स्तनपान कराने में कैसा लगता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:34

सफलतापूर्वक स्तनपान करवाने के लिए वास्तव में इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां और किस तरह से बैठ या लेट रही हैं। महत्वपूर्ण यह है कि आप आरामदेह महसूस करें और शिशु स्तन तक आसानी से पहुंच सके। इससे आपको शिशु के मुंह में स्तन देने (लैचिंग) की सही तकनीक प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
स्तनपान करवाना कैसे शुरु करें?


जरुरत हो, तो अपने पैर या घुटनों का स्तर किसी सहारे से थोड़ा उंचा कर लें। यदि आप कुर्सी या सोफे पर बैठी हैं या फिर अपने पलंग के किनारे पर बैठी हैं, तो अपने पैरों के नीचे छोटा स्टूल लगा लें।

यदि आप बैठी हैं, तो आप तकिये का इस्तेमाल कर सकती हैं ताकि शिशु का वजन उसपर डाल सकें, और आपकी अग्रबाजू पर सारा वजन न पड़े।

यदि आप अर्धलेटी अवस्था में हों, तो अपनी पीठ और कंधों को सहारा देने के लिए कुशन या तकियों का इस्तेमाल करें। जब आप आरामदेह अवस्था में आ जाएं तो शिशु का पेट अपनी छाती और पेट की तरफ करते हुए लिटाएं और अपने घुटनों को थोड़ा ऊंचा उठाएं, ताकि शिशु को अपने पैरों से धकेलने के लिए सतह मिल सके।

आपका शरीर शिशु को सहारा देगा और उसे अपनी अवस्था व्यवस्थित करने, सिर ऊपर-नीचे करने और स्तन को ढूंढ़ने का मौका देगा।

यदि आप करवट लेकर लेटती हैं, तो अपने सिर के नीचे तकिये लगा लें। शिशु को अपने साथ इस तरह लिटाएं कि उसका पेट आपके पेट की तरफ हो। आप अपने घुटनों को भी मोड़ सकती हैं, ताकि शिशु का पैर उन्हें महसूस कर सके।

शिशु को स्तनपान करवाने की कुछ अन्य अवस्थाएं ये भी हो सकती हैं, जैसे कि:

झूले की तरह पकड़ (क्रेडल होल्ड), इसमें शिशु का सिर आपकी कोहनी के मोड़ का सहारा लिए होता है
रग्बी बॉल होल्ड, शिशु को बाजू के नीचे लेकर स्तनपान करवाना
कोआला पकड़, जिसमें शिशु को घुटने पर दोनों तरफ टांगे करके एकदम सीधा बिठाकर स्तनपान करवाया जाता है
अर्धलेटी अवस्था में स्तनपान, जिसमें आप नीचे तकिये लगाकर आधी लेटी हुई अवस्था में होती हैं

इन तरीकों के बारे में और अधिक जानकारी हमारे स्तनपान करवाने की बेहतर मुद्राएं स्लाइडशो में पाएं।
शिशु को सही ढंग से लैच कैसे कराएं?


शिशु को स्तन अपने मुंह में लेने (लैचिंग) के लिए जीभ निकालकर स्तन का बड़ा हिस्सा अपने मुंह में लेना होगा। सबसे पहले उसका निचला होंठ और जीभ स्तन तक पहुंचने चाहिए, और आपके निप्पल के नीचे की तरफ से जितना आगे तक संभव हो वहां तक पहुंचे।

यदि आप बैठी या लेटी हुई अवस्था में हैं, तो शिशु को अपने स्तन तक लाएं, ताकि उसका मुंह आपके निप्पल की तरफ हो और उसे निप्पल तक पहुंचने के लिए अपना सिर इधर-उधर घुमाना न पड़े। उसके मुंह की बजाय, उसकी नाक आपके निप्पल की सीध में होने चाहिए। इस तरह आपके शिशु को स्तन मुंह में लेने से ठीक पहले अपना सिर पीछे करने की जगह मिल जाती है। उसे पहले अपनी ठोढ़ी आगे करते हुए अपना पूरा मुंह खोलना चाहिए। उसका सिर पीछे की तरफ होगा और उसके होंठ फिर निप्पल को छुएंगे।

breastfeeding baby

शिशु अपना निचला जबड़ा नीचे की तरफ करेगा।

आपकी अवस्था को देखते हुए, आप शिशु को स्तन तक पहुंचने में मदद कर सकती हैं, ताकि उसका निचला होंठ आपके निप्पल के निचले हिस्से में जितना संभव हो अंदर की तरफ हो। अर्धलेटी अवस्था में, शिशु की स्वत: क्रियाएं (रिफ्लेक्स) उसे स्तन तक ले जा सकती हैं और उसे आपका निप्पल पकड़ने में मदद कर सकती हैं।
लैचिंग किस तरह काम करती है?
baby feedingस्तन का बड़ा हिस्सा मुंह में लेने से शिशु को स्तन मुंह में अंदर तक ले जाने में मदद मिलती है।

