स्तन के दूध में क्या कमी है?pregnancytips.in

Posted on Mon 17th Oct 2022 : 15:32

मां का दूध भी सुरक्षित नहीं? पहली बार इसमें मिला माइक्रोप्लास्टिक, जो इंसानों के लिए जहर के समान

मां के दूध में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है
1 of 7
मां के दूध में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है -
नवजात के लिए मां के दूध को सबसे पौष्टिक और आवश्यक आहार माना जाता है। शिशु के लिए आवश्यक लगभग सभी पोषक तत्व इससे प्राप्त हो जाते हैं। इतना ही नहीं अध्ययनों में विशेषज्ञ बताते हैं कि जिन बच्चों को मां का दूध नहीं मिल पाता है उनमें कई प्रकार की बीमारियों के विकसित होने का खतरा हो सकता है। पर क्या यह सुरक्षित है? हाल में ही में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट ने इस तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। वैज्ञानिकों ने पहली बार मां के दूध में माइक्रोप्लास्टिक पाया है। मेडिकल जर्नल पॉलिमर में प्रकाशित अध्ययन के इस खुलासे ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के बाद वह शिशुओं को होने वाले संभावित दुष्प्रभावों को लेकर काफी चिंतित हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों का संपूर्ण विकास मां के दूध पर निर्भर करता है। यह उन्हें तमाम प्रकार के संक्रमण के खतरे से बचाने के साथ स्वस्थ और फिट रखने में मदद करता है, हालांकि जिस तरह से अध्ययन में मां के दूध में हानिकारक माइक्रोप्लास्टिक देखा गया है, इस बारे में डर बढ़ गया है। आखिर दूध में माइक्रोप्लास्टिक कहां से आया और इससे शिशुओं में किस प्रकार की समस्याओं का खतरा हो सकता है, आइए आगे इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
स्तनपान के माध्यम से शरीर में माइक्रोप्लास्टिक जाने का खतरा
2 of 7
स्तनपान के माध्यम से शरीर में माइक्रोप्लास्टिक जाने का खतरा -
स्तन के दूध में मिला माइक्रोप्लास्टिक

इटली में किए गए इस अध्ययन के लिए बच्चे के जन्म के एक सप्ताह बाद 34 स्वस्थ माताओं से स्तन के दूध के सैंपल लिए गए। उनमें से 75% में माइक्रोप्लास्टिक पाए गए। इटली में यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक डेले मार्चे में प्रोफेसर डॉ वेलेंटीना नोटरस्टेफानो कहती हैं, यह काफी आश्चर्यकारक रहा है। माइक्रोप्लास्टिक्स को पहले कई अध्ययनों में शरीर के लिए गंभीर नुकसानदायक पाया गया है। इसके अलावा चूंकि नवजात शिशु, रसायनिक अवयवों के प्रति अति संवेदनशील होते हैं, ऐसे में उनमें इससे कई प्रकार का खतरा हो सकता है, हालांकि इस बारे में समझने के लिए आगे और विस्तार से अध्ययन की आवश्यकता है।

फिलहाल बच्चों के लिए स्तनपान अब तक का सबसे अच्छा तरीका है, इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं की जानी चाहिए।
विज्ञापन
दूध में माइक्रोप्लास्टिक ने बढ़ाई चिंता
3 of 7
दूध में माइक्रोप्लास्टिक ने बढ़ाई चिंता -
स्तन के दूध में माइक्रोप्लास्टिक कैसे आया?

स्तन के दूध में माइक्रोप्लास्टिक कैसे आया, यह समझने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने प्रतिभागियों के खान-पान और पर्सनल हाइजीन के लिए प्रयोग में लाई जा रही अन्य चीजों का अध्ययन किया। इसमें पैक्ड खाद्य पदार्थ, पर्सनल हाइजीन उत्पाद और खान-पान के सामानों की पैकेजिंग के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली चीजों पर विस्तृत रूप से ध्यान दिया गया। हालांकि इन चीजों से माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति का कोई संबंध नहीं मिला।

शोधकर्ताओं का कहना है कि संभव है कि पर्यावरण में जिस प्रकार से माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा बढ़ रही है, यह उस माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकती है। हालांकि इसको प्रमाणित करने के लिए और विस्तार से अध्ययन करने की जरूरत होगी।
माइक्रोप्लास्टिक और इसके नुकसान
4 of 7
माइक्रोप्लास्टिक और इसके नुकसान -
माइक्रोप्लास्टिक और इससे होने वाले खतरे

