11 महीने के बच्चे का वजन कितना होना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Tue 27th Aug 2019 : 13:02

11 महीने के बच्चे का विकास और देखभाल से जुड़ी अहम बातें - Baby Development at 11 month

सुनिए कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है!

आप अपने बच्चे का पहला जन्मदिन मनाने से अब सिर्फ 1 महीने दूर हैं। इस बीते 1 साल में आपने अपने शिशु में कितने ही तरह के बदलाव देखे होंगे। माता-पिता होने के नाते आपके लिए भी यह समय कई तरह की मुश्किलों और उतार-चढ़ाव से भरा रहा होगा। जन्म के पहले साल में बच्चे में काफी विकास दिखता है और अब तक तो आपके बच्चे का वजन जन्म के समय के वजन (बर्थ वेट) की तुलना में दोगुना या उससे भी अधिक हो गया होगा।

अब जब आपका शिशु 11 महीने का हो चुका है तो इस स्टेज में भी आपको अपने शिशु में कई बदलाव और नई चीजें देखने को मिलेंगी। 11 महीने का होते-होते बच्चे उंगली से इशारा करना सीख जाते हैं, अगर किसी तरह का दर्द या तकलीफ हो तो कराहने लगते हैं, हां या ना में सिर हिलाने लगते हैं, बाय-बाय करने के लिए हाथ से वेव करना सीख जाते हैं और आप जैसे उनसे बात कर रहे हों उसी तरह से आपसे बात करने की भी कोशिश करते हैं। यह सब बच्चे का अलग-अलग तरीका होता है आपसे बातें करने का, आपसे संपर्क स्थापित करने का।

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पिछले कुछ महीनों में आपके बच्चे ने कुछ नई भावनाएं (इमोशन्स) सीखी हैं जैसे- डर लगना, सावधानी बरतना आदि तो वह सब भी 11 महीने का होते-होते आपको अपने बच्चे में नजर आने लगेगा। साथ ही बच्चे को क्या चाहिए कई बार वह इस बारे में भी आपको बताने की कोशिश करता है। इस दौरान बच्चे के साथ खेलते रहना बेहद जरूरी है क्योंकि इसी के जरिए आपका बच्चा नई-नई चीजें सीखता है। इस दौरान बच्चा अपने हाथ और उंगलियों का भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना सीखने लगता है। यही वजह है कि वह भोजन के वक्त खुद से खाना खाने की कोशिश करता है। फिर चाहे वह चम्मच से हो या फिर हाथ से।

11 महीने का होते-होते आपका बच्चा फर्नीचर या किसी और चीज को पकड़कर खड़ा होना सीख जाता है और कुछ बच्चे तो इस समय तक चलने के लिए पहला कदम भी बढ़ाने लग जाते हैं। हालांकि इस समय बच्चों को चलना उतना पसंद नहीं होता इसलिए वे थोड़ा सा चलकर फिर से वापस घुटनों के बल ही भागने लगते हैं।

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ऐसे में 11 महीने के शिशु का वजन और लंबाई कितनी होनी चाहिए, उसका शारीरिक और मानसिक विकास कितना होता है, 11 महीने के शिशु को क्या-क्या खिलाना चाहिए और उसकी गतिविधियां किस तरह की होनी चाहिए, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

11 महीने के शिशु का वजन और लंबाई - 11 Mahine ke shishu ka weight aur height
11 महीने के शिशु की गतिविधियां - 11 Mahine ke shishu ki activities
11 महीने के शिशु का संपर्क स्थापित करने का तरीका - 11 Mahine ke baby ka communication skills
11 महीने के शिशु का आहार - 11 Mahine ke bacche ka aahar
11 महीने के शिशु की नींद - 11 Mahine ke bacche ki neend
बच्चे के विकास में माता-पिता की भूमिका - Baby ke development me parents ka role

11 महीने के बच्चे का विकास और देखभाल से जुड़ी अहम बातें के डॉक्टर
11 महीने के शिशु का वजन और लंबाई - 11 Mahine ke shishu ka weight aur height

अगर इन 11 महीनों के दौरान आपका बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ रहा है तो आप महसूस करेंगे कि इस स्टेज पर आते-आते आपका बच्चा बेहद फुर्तीला और नटखट हो गया है। बच्चे में शारीरिक विकास भी स्पष्ट तौर पर नजर आने लगता है। इसी को ध्यान में रखते हुए 11 महीने के बच्चे का औसत वजन बेबी बॉय के लिए 20.8 पाउंड यानी करीब साढ़े 9 किलो के आसपास होना चाहिए और बेबी गर्ल के लिए 19.2 पाउंड यानी करीब साढ़े 8 किलो के आसपास। जैसे-जैसे बच्चा ऐक्टिव होता जाता है, उसकी गतिविधियां बढ़ती जाती हैं वैसे-वैसे बच्चे का वजन उतनी तेजी से नहीं बढ़ता जैसे पहले बढ़ा करता था।

