35 सप्ताह गर्भवती लक्षण की अनदेखी करने के लिए नहीं?pregnancytips.in

Posted on Mon 27th Jul 2020 : 00:01

Pregnancy 35th Week में कब्‍ज, नकसीर और गैस जैसे लक्षण दिखेंगें

आपके बच्‍चे का हर दिन वजन बढ़ रहा है और जन्‍म के समय तक बढ़ता रहेगा। बच्‍चे के पैदा होने तक आराम कीजिए और खुद को प्रसव के लिए तैयार कीजिए।
अपने बच्‍चे से मिलने में अब ज्‍यादा समय बाकी नहीं बचा है। अभी आप अपने बच्‍चे के लिए कोई प्‍यारा सा नाम सोच सकती हैं। हालांकि, गर्भावस्‍था की थकान अभी भी बनी रहेगी।
35 Week Pregnancy में आपके बच्‍चे का वजन हर दिन 30 ग्राम बढ़ रहा है। जैसे-जैसे बच्‍चे का वजन बढ़ रहा है वैसे-वैसे उसे घेरने वाला एमनियोटिक द्रव कम होता जाएगा। इसके साथ आपकी दिक्‍कतें भी बढ़ेंगी। जानिए क्‍या होंगे आपके और बच्‍चे के इस हफ्ते के लक्षण।
प्रेगनेंट महिला के शरीर में बदलाव
ब्रेस्‍ट से मिल्‍क लीक हो सकता है। इसे कोलोस्‍ट्रम कहते हैं। वजन भी बढ़ेगा। थकान के कारण आपको काम करने में दिक्‍कत होगी, वहीं पेट बढ़ने की वजह से भी आप काम नहीं कर पाएंगीं।
करीना कपूर की तरह सेकंड प्रेगनेंसी में रहता है प्रीक्‍लैंप्सिया का खतरा

यह स्थिति प्रेगनेंट महिलाओं में ही होती है लेकिन कुछ मामलों में डिलीवरी के बाद भी हो सकती है। इसकी वजह से हाई ब्‍लड प्रेशर हो जाता है और कोई अंग फेल भी हो सकता है।

यह आमतौर पर प्रेगनेंसी के 20वें सप्‍ताह के बाद होता है और उन महिलाओं को भी हो सकता है जिन्‍हें प्रेगनेंसी से पहले हाई ब्‍लड प्रेशर न हुआ हो। इसके कारण मां और बच्‍चे दोनों के लिए जानलेवा स्थितियां पैदा हो सकती हैं।

यदि प्रेगनेंट महिला को अपनी पहली गर्भावस्‍था में प्रीक्‍लैंप्‍सिया हुआ हो तो दूसरी बार में इसका खतरा बढ़ जाता है। पहली प्रेगनेंसी के किस महीने में आपको हाई बीपी की प्रॉब्‍लम हुई थी और उस समय इसकी गंभीरता पर ही सेकंड प्रेगनेंसी में जोखिम का पता चलता है।
प्रेगनेंसी में हाई ब्‍लड प्रेशर के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन प्रेगनेंसी से पहले निम्‍न समस्‍याएं होने या पहली प्रेगनेंसी में प्रीक्‍लैंप्‍सिया होने से इसका खतरा बढ़ जाता है।
गर्भावस्‍था से पहले हाई ब्‍लड प्रेशर या किडनी डिजीज होना।प्रीक्‍लैंप्सिया या हाई ब्‍लड प्रेशर की फैमिली हिस्‍ट्री होना।20 से कम या 40 से अधिक उम्र में मां बनना।जुड़वां या दो से ज्‍यादा बच्‍चे होना।दो बच्‍चों में 10 साल से ज्‍यादा अंतर होना।

दूसरी बार में भी प्रीक्‍लैंप्सिया के लक्षण वैसे ही होते हैं जैसे पहली बार में सामने आते हैं। इसमें सिरदर्द, आंखों से धुंधला दिखाई देना, उल्‍टी या मतली, पेट दर्द, सांस लेने में दिक्‍कत, पेशाब कब आना और चेहरे पर सूजन।

इसकी जांच के लिए डॉक्‍टर ब्‍लड प्रेशर और खून एवं पेशाब की जांच करते हैं।

अगर आपको दूसरी प्रेगनेंसी में भी प्रीक्‍लैंप्सिया हो जाता है तो मां और बच्‍चे को नियमित मॉनिटर किया जाता है। ट्रीटमेंट इस बीमारी को बढ़ने से रोकने पर फोकस होती है और जब तक शिशु गर्भ में पूरी तरह से विकसित नहीं हो जाता है तब तक डिलीवरी को टालने की कोशिश की जाती है।

