10 महीने के बच्चे को कितना दूध पीना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 16:43

शिशु को कितनी मात्रा में फॉर्मूला दूध की जरुरत होती है?
अपने शिशु को हर दिन कितनी मात्रा में फॉर्मूला दूध देना चाहिए, यह समझ पाना मुश्किल हो सकता है। और इस बात का कोई एक जवाब भी नहीं है। दूध की मात्रा आपके शिशु की उम्र और वजन पर निर्भर करती है।

साथ ही, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप उसे केवल फॉर्मूला दूध देती हैं या फिर साथ में स्तनदूध या ठोस आहार भी देती हैं।

यहां नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप यह पता लगा सकती हैं कि आपके शिशु को कितनी मात्रा में फॉर्मूला दूध की आवश्यकता है।
मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा बच्चा भूखा है?
आपके शिशु की भूख दिन-प्रतिदिन और महीने दर महीने अलग-अलग रहेगी, इसलिए शिशु को ही इस बात का निर्णय करने दें कि वह कब, और कितना दूध पीना चाहता है। सामान्यत: जब शिशु भूखे होते हैं तो वे खाते-पीते हैं और जब उनका पेट भर जाता है तो वे खाना-पीना बंद कर देते हैं।

यदि आप शिशु के भूख के लक्षणों को पहचानकर उनके अनुसार काम करें तो उसे दूध पिलाने की प्रक्रिया आपके और शिशु दोनों के लिए आसान हो जाएगी। नीचे दिए गए संकेतों पर ध्यान दें, आप समझ जाएंगी कि शिशु क्या चाह रहा है। आपका शिशु यह बता तो नहीं सकता कि उसे भूख लगी है, मगर यह दर्शा जरुर सकता है।

भूख के शुरुआती संकेत
जैसे ही आपको शिशु में नीचे बताए गए भूख के संकेत दिखें तो उसे तुरंत दूध पिलाएं, इससे आपका बच्चा शांति से भरपेट दूध पी पाएगा। यदि आप शिशु के रोने का इंतजार करती हैं, तो हो सकता है कि वह इतना मचल जाए कि फिर दूध ही न पीए।

नींद से जागते समय अपने होंठ चाटना
हाथों, जीभ या कपड़ों को चूसना
मुंह खोलना और बंद करना
वह आपकी छाती की तरफ अपना सिर कर रहा है और दूध पीने के लिए मुंह खोल रहा है। इस प्रक्रिया को अंग्रेजी में रुटिंग कहा जाता है।

हो सकता है आपका शिशु में उपर दिए गए संकेतों में से केवल एक-दो संकेत ही दर्शाए!

भूख बढ़ने के संकेत

सिर ऊपर-​नीचे करना
चिड़चिड़ापन
जोर-जोर से सिर हिलाना


दूध मिलने में देरी के संकेत!

रोने लगना

शिशु का रोना शुरु करना इस बात का संकेत है कि उसे तेज भूख लगती है और आपने उसे दूध देने में देर कर दी है। रोते हुए शिशु को दूध पिलाना और ज्यादा मुश्किल है।

साथ ही, जब आप शिशु को दूध पिला रही हों, तो उन संकेतों पर नजर रखें, जो बताते हैं कि शिशु का पेट भर गया है। इन संकेतों में शामिल हैं दूध पीने की गति धीमी होना या आराम करने लगना।

दूध पीते समय बीच-बीच में शिशु इसलिए रुकता है, क्योंकि वह यह जानने का प्रयास करता है कि उसका पेट भरा है या नहीं।
मुझे शिशु को कितनी मात्रा में फॉर्मूला दूध देना चाहिए?
अगर, आपके शिशु ने अभी ठोस आहार खाना शुरु नहीं किया है, तो आप एक अनुमानित आधार पर यह जान सकती है कि शिशु को कितना फॉर्मूला दूध दिया जाना चाहिए।

गर्भावस्था की पूर्ण अवधि पर जन्मे अधिकांश शिशुओं को हर दिन उसके वजन के अनुसार 150 मि.ली. और 200 मि.ली. फॉर्मूला दूध प्रति किलोग्राम चाहिए होगा। यानि कि अगर आपके शिशु का वजन तीन किलोग्राम है, तो पूरे 24 घंटों में अपनी भूख शांत करने के लिए उसे शायद 450 और 600 मि.ली. के बीच फॉर्मूला दूध चाहिए होगा।

हालांकि, हो सकता है जन्म के पहले सप्ताह में शिशु इससे कम दूध पीए, क्योंकि उसका पेट इस चरण पर बहुत छोटा सा होता है।

