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बच्चों में उल्टी होने के कारण, लक्षण और उपचार
जब पेट के पदार्थ यानि खाना-पानी आदि पूरे जोश के साथ मुँह और नाक के जरिये निकलता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टी कहा जाता है। उल्टियाँ होने के बहुत से कारण होते हैं, जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, विषाणुजनित संक्रमण, पेट का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मस्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।
बच्चों में उल्टी होना क्या होता है?
उल्टी आना कोई गंभीर समस्या नहीं है, बल्कि दिनचर्या, खानपान में बदलाव के कारण भी ऐसी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद में उल्टी के इन पाँच प्रकारों का वर्णन मिलता है-
वातज- पेट में गैस से होने वाली उल्टी वातज की श्रेणी में आती है। इस तरह की उल्टी कम मात्रा में कड़वी, झागवाली और पानी जैसी होती है। लेकिन कई बार इसके साथ सिर का दर्द, सीने में जलन, नाभि में जलन, खांसी और आवाज का खराब होना आदि समस्याएं भी होती हैं।
पित्तज- पित्त की गर्मी के कारण होने वाली उल्टी पित्तज की श्रेणी में आती है। इस स्थिति में पीले, हरे रंग की उल्टी आती है और मुँह का स्वाद बेहद बुरा हो जाता है। इसमें भोजन नली व गले में जलन हो सकती है। सिर घूमना, बेहोशी भी इसके लक्षणों में शामिल है।
कफज- कफ के कारण होने वाली उल्टी इस श्रेणी में आती है। इसमें उल्टी का रंग सफेद और प्रकार गाढ़ा होता है। इसका स्वाद मीठा होता है। मुँह में पानी भरना, शरीर का भारी होना, बार-बार नींद आना, जैसे लक्षण इस प्रकार की उल्टी में होना स्वाभाविक होता है।
त्रिदोषज- त्रिदोषज उल्टी वह होती है जो वात, पित्त और कफ, तीनों कारणों के चलते होती है। यह गाढ़ी, नीले रंग की या खून की हो सकती है। स्वाद में नमकीन या खट्टी हो सकती है। इसके अलावा पेट में तेज दर्द, भूख में कमी, जलन, सांस लेने में परेशानी और बेहोशी भी इसके लक्षणों में शामिल होता है।
आगंतुज- इस तरह की उल्टी बदबू, गर्भावस्था, अरूचिकर भोजन, पेट में कीड़े या किसी स्थान विशेष पर जाने से हो सकती है। इस तरह की उल्टी को आगंतुज छर्दि भी कहते हैं।
उल्टी होने के प्रकार-
दूध का फटना- यह तब होता है, जब आपका बच्चा स्तनपान करता है। उसके पेट में दूध की मात्रा की अधिकता के कारण ऐसा होता है।
प्रतिवाह- यह उल्टी आमतौर पर शिशुओं में ही होती है। जब बच्चे के ऊपर का बाल्व गलती से खुला रह जाता है तो भोजन, भोजन पाइप से उल्टा आ सकता है, यह कोई बीमारी नहीं है। यह समय के साथ ठीक हो जाता है।
उल्टी का प्रक्षेप्य- ऐसा तब होता है, जब आपका बच्चा अपने पेट की सामग्री को शक्तिशाली तरीके से बाहर निकालता है।
बच्चों में उल्टी होने का कारण
बच्चे दूध पीने के बाद उल्टी कर देते हैं तो इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है और न ही इसे पेट खराब होने वाला कोई संकेत समझे। ऐसा माना जाता है कि अगर आपका बच्चा उल्टी कर देता है तो वह स्वस्थ है और यह करना उसे पसंद है।
मां अपने बच्चे को गोद में लेकर ज्यादातर समय दूध पिलाती है। फिर उन्हें गोद में ही लिटाती है। अगर इस दौरान बच्चे को उल्टी हो जाती है तो मतलब है कि बच्चे की छाती हल्की हो गई है। इसका मतलब है कि बच्चे का पाचन तंत्र अच्छा है। इससे बच्चे को नींद भी अच्छी आती है। दूध पीने के दौरान दूध बच्चे की मस्कुलर ट्यूब से होते हुए उसके पेट में जाता है। इस मस्कुलर ट्यूब को इसोफेगस कहते हैं। इसोफेगस और पेट को जोड़ने के लिए एक मसल्स रिंग होती है जो बच्चे के दूध पीने पर खुल जाती है। दूध पीना बंद करने के बाद ये रिंग बंद हो जाती है। ऐसे में रिंग अगर सही है और ज्यादा टाइट नहीं है तो सारा दूध इसोफेगस में वापस चला जाता है। दूध के रिंग में वापस जाने के कारण ही उल्टी होती है।