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वहीं, बच्चे की लंबाई की बात करें तो हर महीने बच्चे की लंबाई औसतन करीब आधा इंच बढ़ती है और इस हिसाब से 11 महीने का होते-होते शिशु की औसत लंबाई बेबी गर्ल के लिए 28.7 इंच और बेबी बॉय के लिए 29.3 इंच होनी चाहिए। हालांकि अगर आपके शिशु का वजन या लंबाई इससे कम या अधिक है तो परेशान होने की बात नहीं, आप अपने शिशु के डॉक्टर पीडियाट्रिशन से इस बारे में बात कर सकते हैं।
11 महीने के शिशु की गतिविधियां - 11 Mahine ke shishu ki activities

11 महीने का होते-होते शिशु की पांचों इंद्रियां बेहतर तरीके से विकसित होने लगती हैं। बच्चे की देखने की क्षमता बेहतर होने लगती है और वह दूर से भी परिचित चेहरों और चीजों को पहचानने लगता है। साथ ही शिशु अपने चेहरे के माध्यम से अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं भी देना शुरू कर देता है। अगर कोई चीज हिल रही हो या गतिशील हो तो उसे भी शिशु आसानी से देख पाता है। इस दौरान बच्चे की सुनने की क्षमता भी विकसित होती जाती है। कुल मिलाकर बच्चा, एक साथ देखने और सुनने लगता है जिसकी वजह से वह अपने आसपास क्या हो रहा है इस बारे में नई-नई बातें सीखने लगता है।

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इस उम्र के बच्चे न सिर्फ तेजी से बढ़ते हैं बल्कि उससे भी ज्यादा तेजी से नई-नई बातें सीखते हैं। साथ ही वे आत्मनिर्भर भी बनने की कोशिश करते हैं। यही वजह है कि वह खुद से खाने की कोशिश करते हैं, चम्मच या कप को हाथों से पकड़कर मुंह तक लाने की कोशिश करते हैं, खुद से खड़े होकर चलने के लिए आगे कदम बढ़ाने लगते हैं। अगर आप भी बच्चे को चलने में मदद करने के इरादे से बेबी वॉकर दे रहे हैं तो बेहतर यही होगा कि आप इसे बच्चे को न दें। बच्चों को चूंकि आगे की तरफ झुकने की आदत होती इस कारण बेबी वॉकर खतरनाक हो सकता है और शिशु को चोट भी लग सकती है। इस दौरान बच्चों के मोटर स्किल्स के साथ-साथ उनका किसी चीज को पकड़ने का ग्रिप भी मजबूत होने लगता है।
11 महीने के शिशु का संपर्क स्थापित करने का तरीका - 11 Mahine ke baby ka communication skills

11 से 12 महीने के बच्चे अपने नाम से खुद को पहचानने के साथ-साथ दूसरों को भी पहचानने लगते हैं। शिशु माता-पिता के साथ-साथ दादा-दादी को भी पहचानने लगता है। यहां तक की बातचीत करने की कोशिश के दौरान हां और ना भी करना सीख जाते हैं। इस उम्र के बच्चों को म्यूजिक और धुन बहुत पसंद होती है और वह म्यूजिक सुनकर उत्साहित भी हो जाते हैं। इस उम्र के बच्चों को आप नर्सरी राइम्स, म्यूजिकल स्टोरीज आदि सुना सकते हैं।

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साथ ही बच्चे कुछ बेहद आसान निर्देशों का भी पालन करने लगते हैं। उदाहरण के लिए- अगर आप बच्चे से कहें कि यह खिलौना नीचे रख दो या वह किताब मुझे दे दो तो बच्चा आपकी बात सुनकर उसका पालन करता है। 11 महीने का शिशु अपनी चीजों को भी पहचानने लगता है। जैसे- अगर आप उससे कहें कि बॉल उठाओ या ट्रेन से खेलो तो हो सकता है कि वह इन चीजों को अपने ईर्द-गिर्द खोजने लगे।
11 महीने के शिशु का आहार - 11 Mahine ke bacche ka aahar

11 महीने का होते-होते आपका बच्चा खुद से खाने की कोशिश करने लग जाता है। फिर चाहे वह चम्मच का इस्तेमाल करके खाना हो या फिर उंगलियों का इस्तेमाल कर। आप भले ही अपने शिशु को ठोस आहार खिला रही हों लेकिन अब भी उसे दूध पिलाना जारी रखें। हर दिन शिशु को कम से कम 450 से 550 मिलिलीटर दूध जरूर पिलाएं। आप चाहें तो बोतल से दूध पिलाने की बजाए सिप वाला कप जिससे बच्चे को पानी पिलाती हैं उसी से दूध भी पिला सकती हैं।

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ठोस आहार की बात करें तो 11 महीने के बच्चे के लिए आपको अलग से खाना बनाने की जरूरत नहीं। आप जो खाना परिवार के बाकी सदस्यों के लिए बना रही हैं वह आप अपने बच्चे को खिला सकती हैं, बस ध्यान रहे कि खाना थोड़ा मसला हुआ हो तो ताकि शिशु आसानी से उसे निगल पाए। साथ ही खाने में ऐसी कोई भी चीज न हो जो शिशु के गले में फंसे और चोकिंग की समस्या हो। इसके अलावा 11 महीने के शिशु को गाय का दूध, नमक, चीनी, शहद, साबुत नट्स- ये सारी चीजें भी नहीं देनी चाहिए।

