34 वीक प्रेगनेंसी इन हिंदी?pregnancytips.in

Posted on Fri 5th Aug 2022 : 16:40

Pregnancy 34th Week में थकान और कब्‍ज करेगी परेशान


34 week Pregnancy में आपका बच्‍चा अपनी पूरी लंबाई पा चुका है। वह अब आपके पेट से बाहर आने का इंतजार कर रहा है। जानिए इस सप्‍ताह के क्‍या लक्षण होंगे।
pregnancy 34th week
प्रेगनेंसी का 34वां सप्‍ताह मान‍सिक और शारीरिक रूप से आपके लिए थकाऊ होगा। इस समय आप प्रेगनेंसी के लक्षणों की वजह से बहुत परेशान रहेंगीं। अब आपको ज्‍यादा से ज्‍यादा आराम करने की जरूरत है।


अपनी प्रेगनेंसी के 34वें सप्‍ताह में बढ़ते वजन से, हाई बीपी और अनिद्रा जैसी समस्‍याओं से आप थक चुके होंगी। आपकी डिलीवरी की तारीख भी अब नजदीक आ रही है इसलिए आप अधिक से अधिक आराम करें। इस सप्‍ताह के लक्षण भी पिछले सप्‍ताहों जैसे होंगे।


प्रेगनेंट महिला के शरीर में बदलाव
शिशु के बढ़ने के कारण पेट के आसपास का वजन बढ़ जाएगा। फलूइड रिटेंशन की वजह से भी आप मोटी लग सकती हैं। ऐसे में ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पीएं। मां और शिशु के लिए हाइड्रेट रहना बहुत जरूरी है। शिशु के बढ़ने के साथ आपके गर्भाशय में भी एमनीओटिक फलूइड का स्‍तर बढ़ने लगेगा।
बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी

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आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।

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प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।

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प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।

बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।

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हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।


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तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।


लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।

ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।



बच्‍चे का विकास
इस समय आपके गर्भ में पल रहा बच्‍चा लगभग 17 इंच लंबा होगा और वजन लगभग सवा दो किलो के आसपास होगा। इसकी यह लंबाई जन्‍म के समय भी लगभग इतनी ही रहेगी।

प्रेगनेंसी के 34वें सप्‍ताह के लक्षण

कब्‍ज और गैस :आपको कब्‍ज और गैस की समस्‍या रहेगी, पीठ में दर्द होगा, पैरों में ऐंठन भी रहेगी, कभी-कभी अतिरिक्‍त वजन की वजह से आपको कूल्‍हे से किसी एक पैर तक तेज दर्द हो सकता है या सायटिका का दर्द है। इससे बचने के लिए ज्‍यादा देर खड़े न रहें, जरूरी हो तो डॉक्‍टर से संपर्क करें। अनिद्रा के हालात भी रह सकते हैं।
बीपी : बीपी हाई रहने की वजह से चक्‍कर आ सकते हैं, नाक बंद रह सकती है, नाक या मसूड़ों से कभी-कभी खून आ सकता है। चेहरे पर धब्‍बे या झाईं की समस्‍या हो सकती है।
नकली लेबर पेन इसे डॉक्‍टरी भाषा में Braxton Hicks Contractions भी कहते हैं। इनके होने का मतलब है कि आपका शरीर डिलिवरी की रिहर्सल कर रहा है। इस दौरान आपके गर्भाशय के ऊपरी हिस्‍से से संकुचन शुरू होकर नीचे की ओर बढ़ते हैं। ये 15 से 30 सेकंड तक रहते हैं कभी-कभी इससे ज्‍यादा भी। ऐसी स्थिति में आपको अपनी पोजीशन बदल लेनी चाहिए। मतलब अगर बैठी हैं तो खड़ी हो जाइए या कुछ कदम चलने लगिए। ये रुक जाएंगे। अगर ये न रुकें और समय के साथ बढ़ते जाएं तो समझ लीजिए आपके लेबर पेन की शुरूआत हो चुकी है। डॉक्‍टर से संपर्क कीजिए।
वजाइनल डिस्‍चार्ज :इस समय वजाइना से गाढ़ा पदार्थ निकलता है। यह आपको इन्‍फेक्‍शन से बचाने के लिए है। लेकिन अगर इसकी जगह पानी जैसा तरल निकलने लगे तो समझ जाइए कि डिलीवरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसी स्थिति में बिना घबराए कोई सूती चादर या तौलिया इस तरह अपने पैरों के बीच लगा लीजिए कि पानी तेजी से न निकले और डॉक्‍टर के पास जल्‍द से जल्‍द पहुंचने की कोशिश करें।
सीने में जलन : गर्भाशय के बढ़ने पर पेट और अंदरूनी अंगों पर दबाव पडता है जिससे अपच और सीने में जलन हो सकती है। मसालेदार खाना खाते समय इस बात का ध्‍यान रखें कि इससे सीने में जलन न हो। इन चीजों से जितना हो सके दूर ही रहें। थोड़ा खाएं।

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प्रेगनेंट महिलाएं इस समय क्‍या करें

इस समय आप डिलीवरी के प्रक्रिया के बारे में जानने की कोशिश करें और खुद को उसके लिए तैयार करें। डिलीवरी के समय आने वाली किसी भी तरह की जटिलता के लिए भी आपको खुद को तैयार रखना है। ग्रुप बी स्‍ट्रेप्‍टोकोकस स्‍क्रीनिंग टेस्‍ट करवा लें। योग और मेडिटेशन जरूर करें ताकि आप और आपका बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहें। योग से डिलीवरी में भी मदद मिलेगी।

solved 5
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