ये माप अनुमान पर आधारित हैं कि आपके शिशु को कितने दूध की जरुरत हो सकती है। जिस तरह आपकी भूख हर भोजन के समय अलग-अलग होती है, उसी तरह आपका शिशु भी हर बार एकदम समान मात्रा में दूध नहीं पी सकता। इसलिए उस पर बोतल का सारा दूध खत्म करने का दबाव न डालें, फिर चाहे बोतल में थोड़ा सा ही दूध क्यों न बचा हो।

यह भी ध्यान रखें कि यदि शिशु बीमार हो, दांत निकलने की वजह से असहज हो या फिर विकास में तेजी (ग्रोथ स्पर्ट) हो, तो उसकी फॉर्मूला दूध पीने की मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है।

यदि आपके शिशु को कोई विशेष फॉर्मूला दूध पिलाने के लिए कहा गया है या उसका एक तय फीडिंग प्लान है तो अपनी डॉक्टर से पता करें कि उसे हर दिन कितना फॉर्मूला दूध देना चाहिए।
मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु को सही मात्रा में फॉर्मूला दूध मिल रहा है?
हमेशा ध्यान दें कि आप सही ढंग से फॉर्मूला दूध तैयार करें। यदि आप बहुत ज्यादा पानी मिलाएंगी तो दूध काफी पतला बनेगा और इससे शिशु को उचित विकास के लिए जरुरी पोषक तत्व भी नहीं मिलेंगे।

निम्नांकित संकेत यह बताते हैं कि आपके शिशु को सही मात्रा में फॉर्मूला दूध मिल रहा है:

नियमित वजन वृद्धि। जन्म के 10 दिन बाद भी उसका वजन बढ़ना जारी रहता है और पहले साल में उसका ग्रोथ कर्व उचित ढंग से बढ़ रहा है। जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों में अधिकांश शिशुओं का जन्म वजन करीब 10 प्रतिशत तक कम हो जाता है और करीब 10 दिन का होने पर वजन फिर से बढ़ना शुरु हो जाता है। आपके शिशु के स्वास्थ्य और वजन की जांच डॉक्टर नियमित तौर पर करेंगे। यदि शिशु का वजन बढ़ रहा है, तो यह इस बात का भी संकेत है कि वह स्वस्थ है और सही मात्रा में दूध पी रहा है।

गीले डायपर। आपका शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है यह जानने के लिए आप ध्यान दें कि वह दिन में कितनी लंगोट या डायपर गीले कर रहा है। जन्म के बाद शुरुआती दो-तीन दिनों में वह शायद कुछ ही लंगोट गीली करेगा। मगर, इसके बाद एक दिन में कम से कम छह लंगोट साफ या हल्के पीले पेशाब में भीगी होनी चाहिए। अगर शिशु इससे कम बार ​पेशाब कर रहा है, तो शायद उसे पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा। इससे उसे निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) हो सकता है।

खुशनुमा शिशु। उचित ढंग से फलता-फूलता शिशु जगे होने पर सक्रिय रहता है और प्रतिक्रिया भी देता है। जब उसे भूख लगेगी तो वह दूध की मांग करेगा और पेट भर जाने पर वह रिलैक्स्ड और संतुष्ट लगेगा।

यदि शिशु के दूध पीने या विकास के बारे में आपकी कोई चिंता हो, तो अपने मन की आवाज पर विश्वास करें। आप ही अपने शिशु को सबसे बेहतर ढंग से जानती हैं, और उसके व्यवहार में आए बदलाव का सबसे पहले आपको ही पता चलेगा। यदि आप​ चिंतित हों या आपके कोई सवाल हों तो अपनी डॉक्टर से बात करें।
जैसे-जैसे शिशु बड़ा होगा, उसे कितना दूध पीना चाहिए?
आपके शिशु को कितनी मात्रा में फॉर्मूला दूध की जरुरत है, यह उसके वजन के साथ-साथ उसकी उम्र पर भी निर्भर करता है। यहां महीने दर महीने के हिसाब से अंदाजा दिया गया है, जिससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि शिशु को कितना फॉर्मूला दूध दिया जाए:

पहला हफ्ता। जन्म के शुरुआती दो हफ्तों में शिशु को हर बार 60 और 70 मि.ली. के बीच दूध पिलाने का प्रयास करें। वह एक बार में इससे ज्यादा दूध पीने में सक्षम नहीं होगा।

दो हफ्तों से दो महीने तक। लगभग दो सप्ताह से दो महीनों तक शिशु को हर बार शायद 75 और 105 मि.ली. के बीच फॉर्मूला दूध चाहिए होगा। वह एक दिन में तकरीबन 450 से 735 मि.ली. दूध पी लेगा। जल्द ही आप यह जानने लगेंगी कि शिशु को और दूध चाहिए, क्योंकि वह अपना दूध जल्दी खत्म कर देगा और फिर और दूध पीने के लिए इधर-उधर देखना शुरु करेगा।

