4 महीने के बच्चे की मालिश कैसे करें?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 11:14

4 महीने के बच्चे की मालिश-
शिशुओं को एक ही तरह की दिनचर्या और बार-बार चीजों को दोहराया जाना अच्छा लगता है। इसलिए अगर आप हर बार शिशु की एक ही तरीके से मालिश करेंगी, तो वह समझ जाएगा कि आगे क्या होने वाला है और वह मालिश का और अधिक आनंद लेगा।

शिशु की मालिश की शुरुआत उसके पैरों से करें और फिर शरीर से करते हुए सिर की मालिश से समाप्त करें। टांगों से शुरुआत करना सही रहता है, क्योंकि आपके शिशु को नैपी बदलने के दौरान टांगों को छुए जाने की आदत होती है।

* तेल, बेबी मॉइस्चराइजर या क्रीम की कुछ बूंदें अपने हाथ में लें। दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ कर तेल या क्रीम को थोड़ा गर्म करें।
* बेहद सौम्यता से इसे शिशु की त्वचा पर लगाएं। शुरुआत टांगों से करें।
* नीचे से मालिश करते हुए टांगों के ऊपर की तरफ जाएं। आप सौम्यता से दूध दुहने के अंदाज में उसकी जांघों से नीचे पैरों की उंगलियों तक जाएं।
* यही तरीका उसकी बाजूओं और हाथों पर आजमाएं। उसके कंधों से शुरु करते हुए नीचे उंगलियों तक आएं।
* शिशु के पैरों की उंगलियां एक-एक करके अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच लेकर सौम्यता से बाहर की ओर खींचें। यही प्रक्रिया हाथों की उंगलियों पर भी दोहराइए। शिशु की उंगलियों के जोड़ों को चटकाने का प्रयास न करें, इससे उसे दर्द या चोट पहुंच सकती है।
* शिशु की छाती और पेट पर घड़ी की सुई की दिशा में गोलाकार में मालिश कीजिए। शिशु के पेट पर हल्के दबाव के साथ की गई गोलाकार मालिश उसके पाचन तंत्र में सुधार ला सकती है।
* घुटने के नीचे की तरफ से शिशु की टांगों को पकड़ें और ऊपर की तरफ उन्हें मोड़ते हुए, उसके घुटनों को हल्के से पेट पर दबाएं। इससे उसे पेट के अंदर की गैस को निकालने में मदद मिलेगी।
* शिशु की छाती से जांघों तक लंबे हाथ फेरते हुए आगे की मालिश पूरी करें। अपना एक हाथ आड़ा करके शिशु की छाती पर रखें, और लंबा हाथ फेरते हुए नीचे की तरफ आएं। यही समान प्रक्रिया दूसरे हाथ के साथ भी करें और ऐसा कुछ बार दोहराएं।
* शिशु की पीठ की मालिश करने के लिए उसे पेट के बल लिटाइए। घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत बड़े गोलाकार अंदाज में शिशु के नितंबों से ऊपर पीठ की तरफ जाएं और फिर कंधों तक मालिश करें। शिशु की रीढ़ की हड्डी को न दबाएं, इससे शिशु को तकलीफ पहुंच सकती है।
* जैसा कि आपने आगे की तरफ किया था, वैसे ही पीछे भी कंधों से पैरों तक लंबा हाथ फेरते हुए पीठ की मालिश पूरी करें।

भारत में, सिर की मालिश किए बिना शिशु की मालिश पूरी नहीं होती। मगर, कुछ शिशुओं को दूसरों की तुलना में सिर की मालिश करवाने में अधिक आनंद आता है।

आपको आपको कुछ एहतियात बरतने होंगे और नवजात शिशु के सिर को बेहद सौम्यता के साथ छूना होगा, क्योंकि उसकी खोपड़ी की हड्डियां अभी तक जुड़ी नहीं होंगी। आप उसके सिर पर नरम स्थान देखेंगी, जो कि कभी-कभी फड़कते भी हैं। इन्हें कलांतराल (फॉन्टानेल) कहा जाता है।

शिशु के सिर पर ऐसे दो कलांतराल होते है, बड़ा कलांतराल सिर के ठीक ऊपर की तरफ होता है, और एक छोटा सिर के पीछे की ओर होता है। पीछे का नरम स्थान शिशु के करीब छह सप्ताह का होने तक बंद हो जाता है, जबकि आगे वाला कलांतराल शिशु के करीब 18 महीने का हो जाने पर बंद होता है।

शुरुआती छह हफ्तों में शिशु के सिर की मालिश करते हुए इस पर कोई दबाव न डालें। बस हल्के से थपथपाते हुए तेल उसके सिर पर सभी जगह लगा दें। तेल को अपने आप ही सोखने दें। शिशु का सिर जब थोड़ा कठोर होने लगे, तो आप अपनी उंगलियों से हल्का दबाव डालते हुए गोलाकार तरीके से उसके सिर की मालिश कर सकती हैं। लेकिन, ध्यान रखें कि शिशु के सिर के ठीक ऊपर वाले कलांतराल पर कभी भी दबाव न डालें, क्योंकि यह स्थान अभी भी नरम होता है।

जैसे-जैसे शिशु के सिर की हड्डियां बढ़ती हैं और एक साथ जुड़ने लगती हैं, तो शिशु के सिर के ये नरम स्थान स्वयं बंद होकर कठोर होने लगते हैं।

जब तक आपका शिशु अपना सिर खुद उठा पाने में सक्षम नहीं हो जाता, तब तक उसके सिर पर तेल, पीठ के बल लेटी अवस्था में ही लगाएं। इस तरीके से अगर तेल टपकता भी है, तो वह शिशु के मुंह पर आने की बजाय पीछे की ओर ही गिरेगा। जब शिशु सिर का नियंत्रण करने लग जाए, तो आप उसे पेट के बल उल्टा लिटा कर सिर पर तेल लगा सकती हैं। यह अवस्था शायद आपको उसकी मालिश करने में और सुविधाजनक लगे।

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