3 महीने का बच्चा पेट में कैसे दिखता है?pregnancytips.in

Posted on Tue 8th Nov 2022 : 07:31

अल्ट्रासाउंड स्कैन के जरिये हमें पता चल सकता है कि शिशु गर्भ में अंदर क्या करते हैं। यदि आप भाग्यशाली रहीं तो एनॉमली स्कैन और तीसरी तिमाही के स्कैन के दौरान शिशु को हिलते-डुलते देख भी पाएंगी।

आपका शिशु गर्भावस्था की शुरुआत में काफी पहले से ही हिलना-डुलना शुरु कर देता है, आपको महसूस होने से काफी पहले। गर्भ में आपका शिशु निम्नांकित गतिविधियां करता है:

गर्भावस्था की शुरुआत में काफी पहले से ही आपका शिशु अपने शरीर को एक तरफ मोड़ना और अचानक से चौंकने लग जाता है। छोटे गुमटे जो उसकी बाजुएं और टांगें बनेंगे, वे भी अब उभरने लगते हैं।
जैसे-जैसे आपके शिशु की मांसपेशियां विकसित होती हैं, वह वह उन्हें मोड़ना और फैलाना और अपनी बाजुओं और टांगों को जोड़ों से मोड़ना शुरु कर देता है।
जब उसका मध्यपट (डायाफ्राम) मजबूत हो जाता है, तो शिशु हिचकी लेना शुरु कर देगा। यदि आपको लयबद्ध क्रम में बार-बार हलचल की महसूस हो, तो हो सकता है कि ये शिशु की हिचकियां हों!
10 सप्ताह की गर्भावस्था में आपका गर्भस्थ शिशु अपना सिर हिला सकता है, अपने चेहरे को छूने के लिए हाथ बढ़ा सकता है और अपना जबड़ा खोल सकता है।
गर्भावस्था के करीब 13 सप्ताह में शिशु एमनियोटिक द्रव निगलना शुरु कर देगा। कई बार आप जो खाती हैं उसका स्वाद एमनियोटिक द्रव में मिल जाता है, खासकर लहसुन जैसे तीक्ष्ण स्वाद। इसलिए आपके भोजन से शायद गर्भस्थ शिशु भी अपने पहले स्वाद चख रहा होगा।
आपका शिशु हर समय हिलता-डुलना नहीं रहता। वह झपकी भी लेना - शुरुआत में एक बार में कुछ मिनटों के लिए ही। जैसे-जैसे वह बड़ा होगा वह ज्यादा देर तक सोने लगेगा। जब आप उसकी हलचल महसूस करने लगती है, आप यह पैटर्न पहचानने लगती हैं कि शिशु कब सोता है और हिलता-डुलता नहीं है और कब जागता है और काफी ज्यादा हलचल करता है।
जैसे-जैसे शिशु बढ़ता है, वह आपको भी महसूस करने लगता है। यदि आप अपने पेट को हल्के से दबाएं तो वह और ज्यादा हिल-डुल सकता है।
आपके शिशु की अन्य ​इंद्रियां भी गर्भ में ही काम करना शुरु कर देती हैं और आप शायद पाएंगी कि तेज आवाज और रोशनी के प्रति वह अचानक से प्रतिक्रिया देता है। 22 सप्ताह की गर्भावस्था में शिशु गर्भ में पहुंच रही रोशनी की तरफ अपना सिर मोड़ना शुरु कर सकता है। इसी तरह 23 सप्ताह के करीब वह बाहर की आवाजें और शोर सुन सकता है और जब आप उससे बातें करें या संगीत सुनाए तो वह हिलकर अपनी प्रतिक्रिया दे सकता है।
जब शिशु के तालमेल में सुधार आता है, तो वह अपना अंगूठा चूसना या गर्भनाल (अम्बिलिकल कॉर्ड) से खेलना भी शुरु कर सकता है।
जब आपको शिशु की हलचल की आदत पड़ जाती है, तो आप शायद यह बता पाएंगी कि वह कब अपने अंगों को फैल रहा है, क्योंकि तब आपको शिशु की लात या धक्के जैसा महसूस होगा। जब आपका शिशु गर्भ में अपनी स्थिति बदलता है तो भी आपको पता चल जाएगा क्योंकि तब आपके गर्भ के आकार में बदलाव आ सकता है।
गर्भावस्था के अंत में आप पाएंगी कि शिशु की गतिविधियां अब कुछ अलग हैं। शिशु के पास अब हिलने-डुलने के लिए कम जगह होती है, इसलिए शायद उसकी हलचल अब छोटी होंगी, मगर आपको उसका हिलना-डुलना पहले की तरह की महसूस होना चाहिए।

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आपने शायद सुना हो कि आपको गर्भस्थ शिशु की हलचल को गिनना चाहिए, मगर शोध दर्शाती है कि शिशु की गतिविधियों पर नजर रखना वास्तव में फायदेमंद नहीं है। यह आपको बेवजह चिंता में भी डाल सकती हैं।

इस बात कि कोई निर्धारित संख्या नहीं है कि शिशु कितनी बार हाथ-पांव चलाएगा। अपने शिशु की गतिविधियों को लिख कर रखने या चार्ट बनाने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। इसकी बजाय उसकी हलचल के तरीके को समझें।
इससे हमारा मतलब है कि आप जानें कि आमतौर पर दिन के किस समय शिशु सक्रिय व क्रियाशील रहता है और किस समय वह शांत रहता है।

गर्भावस्था के बढ़ने के साथ-साथ शिशु की गतिविधियों की लय को समझना भी आसान होता जाता है। हर शिशु का सोने और जागने का पैटर्न अलग होता है, मगर आप जान जाएंगी कि आपके शिशु के लिए सामान्य क्या है।

अगर, आप अपने शिशु की गतिविधि के तरीके में कोई बदलाव देखती हैं या फिर किसी भी स्तर पर आपको कोई भी चिंता हो, तो अपनी डॉक्टर या अस्पताल से संपर्क करें और उनकी सलाह का पालन करें। वे शायद आपको आने और स्कैन करवाने के लिए कहेंगे, ताकि पता चल सके कि शिशु ठीक-ठाक है।

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