डॉक्‍टर मां और बच्‍चे की सेहत को मॉनिटर करते हैं। कुछ ट्रीटमेंट या मॉनिटरिंग के लिए अस्‍पताल में भर्ती भी करवाना पड़ सकता है। यह बीमारी की गंभीरता, शिशु की जेस्‍टेशनल उम्र और डॉक्‍टरी सलाह पर निर्भर करता है।

इसमें ब्‍लड प्रेशर को कम करने, शिशु के फेफड़ों को पूरी तरह से विकसित करने के लिए कोर्टिकोस्‍टेरॉइड, दौरे रोकने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान बीपी नियमित चेक करवाते रहें।

आपके बच्‍चे का विकास
आपका बच्‍चा इस समय 17 या 18 इंच लंबाई का होगा। उसका वजन भी लगभग 2.5 किलो के आसपास हो गया होगा। उसका वजन जन्‍म तक बढ़ता रहेगा, मतलब आपका दुबला-पतला बच्‍चा अब अपने लिए फैट इकट्ठा कर रहा है।

प्रेगनेंसी के 35वें सप्‍ताह के लक्षण
इस समय बढ़ता वजन आपके दैनिक कामकाज और दिनचर्या में बाधा डालने लगा होगा। लेकिन यह स्‍वभाविक है वैसे भी अब कुछ ही हफ्तों की बात है। आपके सामान्‍य लक्षण पहले जैसे ही हैं:

सांस लेने में समस्‍या : जैसे बच्‍चे का आकार बढ़ता है आपके फेफड़ों पर दबाव बढ़ता जाता है। इसीलिए आपको सांस लेने में ज्‍यादा मेहनत करनी पड़ रही है।
पैरों में क्रैम्‍प्‍स पड़ना या ऐंठन : पैरों में क्रैम्‍प्‍स का सीधा सा हल है पानी पर्याप्‍त मात्रा में पिएं। खाली पानी पीने की जगह शिकंजी, नारियल पानी या फ्रूट जूस पिएं।
थकान के साथ चक्‍कर आना : आपको थकान के साथ चक्‍कर आने की समस्‍या हो रही होगी। असल में गर्भधारण में अहम भूमिका निभाने वाला हार्मोन प्रोजेस्टेरोन आपकी खून की नलियों को चौड़ा कर देता है। आने वाले समय में आपके शरीर में सामान्‍य अवस्‍था से लगभग 50 प्रतिशत खून ज्‍यादा होगा। शरीर को इस नई स्थिति के अनुकूल बनने में कुछ समय लगेगा।
कब्‍ज और बवासीर : बढ़ते वजन, आयरन की गोलियों के असर की वजह से अगर आपकी कब्‍ज बढ़ जाए तो यह बवासीर में बदल सकती है। अभी भी ध्‍यान न दिया जाए तो इनसे खून बहने लगता है। इससे शरीर में खून की कमी हो सकती है। इसलिए शुरू से ही फाइबर वाले फल-सब्जियां खानी चाहिए और पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीना चाहिए। जरूरी हो तो डॉक्‍टर से संपर्क करें। यह भी पढ़ें : क्या प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा पानी पीना चाहिए?
नाक से खून : शरीर में खून की अधिकता से आपका बीपी थोड़ा बढ़ जाता है। इस वजह से आपकी नाक की बारीक धमनियां कभी-कभी फट जाती हैं और थोड़ी मात्रा में खून की बूंदें निकलने लगती हैं। ऐसा हो तो सिर ऊपर करके बैठ जाएं, घबराएं नहीं। ध्‍यान रहे कि सिर ज्‍यादा पीछे न करें वरना खून गले में जाने लगेगा। नाक पर बर्फ लगा सकते हैं। पेट उठने वाले मरोड़ों, वजाइनल डिस्‍चार्ज और बच्‍चे के मूवमेंट पर लगातार नजर बनाए रखिए।
प्रेग्नेंसी में मां और बच्चे दोनों को सेहतमंद रखेगा परिवृत जानुशीर्षासन
प्रेगनेंट महिलाएं इस समय क्‍या करें
इस सप्‍ताह संतुलित आहार लेना आपके लिए बहुत जरूरी है। एक्टिव रहें और जब भी हो सके पैदल चलें। प्रेगनेंसी में वॉक बहुत फायदेमंद होती है। इस समय आप अपना हॉस्‍पीटल बैग तैयार कर सकती हैं। अब आपका रिलैक्‍स और खुद का ध्‍यान रखने का समय है। प्रेगनेंसी मसाज ले सकती हैं।

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wordpress 3 years ago 5 Answer
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