माइक्रोप्लास्टिक, अति सूक्ष्म प्लास्टिक कण होते हैं, जो वाणिज्यिक उत्पादों और बड़े प्लास्टिक के ब्रेकडाउन से उत्पन्न होते हैं। प्रदूषक के रूप में, माइक्रोप्लास्टिक को पर्यावरण और पशु-मानव स्वास्थ्य के लिए अति हानिकारक पाया गया है। पर्यावरण विशेषज्ञ कहते हैं, वैश्विक स्तर पर हर साल भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है। माइक्रोप्लास्टिक माउंट एवरेस्ट के शिखर से लेकर सबसे गहरे महासागरों तक पूरे ग्रह को दूषित करता है।

भोजन, पानी के साथ-साथ सांस के माध्यम से इन सूक्ष्म प्लास्टिक कणों के शरीर में प्रवेश करने का खतरा होता है। अध्ययनों में माइक्रोप्लास्टिक के अधिक संपर्क के कारण कैंसर से लेकर डीएनए क्षति तक के जोखिम के बारे में भी पता चलता है।
विज्ञापन
माइक्रोप्लास्टिक के खतरे को लेकर वैज्ञानिकों की राय
5 of 7
माइक्रोप्लास्टिक के खतरे को लेकर वैज्ञानिकों की राय -
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

अमर उजाला से बातचीत में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक, असिस्टेंट प्रोफेसर (पर्यावरण विभाग) डॉ कृपाराम बताते हैं, माइक्रोप्लास्टिक्स प्रकृति में अत्यधिक विषैले होते हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ये रासायनिक रूप से निष्क्रिय होते हैं। एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद इसे निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस स्थित में शरीर में माइक्रोप्लास्टिक्स का संचय हो सकता है, जो बहुत खतरनाक है। माइक्रोप्लास्टिक्स के साथ एक खतरा यह भी है कि इसे अब बचाव करना भी कठिन होता जा रहा है। बहुत सी दैनिक खाने योग्य चीजों जैसे टेबल नमक, बोतलबंद पानी, प्लास्टिक टीबैग और प्लास्टिक के रसोई उपकरण के माध्यम से ये शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

जिस प्रकार से इस अध्ययन में स्तन के दूध में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की बात सामने आई है यह काफी आश्चर्यजनक होने के साथ बड़ी चिंता का कारण भी है। आगे के शोध में इसके विस्तृत आयाम समझने के मिलेंगे, फिलहाल यह संकेत है कि पर्यावरण के साथ हो रहा खिलवाड़ अब गंभीर रूप लेकर सामने आ रहा है।
रक्त में पाया जा चुका है माइक्रोप्लास्टिक
6 of 7
रक्त में पाया जा चुका है माइक्रोप्लास्टिक -
मानव शरीर में पहले भी पाए जा चुके हैं माइक्रोप्लास्टिक

स्तन के दूध में माइक्रोप्लास्टिक मिलने के पहले एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने मानव रक्त में भी माइक्रोप्लास्टिक्स पाए जाने को लेकर अलर्ट किया था। मार्च में नीदरलैंड के व्रीजे यूनिवर्सिटी एम्स्टर्डम में प्रोफेसर डिक वेथाक के नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की टीम ने एक अध्ययन में रक्त में माइक्रोप्लास्टिक को लेकर साक्ष्य प्रस्तुत किए थे। शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि जिस तरह से पर्यावरण में प्लास्टिक कचरा बढ़ता जा रहा है, यह शरीर के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक हो सकता है। रक्त में इसका पाया जाना गंभीर रोगों का कारण बन सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक कई मामलों में हो सकता है बेहद खतरनाक
7 of 7
माइक्रोप्लास्टिक कई मामलों में हो सकता है बेहद खतरनाक -
क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?

शोधकर्ताओं का कहना है कि फिलहाल स्तनपान करने वाले शिशुओं पर माइक्रोप्लास्टिक्स और संबंधित रसायनों के दुष्प्रभावों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है, इसे समझने के लिए शोध जारी है। हालांकि यह निश्चित ही अच्छे संकेत नहीं हैं। इससे पहले के अध्ययन में पाया गया था कि बोतल से दूध पीने वाले बच्चे एक दिन में लाखों माइक्रोप्लास्टिक निगल सकते हैं, ऐसे में दूध पिलाने का यह तरीका असुरक्षित है। हालांकि अब स्तन के दूध में भी माइक्रोप्लास्टिक पाया जाना चिंता बढ़ाने वाला है।

प्रोफेसर नोटरस्टेफानो कहती हैं, गर्भवती महिलाओं को प्लास्टिक और कॉस्मेटिक्स आदि के इस्तेमाल के लेकर सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। प्लास्टिक के बोतलों में पैक पेय से भी गर्भवती को बचाव करना चाहिए। जिस तरह से इस अध्ययन में माइक्रोप्लास्टिक के जोखिम के बारे में पता चला है, इस खतरे को ध्यान में रखते हुए सभी सरकारों को वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक के उपयोग और कचरे के प्रबंधन को लेकर सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info