आहार के साथ समायोजन- शिशु का आहार भी उसकी उल्टी करने का कारण हो सकता है। जन्म के बाद शिशु को अपने आहार के साथ समायोजन बनाने मे समय लगता है। इस दौरान बच्चे का उल्टी करना सामान्य है और आपको इसके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं। इस दौरान शिशु उल्टी करने के साथ रोता भी है। हालांकि यह केवल कुछ महीनों में सामान्य हो जाता है।
कार सिकनेस- अगर आप अपने नवजात शिशु के साथ यात्रा कर रही है तो गाड़ी और सड़कों पर यात्रा करने के कारण भी शिशु उल्टी कर सकता है और यह सामान्य है।
लम्बे समय तक रोना-अधिक देर तक रोने से बच्चे पर तनाव पड़ता है और यह उल्टी का कारण बन सकता है। अगर शिशु लंबे समय तक रोता है या खांस रहा है तो इस कारण भी वह उल्टी कर सकता है और इस बारे में आपको अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। अधिक देर तक रोने से बच्चे पर तनाव पड़ता है और यह उल्टी का कारण बन सकता है।
फूड एलर्जी-जब शिशु सामान्य आहार लेना शुरु करता है तो ऐसा अक्सर होता है कि उसे फूड एलर्जी का सामना करना पड़े। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें किसी विशेष खाद्य पदार्थ से एलर्जी होती है। इस स्थिति में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
उल्टी में खून आना-एक या दो बार शिशु की उल्टी में खून की एक या दो बूंदे दिखना चिंता का विषय नहीं होगा। हालांकि अगर ऐसा कई बार हो और खून की मात्रा ज्यादा हो तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
उल्टी के साथ बुखार या डिहाइड्रेशन होना-अगर आपके शिशु को उल्टी के साथ समस्याएं जैसे बुखार, मुंह का सूखना, रोते वक्त आंसू न आना या शिशु का स्तनपान न करना आदि दिखें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों की उल्टी रोकने के उपाय
बच्चे को दूध पीने के बाद उल्टी होना मतलब बच्चा स्वस्थ है। उल्टी रोकने की कोशिश कभी न करें। उल्टी को रोकने पर बच्चे को छाती में घुटन हो सकती है जो उसके लिए खतरनाक हो सकता है। बच्चे की उल्टियां रोकना आपके बस में नहीं है और रोकने की कोशिश करनी भी नहीं चाहिए। लेकिन अगर बच्चा अधिक उल्टी करता है तो इन तरीकों के जरिये इसे कम जरूर कर सकते हैं।
-बच्चे को केवल सही समय पर और उचित मात्रा में ही भोजन या दूध दें। जरूरत से ज्यादा या कम न दें।
-बच्चे को एक साथ बहुत ज्यादा फीड कराने या भोजन कराने के स्थान पर उसे थोड़ा-थोड़ा ही खाना दें।
-यदि शिशु स्तनपान के बाद दूध उलटता है, तो उसे स्तनपान के दौरान ही ज्यादा बार-बार डकार दिलाएं।
-यदि शिशु फॉर्मूला दूध पीता है, तो सुनिश्चित करें कि बोतल में निप्पल का छेद ज्यादा बड़ा न हो।
-दूध पीने के ठीक बाद शिशु को अपने घुटनों पर न उछालें, उछलने वाली कुर्सी पर न बिठाएं या बहुत ज्यादा सक्रिय न होने दें। भोजन को पेट में समायोजित होने के लिए समय चाहिए होता है। खाना खाने के बाद आधे घंटे तक शिशु को सीधा रखने से मदद मिल सकती है।
-समय-समय पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में स्तनपान या भोजन करवाने से कई बार उल्टी कम करने में मदद मिल सकती है। आप भी यह आजमाकर देख सकती हैं।
-बच्चे को खाना खिलाने के 30 मिनट बाद तक सीधे बिठा कर रखें।
-अगर आप बच्चे को ठोस आहार दे रही हैं तो धीरे-धीरे खिलाएं। छह माह के बाद अक्सर जब आप बच्चे को ठोस आहार देना शुरु करते हैं तो शुरुआती दिनों में बच्चे उल्टी कर सकते हैं।
-एक साथ पूरा खाना न खिलाएं। थोड़ा-थोड़ा करके खिलाएं।
-चलती कार में सफर के दौरान होने वाली मिचली को कम करने के लिए, बीच-बीच में कई बार रुकें, ताकि शिशु को ताजा हवा मिल सके और उसके पेट को आराम मिले। यदि शिशु ठोस आहार खाता है तो उसे यात्रा शुरु करने से पहले थोड़ी मात्रा में सेहतमंद स्नैक्स दें। पेट थोड़ा भरा होने से मदद मिलेगी। साथ ही उसके शरीर में जल की मात्रा संतुलित रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ दें।
-बच्चों को हमेशा आरामदायक कपड़े ही पहनाए और ध्यान रखे कि डायपर ज्यादा टाइट न हो। ज्यादा टाइट कपड़ों से बच्चों को गर्मी हो सकती है जिसकी वजह से वह उल्टी कर सकता है।
