1 महीनेका बच्चा क्या क्या कर सकता है?pregnancytips.in

Posted on Wed 9th Nov 2022 : 18:18

इतना सब करने लगता है एक महीने का शिशु, हर पेरेंट्स को जरूर होना चाहिए पता
एक महीने का शिशु बहुत छोटा होता है लेकिन फिर भी जन्‍म से लेकर अब तक उसके शरीर और विकास में कई बदलाव आ चुके होते हैं। इसके आधार पर आप यह समझ सकते हैं कि बच्‍चे का विकास सही हो रहा है या नहीं।
नौ महीने गर्भ में बिताने के बाद शिशु इस दुनिया में आता है। जन्‍म के बाद इस नई दुनिया में एडजस्‍ट करते हुए आपको नन्‍हे शिशु के शरीर में कुछ बदलाव दिखने लगेंगे। जहां पहले शिशु को गर्भ में रहने की आदत थी, वहीं अब उसे बाहरी दुनिया भी पसंद आने लगी है।जन्‍म के बाद पहले कुछ हफ्तों में शिशु सिर्फ दूध पीता है, रोता है, सोता है और पेशाब करता है लेकिन जैसे-जैसे बच्‍चा एक महीना का होता है, तो आप देखेंगे कि उसके हाथ मुंह को छूने लगे हैं। इसके अलावा बच्‍चे के विकास के और भी कई संकेत मिलने लगते हैं।यहां हम आपको बता रहे हैं कि एक महीने के शिशु के विकास में क्‍या-क्‍या होता है।
​फिजीकल डेवलपमेंट

एक महीने का शिशु अपने हाथों को आंखों और मुंह के नजदीक लाने लगता है। वो पेट के बल लेटने पर अपनी गर्दन को घुमा सकता है। सपोर्ट न मिलने पर बच्‍चा पीछे की ओर अपना सिर उठा सकता है। एक महीने का शिशु मुट्ठी बंद कर सकता है। बच्‍चे की रिफ्लेक्‍स मूवमेंट शुरू हो जाती हैं।
​छूने और सूंघने की शक्‍ति

इतना बड़ा शिशु मां के दूध की खुशबू को पहचान सकता है। उसे नरम और खुरदरी चीजों की पहचान होने लगती है। शिशु को नरम और मुलायम चीजें पसंद आती हैं। बच्‍चे को एसिडिक और खट्टी खुशबू नापसंद होती है। शिशु को मीठी खुशबू पसंद आती है।
​सुनने और देखने की शक्‍ति

एक महीने के शिशु की सुनने और देखने की क्षमता में आपको कुछ बदलाव दिखने शुरू हो सकते हैं, जैसे कि :
जिस तरफ से आवाज आ रही है, बच्‍चा उस तरफ अपना सिर घुमा लेता है।
अपने पेरेंट्स की आवाज काे पहचानने लगता है।
आपके ताली बजाने पर बच्‍चा पलकें झपकाने लगता है।
गानों और कविताओं पर अलग-अलग रिएक्‍ट करता है।
उसे काले और सफेद रंग के बीच फर्क पता चलता है।
शिशु 12 मीटर की दूरी पर रखी चीजों पर फोकस कर सकता है।
​कब करें चिंता

अगर एक महीने का शिशु अपनी उम्र के हिसाब से निम्‍न कार्य नहीं कर पा रहा है, तो आपको उसे डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए।
स्‍तनपान
के समय स्‍तनों को ठीक तरह से न चूस पाना
निचले जबड़े का लगातार कांपना।
अलग-अलग आवाजों पर कोई प्रतिक्रिया न देना।
तेज रोशनी पर भी कुछ रिस्‍पॉन्‍स न करना
हाथ-पैरों का ढीला पड़ना।
नजदीक की चीजों को न देख पाना।
​पेरेंट्स कैसे करें मदद

शिशु को पार्क, म्‍यूजियम और रंग-बिरंगी जगहों पर लेकर जाएं। उसे अलग-अलग चीजें दिखएं। बच्‍चे को अलग-अलग तरह की आवाजें सुनाएं। इसमें आप कार्टून कैरेक्‍टर्स की भी मदद ले सकते हैं।

आप समझें कि शिशु कब थकान महसूस कर रहा है और उसे कब आराम करने की जरूरत है।
भूख लगने, नींद आने और चिड़चिड़ा होने पर शिशु किस तरह के संकेत देता है, इनके प्रति सतर्क रहें। शिशु के सामने बात करें, गाना गाएं और कहानियां पढ़कर सुनाएं।

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