इस तरह आपका निप्पल उसके मुंह में सबसे अंदर की तरफ होगा, जहां मुंह के अंदर की कठोर तालू के बाद मुलायम हिस्सा आ जाता है।

इस तरह स्तन मुंह में लेने से, शिशु की जीभ सहज और लयबद्ध ढंग से आपके स्तन के नीचे के हिस्से पर काम कर सकेगी। इस तरह दुग्ध नलिकाओं से दूध निकलने लगता है।

आपके शिशु का जबड़ा ऊपर-नीचे होगा और फिर जीभ अपना काम करेगी और दूध आने के साथ ही वह इसे निगलना शुरु कर देगा। इस प्रक्रिया में आपको दर्द नहीं होना चाहिए, क्योंकि आपका निप्पल उसके मुंह में काफी अंदर की तरफ होगा और उसकी जीभ से दबना संभव नहीं है।

आपके शिशु का निचला मसूढ़ा कभी भी स्तन को नहीं छू सकेगा, क्योंकि उसकी जीभ हमेशा बीच में होगी और उसका ऊपरी जबड़ा इस प्रक्रिया में हिलता ही नहीं है।
स्तनपान को आसान बनाने के अन्य सुझाव क्या हैं?
नीचे दिए गए तरीकों में से किसी एक से शिशु को आधार देती रहें:

अपनी हथेली को शिशु के कंधों के पीछे लगाएं और अपनी तर्जनी उंगली और अंगूठा उसके कानों के पीछे लगाएं।
धीरे से अपने शिशु का सिर अपने पूरे हाथ में झूले की तरह ले लें, ताकि वह अपना सिर हिला-डुला सके और हाथ को थोड़ा ऊंचा उठाकर उसकी सहायता करें।
शिशु के कंधों को सहारा देने के लिए अपनी कलाई की बजाय अग्रबाजू का इस्तेमाल करें।

शिशु के रिफ्लेक्स को प्रेरित करने के लिए आप उसके मुंह को अपने निप्पल पर रगड़ने दे सकती हैं। आपका शिशु निप्पल को देखने या सूंघने की बजाय छूने से पहचान पाता है, हालांकि शायद देखने व सूंघने की भी अपनी भूमिका होती है।

यदि आपको शिशु की लैचिंग में मदद करने की जरुरत हो, तो जब शिशु का निचला जबड़ा खुलना शुरु हो तो शिशु की अवस्था व्यवस्थित करना शुरु करें। शिशु का पूरा मुंह खुलने तक का इंतजार न करें। जब मुंह पूरा खुल जाता है, तो फिर वह बंद होना शुरु हो जाता है, मगर शिशु शायद स्तन को पूरा मुंह में नहीं ले पा सकेगा।

जब आप शिशु को गोद में सही ढंग से ले लें तो उसके निचले होंठ को देखें, ऊपर वाले को नहीं। उसके ऊपरी होंठ को लेकर चिंता न करें कि वह निप्पल के ऊपर सही ढंग से आएगा या नहीं। जब आपका निचला होंठ अपने निप्पल के निचले हिस्से को काफी दूर तक मुंह में अंदर ले लेता है, तो उसकी ठोढ़ी आपके स्तन को दबाएगी।

जब शिशु की ठोढ़ी स्तन को दबाती है, तो निप्पल हल्का सा नीचे की तरफ हो जाता है और शिशु का ऊपरी होंठ इसे ढक लेता है। आप ऐसा होता हुआ देख नहीं सकेंगी, मगर आप अहसास से और शिशु के व्यवहार से यह जान सकेंगी।

यदि आपको शिशु के हाथ बीच में आने की वजह से परेशानी हो रही हो, तो उसे हल्के कंबल या चादर में लपेट लें, ताकि उसकी बाजुएं साइड में ही रहें। इस तरह आप उसे अपने और नजदीक ला सकेंगी।

यदि आप सीधे बैठी हैं और शुरुआत में अपने स्तन को हाथों से सहारा दे रही हैं तो अपने हाथों को निप्पल से जितना हो सके दूर रखें, संभव हो तो अपने पंजर पर। जब आपके स्तन को सहारा मिल जाए, तो इसे स्थिर रखें और केवल शिशु को इधर-उधर करें।

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wordpress 1 year ago 5 Answer
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