-खाना खिलाने के बाद शिशु को डकार अवश्य दिलवाएं। शुरुआती महीनों में यह बेहद जरूरी होता है।
-शिशु को खाना खिलाने के बाद कम से कम आधे घंटे तक सीधा रखें और उसे ज्यादा हंसाये भी नहीं।
-खाना खाने के तुरंत बाद और सोते समय भी शिशु को पेट के बल न लिटाये।
-अपने शिशु को खाना खाने के बाद ज्यादा हिलाए नहीं।
-शिशु को स्तनपान कराते समय उसकी पोजिशन को सही रखें।
बच्चों की उल्टी रोकने के घरेलू उपाय
आम तौर पर बच्चों को उल्टी से निजात पाने के लिए लोग सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही आजमाते हैं। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से बच्चों का उल्टी होना रोका जा सकता है।
अनार का रस बच्चों की उल्टी रोकने में फायदेमंद
जब बच्चे को उल्टियां हों तो उसे नींबू का रस और अनार का रस मिलाकर पिलाएं। इससे उल्टी बंद हो जाती है। चाहे तो इसमें शहद भी मिला सकती हैं।
नींबू बच्चों की उल्टी रोकने में फायदेमंद
जब बच्चे को गर्मी लग जाने की वजह से उल्टी हो रही हो तो ऐसे में बच्चे को थोड़े से पानी में नमक और नींबू का रस मिलाकर पिलाएं। यह घोल बच्चे को दिन में दो से तीन बार पिलाएं उससे अधिक न दें।
प्याज बच्चों की उल्टी रोकने में फायदेमंद
यदि बच्चे को कुछ पच नहीं रहा हो तो आप प्याज को कद्दूकस करके उसका रस बच्चे को दिन में दो से तीन बार दे। इससे उल्टी बंद हो जाती है।
अदरक बच्चों की उल्टी रोकने में फायदेमंद
छोटे बच्चे अदरक खाना पसंद नहीं करते हैं। इसलिए आप उन्हें अदरक वाली चाय दे सकते हैं। इससे उनका जी मिचलाना बंद हो जाएगा और वे खाने-पीने भी लगेंगे। इससे पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।
चावल का पानी बच्चों की उल्टी रोकने में फायदेमंद
उल्टी यदि गैस के कारण हो रही है तो उसे उबले हुए चावल का पानी पिलाएं। दिन में तीन बार दो से तीन चम्मच चावल का मांड पिलाएं। इससे बच्चे का उल्टी आना बंद होने लगता है।
इलायची बच्चों की उल्टी रोकने में फायदेमंद
इलायची के बीजों को तवे पर भूनकर चूर्ण बना लें। इसके बाद इस चूर्ण को लगभग 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चे को दिन में 3 बार चटाएं। बच्चे को उल्टियां आना धीरे-धीरे बंद होने लगता है।
धनिया का मिश्रित काढ़ा बच्चों की उल्टी रोकने में फायदेमंद
धनिया, सौंफ
जीरा, इलायची तथा पुदीना सभी को समान मात्रा में लेकर पानी में भिगो दें। इसके बाद जब ये सारी चीजें फूल जाएं तो इन्हें पानी में ही मसल लें और इस पानी को छान लें। इसके बाद इस पानी को बच्चे को दिन में तीन से चार बार पिलाएं। इससे बच्चे को उल्टी होना बंद हो जाएगा।
तुलसी बच्चों की उल्टी रोकने में फायदेमंद
तुलसी के ताजे पत्तोंं का एक चम्मच रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर पिलाने से राहत मिलती है
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
यदि आपको अपने बच्चे में निम्नलिखित कोई लक्षण दिखाई दे तो डॉक्टर से संपर्क करने में देर नहीं करनी चाहिए-
-मुंह सूखने लगना, आंसूओं की कमी, धंसे हुए कलांतराल, सुस्त या ढीला-ढीला-सा लगना और सामान्य की अपेक्षा कम गीली नैपी (एक दिन में छह नैपियों से कम) होने पर निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) का संकेत।
-बुखार।
-दस्त (डायरिया)।
-स्तनपान करने या फॉर्मूला दूध पीने से मना करना।
-12 घंटे से अधिक समय तक उल्टी करना, या अत्यधिक बल के साथ उल्टी करना।
-ऐसा रैश (चकत्ता) जो त्वचा को दबाने पर भी हल्का न पड़े।
-उनींदापन और बहुत ज्यादा चिड़चिड़ापन।
-सांस की कमी।
-पेट में फुलावट या सूजन।
-मल में खून आना।
-उल्टी में खून या पित्त (गहरा पीला या हरा पदार्थ)।
-दूध पीने के आधे घंटे के अन्दर नवजात शिशु द्वारा लगातार बहुत बल के साथ उल्टी।
-वजन घटना या उचित वजन न बढ़ना।
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