है, जिसके बाद कुछ कंडीशन में बच्चे की सफाई भी करवा दी जाती है।

सोनोग्राफी के प्रकार – Types of Sonography in Hindi

Sonography यानी की अल्ट्रासाउंड के टोटल 7 प्रकार होते हैं। उन सभी सातों प्रकार की जानकारी आपको नीचे प्रोवाइड करवाई जा रही है।

ट्रांसवैजिनल स्कैन
मानक अल्ट्रासाउंड
Advanced अल्ट्रासाउंड
डॉपलर अल्ट्रासाउंड
3D अल्ट्रासाउंड
4-डी या गतिशील 3-डी अल्ट्रासाउंड
भ्रूण इकोकार्डियोग्राफी

सोनोग्राफी टेस्ट क्या है? – Sonography Test in Hindi

सोनोग्राफी गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे की स्थिति को जानने के लिए किया जाने वाला एक मेडिकल टेस्ट होता है। इसे अल्ट्रासाउंड टेस्ट भी कहते हैं। इस टेस्ट को करने के लिए मशीन के द्वारा महिला के पेट में पल रहे बच्चे की स्कैनिंग की जाती है, जिसके कारण बच्चे की स्थिति का प्रिंट आउट एक्स-रे टाइप के एक प्लास्टिक के पेपर में आता है और फिर डॉक्टर उसकी जांच करके महिला के पेट में पल रहे बच्चे की रिपोर्ट तैयार करते हैं।
सोनोग्राफी टेस्ट क्यों किया जाता है?

जब कोई महिलाएं प्रेग्नेंट हो जाती है, तो शुरुआत के 1 से 2 महीने में तो उसे कोई भी दिक्कत नहीं होती है परंतु उसके बाद उसके बच्चे के बनने की रफ्तार तेज हो जाती है। अब बच्चे में कोई कमी है या नहीं, बच्चे का स्वास्थ्य कैसा है, यह जानकारी सामान्य इंसान को कैसे होगी। इसीलिए मेडिकल की फील्ड में सोनोग्राफी टेस्ट को इजाद किया गया।
यह टेस्ट बिल्कुल उसी प्रकार का टेस्ट होता है, जिस प्रकार हड्डियों की स्कैनिंग करके उनका एक्सरे निकाला जाता है। इस टेस्ट में भी बच्चे और उसकी नाल की स्कैनिंग की जाती है और उसका प्रिंट आउट कागज के आकार के एक प्लास्टिक पर निकाला जाता है। इस टेस्ट को करने का उद्देश्य है बच्चे की स्थिति को जांचना और उसकी सेहत के बारे में इंफॉर्मेशन इकट्ठा करना।
सोनोग्राफी टेस्ट कैसे होता है? – How is Sonography Test Done in Hindi

सबसे पहले पेशेंट के पेट पर एक जेल इमप्लांट किया जाता है और उसे पेशेंट के पेट के ऊपर ठीक प्रकार से फैलाया जाता है। अब आपके बच्चे दानी में आवाज की तरंगें पैदा करने के लिए ट्रांसड्यूसर को यूज में लिया जाता है और इसके जरिए बच्चे का आकार कागज के आकार के प्लास्टिक पर प्रिंट हो जाता है।
सोनोग्राफी के नुकसान क्या है? – Disadvantages of Sonography

मेडिकल के नजरिए से देखा जाए तो इसका इजाद अच्छे कामों के लिए किया गया था और आज भी इसका इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए ही किया जाता है परंतु कुछ दुष्ट और लालची लोगों के कारण सोनोग्राफी टेस्ट बदनाम हो गया है।