दो से छह महीने तक। दो और छह महीने के बीच शिशु को शायद हर बार 105 और 210 मि.ली. के बीच दूध चाहिए होगा।

छह महीने पर। जब आपका शिशु छह महीने का हो जाता है तो उसे शायद एक बार में 210 और 240 मि.ली. के बीच दूध चाहिए होगा। एक दिन में वह शायद करीब कुल 900 मि.ली. फॉर्मूला दूध पी रहा होगा।

ठोस आहार शुरु करने पर। जब आप शिशु को ठोस आहार देना शुरु कर देती हैं, उसका फॉर्मूला दूध पीना धीरे-धीरे घटकर करीब 600 मि.ली. प्रति दिन पर आ जाता है।

पूरी तरह ठोस आहार शुरु करना। जब शिशु पूरी तरह ठोस आहार लेना शुरु कर देता है, तो उसे हर दिन अलग-अलग तरह के आहार के साथ-साथ करीब 500 से 600 मि.ली. फॉर्मूला दूध की जरुरत होगी। बहरहाल, सभी शिशु अलग होते हैं। अगर आपका शिशु इतनी मात्रा में दूध नहीं पी रहा है, तो भी चिंतित न हों। आप उसे दूध से बनी अन्य चीजें जैसे कि पनीर, कस्टर्ड, दही और छाछ आदि दे सकती हैं।

एक साल के बाद से। शिशु के एक साल का हो जाने पर वह फॉर्मूला दूध की बजाय पूर्ण वसायुक्त गाय का दूध लेना शुरु कर सकता है। इस चरण पर आपके बच्चे को केवल कम से कम 350 मि.ली. और ज्यादा से ज्यादा 400 मि.ली. दूध प्रतिदिन चाहिए होता है। यह स्तनदूध, फॉर्मूला दूध या गाय का दूध या फिर डॉक्टर द्वारा बताया गया कोई भी दूध हो सकता है। कोशिश करें कि शिशु को 400 मि.ली. प्रतिदिन से ज्यादा दूध न दें, क्योंकि इससे बच्चे की अन्य भोजन खाने की भूख कम हो जाएगी।

ध्यान रखें कि ये केवल अनुमानित निर्देश हैं, और शिशु आपको बता देगा कि उसे कब बहुत ज्यादा या कम फॉर्मूला दूध मिल रहा है। अगर आपके मन में कोई दुविधा हो, तो अपने डॉक्टर से बात करें। वे आपको सलाह दे सकती हैं कि आपके बढ़ते शिशु को करीब कितनी मात्रा में​ दूध की जरुरत होती है।
फॉर्मूला दूध की जगह ठोस आहार देना कब शुरु करना चाहिए?
जब आप शिशु के छह महीने का हो जाने पर उसे ठोस आहार देना शुरु करती हैं, तो वह विस्तृत वैरायटी के आहार पर्याप्त मात्रा में नहीं खा रहा होगा। इसलिए उसे जरुरी पोषक तत्व भी नहीं मिल पा रहे होंगे। इसलिए जरुरी है कि आप शिशु के एक साल का होने तक उसे फॉर्मूला दूध देना जारी रखें।

जब शिशु एक साल का हो जाए, तो उसे गाय का दूध मुख्य पेय के तौर पर दिया जा सकता है। इससे उसे जरुरी प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन बी12 और बी2 (राइबोफ्लेविन) मिल सकेंगें। इसमें कार्बोहाइड्रेट्स भी होता है जो बच्चे को ऊर्जा प्रदान करता है, जिसकी जरुरत उसे दिनभर होती है।

यदि आपका शिशु शाकाहारी या वीगन आहार पर है, तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि उसे सभी जरुरी पोषक तत्व मिलें जो कि इन आहारों में कम होते हैं जैसे कि विटामिन बी6, बी12, विटामिन डी, आयरन, प्रोटीन और ​कैल्शियम।

अपने शिशु की आहार योजना डॉक्टर की सलाह के अनुसार बनाएं। यह खासतौर पर तब जरुरी है जब ​आपका शिशु ढंग से खाता न हो और अपनी उम्र के अन्य शिशुओं की तुलना में लगातार कम दूध पीता हो और खाने से भी इसकी पूर्ति न हो रही हो तो। यदि डॉक्टर ने बच्चे ​के लिए सप्लीमेंट्स दिए हैं तो सुनिश्चित करें कि आप वे उसे अवश्य दें।

यदि आपके शिशु को दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो कि उसके खाने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, तो भी उसे सप्लीमेंट्स दिए जा सकते हैं। यदि आपके कोई भी सवाल या चिंता हो तो डॉक्टर से बात करने से न हिचकिचाएं।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
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