आप चाहें तो अपने 11 महीने के शिशु को सभी तरह के मौसमी फल और सब्जियां, अनाज, दालें, गाय का दूध छोड़कर सभी तरह के डेयरी प्रॉडक्ट्स जैसे- दही, पनीर, चीज आदि खिला सकती हैं। अगर आप नॉन वेज खाते हैं तो बच्चे को भी कीमा बनाकर (मिन्स्ड फॉर्म) में नॉन वेज खिला सकते हैं। लेकिन इस दौरान मात्रा यानी क्वॉन्टिटी का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। शिशु को सब्जियां, फल, अनाज आदि एक चौथाई कप से आधा कप और प्रोटीन या नॉन-वेज 3-4 चम्मच से ज्यादा न खिलाएं।

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11 महीने के शिशु की नींद - 11 Mahine ke bacche ki neend

आपका शिशु भले ही 11 महीने का क्यों न हो गया हो लेकिन अब भी उसे पीठ के बल ही सुलाना बेहतर होगा। हालांकि हो सकता है कि रात में सोते वक्त शिशु करवट लेकर पेट के बल सो जाए। लेकिन इस दौरान परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि एक बार आपका शिशु 8 महीने से अधिक का हो जाए उसके बाद आकस्मिक नवजात मृत्यु सिंड्रोम का खतरा धीरे-धीरे कम होता जाता है। 11 महीने का होते-होते बहुत से बच्चे दाएं या बांए किसी भी साइड से आराम से करवट लेना सीख जाते हैं और बहुत से बच्चों को तो पेट के बल ही सोना अच्छा लगता है।

11 महीने का शिशु रोजाना करीब 13 से 14 घंटे की नींद लेता है। इस दौरान रात में 11-12 घंटे की नींद और दिन में 1 से 2 घंटे की झपकी। हालांकि अगर आप बहुत लकी हैं तभी आपका बच्चा रात में आराम से बिना जगे 11-12 घंटे की नींद ले पाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर इस उम्र का हर 4 में 1 बच्चा ही रात में बिना जगे 8 घंटे की नींद ले पाता है। ज्यादातर बच्चे जो रात में नींद से जगते वे या तो भूखे होते हैं, या तो उन्हें ज्यादा गर्मी या ठंड लग रही होती है या फिर दांत निकलने की वजह से वह दर्द में होते हैं। अगर आप रात में बच्चे को अच्छे से खिलाकर या दूध पिलाकर सुलाएंगी तो बीच रात में बच्चे की नींद नहीं खुलेगी।

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बच्चे के विकास में माता-पिता की भूमिका - Baby ke development me parents ka role

आपका शिशु अपना पहला जन्मदिन मनाने से अब सिर्फ कुछ ही दिन दूर है और शिशु तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में माता-पिता किस तरह से बच्चे की मदद कर सकते हैं इसके लिए आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा।

बच्चे से खूब सारी बातें करें

ज्यादातर बच्चों को बातें करना बेहद पसंद होता है। वे तो चाहते हैं कोई दिनभर उनके साथ बैठकर बातें करता रहे और वह उनके साथ कुछ-कुछ बोलने की कोशिश करें। लिहाजा आप जितना हो सके बच्चे के साथ बात करें। अपने दिन के बारे में, आप क्या कर रही हैं, क्या बना रही हैं, किसी भी तरह की बात। इससे बच्चा शब्दों को समझने लगेगा और आप शिशु से जितना बात करेंगी उसके लिए उतना ही बेहतर होगा। ऐसा करने से शिशु का कम्यूनिकेशन स्किल भी बेहतर तरीके से विकसित होने लगता है।

बच्चे के साथ खेलें

बच्चे को ऐसे खिलौने दें जिससे उसकी कल्पनाशक्ति और रचनात्मकता विकसित हो जैसे- ब्लॉक्स का गेम या कार्डबोर्ड बॉक्स आदि। आप चाहें तो शिशु को घर से बाहर कुछ देर पार्क में ले जाकर भी खेल सकते हैं। पैरंट्स जब बच्चे के साथ समय बिताते हैं, खेलते हैं तो उन्हें सुरक्षित महसूस होता है।

बच्चे को कहानी सुनाएं

बच्चे की कल्पनाशक्ति और बोलने की क्षमता को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप बच्चे को कहानी सुनाएं, नर्सरी राइम्स सुनाएं, गाना सुनाएं आदि।

आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करें

बच्चे को अगर कोई चीज चाहिए तो आप उसे उठाकर दें इससे बेहतर है कि आप बच्चे को प्रोत्साहित करें कि वह खुद आगे बढ़कर उस चीज को उठाए। बच्चे दिनभर में जितनी गतिविधियां करेगा उसकी मांसपेशियां उतनी ही मजबूत बनेंगी। लेकिन इस दौरान बेहद जरूरी है कि आप अपने घर को सुरक्षित बनाकर रखें ताकि बच्चे को चोट न लग जाए।

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