दरअसल होता क्या है कि जो लोग लड़के की चाहत रखते हैं वह महिला के गर्भवती हो जाने पर इस बात का पता लगाने के लिए कि उसके पेट में लड़का है या फिर लड़की है, सोनोग्राफी टेस्ट करवाते हैं और कुछ लालची डॉक्टर यह कर भी देते हैं।
कानून की नजरों में यह इल्लीगल है। जो भी डॉक्टर सोनोग्राफी टेस्ट करता है और जो भी व्यक्ति अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाते हैं, उन दोनों को पकड़े जाने पर सजा हो सकती है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। अच्छे कामों के लिए इसका इस्तेमाल आज भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल बुरे कामों के लिए करने वाले लोगों को कानून दंड देता है।
सोनोग्राफी और अल्ट्रासाउंड में क्या अंतर है? – Difference between Sonography and Ultrasound in Hindi

बता दें कि कई लोग यह समझते हैं कि अल्ट्रासाउंड अलग होता है और सोनोग्राफी अलग होती है परंतु इसमें कोई डिफरेंस नहीं है। अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल भी बच्चे की शारीरिक जांच और उसके स्वास्थ्य की जांच करने के लिए किया जाता है और Sonography का इस्तेमाल भी इसीलिए किया जाता है।

इसलिए आप इस बात को लेकर के बिल्कुल भी कंफ्यूज ना हो कि Sonography या फिर अल्ट्रासाउंड अलग अलग है।‌ यह दोनों चीजें एक ही है। बस कुछ जगह पर लोग सोनोग्राफी के नाम से जानते हैं और कुछ जगह पर लोग इसे अल्ट्रासाउंड के नाम से जानते हैं।
सोनोग्राफी में क्या पता चलता है?

हमने आपको ऊपर ही बताया कि Sonography टेस्ट मुख्य तौर पर बच्चे की शारीरिक जांच करने के लिए करवाया जाता है। इस टेस्ट को करने पर यह पता चलता है कि बच्चे का डेवलपमेंट कितना हुआ है, उसके शरीर के कौन-कौन से अंगों का विकास हो गया है, उसकी बॉडी में कौन से अंग अभी तक नहीं बने हुए हैं, उसे कोई समस्या है अथवा नहीं।
सोनोग्राफी रिपोर्ट में कैसे पता करें लड़का है या लड़की?

कुछ ऐसे निशान हमें सोनोग्राफी रिपोर्ट में दिखाई देते हैं जिसके जरिए हम यह पता कर सकते हैं कि गर्भवती महिला के पेट में लड़का है अथवा लड़की। उन निशानो के बारे में नीचे आपको बताया गया है।

कछुए जैसा निशान दिखाई देना
हैमबर्गर साइन का ना होना
लिंग का आकार दिखाई देना
यूरीन फ्लो का निशान
सेजिटल साइन का निशान

सोनोग्राफी रिपोर्ट सामान्य इंसान को देखने में समस्याएं हो सकती है फिर चाहे उसे कितने भी संकेत क्यों ना मिल जाए। इसीलिए आप जिस डॉक्टर से Sonography रिपोर्ट करवाएं, आपको उसी डॉक्टर से यह पूछना है कि रिपोर्ट में लड़का दिख रहा है अथवा लड़की दिख रही है। हालांकि अधिकतर डॉक्टर यह जानकारी नहीं देते हैं परंतु जो डॉक्टर पैसे लेते हैं, वह आपको बता देंगे की सोनोग्राफी रिपोर्ट में क्या दिखाई दे रहा है।
ऑब्सटेट्रिक अल्ट्रासाउंड क्या है? – What is Obstetric Ultrasound in Hindi

जब महिला के पेट में बच्चा आ जाता है तो बच्चा आने के लगभग 3 महीने के अंदर इस अल्ट्रासाउंड को किया जाता है जिसे कई जगह पर लेवल 1 का अल्ट्रासाउंड भी कहते हैं। इस अल्ट्रासाउंड को करने का उद्देश्य यह होता है कि क्या महिला के बच्चेदानी में बच्चा है अथवा नहीं। इस अल्ट्रासाउंड में बच्चे के दिल की धड़कन का पता, पेट में बच्चा आने की तारीख का पता, पेट में बच्चे की संख्या का पता चल जाता है, साथ ही यह भी जानकारी हो जाती है कि बच्चा स्वस्थ है या अथवा नहीं।

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