4 महीने के बच्चे को रात में बिना खाए कितने समय तक सोना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Tue 18th Oct 2022 : 14:10

दिनभर सोता है शिशु, खुश होने की बजाय समझ लें खतरे की घंटी, कारण सुन पड़ जाएंगे मुश्किल में
पेरेंट बनने के बाद कपल्‍स की सबसे बड़ी शिकायत यही होती है कि बच्‍चा होने के बाद उनकी चैन की नींद छूट गई है। रात को कभी बच्‍चे को दूध पिलाने के लिए उठना पड़ता है तो कभी उसकी नैपी बदलने के लिए। इसी चक्‍कर में नवजात शिशु के पेरेंट्स की नींद पूरी नहीं हो पाती है।

जन्‍म के बाद कुछ महीनों तक बच्‍चे का स्‍लीपिंग पैटर्न नहीं बना होता है और कभी-कभी बच्‍चे ज्‍यादा नींद ले लेते हैं। ऐसे में पेरेंट्स सोचते हैं कि बच्‍चे के सेाने पर वो भी झपकी ले लें। हालांकि, कुछ मामलों में बच्‍चे का ज्‍यादा सोना चिंता का कारण हो सकता है।

​नवजात शिशु को कितनी नींद चाहिए

जैसे-जैसे बच्‍चा बड़ा होता है, वैसे-वैसे उसकी नींद की जरूरत भी बदलती रहती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्‍लीप मेडिसिन के अनुसार नवजात शिशु से लेकर 12 महीने तक के बच्‍चे को 12 से 16 घंटे की नींद दिन में चाहिए होती है। वहीं एक से दो साल के बच्‍चे को दिन में 11 से 14 घंटे की नींद लेनी होती है।

आमतौर पर नवजात शिशु दिन में तीन से चार घंटे के गैप में 30 से 45 मिनट सोते हैा और एक साल के होने पर वो रात काे देर तक सोना शुरू कर देते हैं।

​क्‍या ज्‍यादा सो सकते हैं बच्‍चे

जी हां, शिशु ज्‍यादा नींद ले सकता है। अगर आपका बच्‍चा एक या दो घंटे ज्‍यादा सोता है तो ये नॉर्मल बात है। हालांकि, तीन से चार घंटे ज्‍यादा सोना चिंता का विषय है।

बीमार होने या थकान में चार से छह महीने के शिशु एक या दो घंटा कभी-कभी ज्‍यादा सो सकते हैं लेकिन अगर बच्‍चा पूरे दिन में 20 से 22 घंटा ज्‍यादा सोता है और दूध पीने तक के लिए नहीं उठता है तो यह चिंता की बात है।
​शिशु के ज्‍यादा सोने का कारण

बच्‍चे के ज्‍यादा नींद लेने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि :

वैक्‍सीन लगवाने के बाद बच्‍चों को ज्‍यादा नींद आती है। इम्‍यूनाइजेशन दिन में करवाने से बच्‍चे को दिन में ज्‍यादा नींद आ सकती है।
बाकी दिनों की तुलना में किसी दिन ज्‍यादा एक्टिव रहने पर बच्‍चा थकान से सो सकता है।
पीलिया के गंभीर होने पर भी बच्‍चे को सुस्‍ती महसूस हो सकती है। अमेरिकन प्रेग्‍नेंसी एसोसिएशन के अनुसार गंभीर पीलिया की स्थिति में शिशु को दूध पीने में दिक्‍कत और बहुत सुस्‍ती आती है।
इंफेक्‍शन या लो ब्‍लड शुगर की वजह से थकान, सुस्‍ती और आलस महसूस हो सकता है। अगर आपके बच्‍चे को दूध पीने के लिए भी उठने में दिक्‍कत हो रही है तो आपको इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।


​क्‍या करें

अगर आपका बच्‍चा दूध पीने के लिए भी नींद से नहीं जागता है तो उसके गालों को प्‍यार से सहलाते हुए उसे उठाएं। बच्‍चे को उठाने के लिए उसकी हथेलियों और तलवों पर भी हाथ फेर सकती हैं।

यदि बच्‍चा दूध पीना शुरू करने के कुछ मिनट बाद ही सो जाता है तो उसे ब्रेस्‍ट से हटाकर पहले जगाएं और फिर दूध पिलाएं। आप शिशु को जगाने के लिए ठंडे और साफ कपड़े को उसके चेहरे पर भी फेर सकती हैं।

छह महीने और इससे अधिक उम्र के बच्‍चे को खिलौनों या अन्‍य किसी तरह से उलझा कर रखें और नींद होने के समय तक उसे सोने ना दें। स्‍लीपिंग पैटने बनाने के लिए आपको बच्‍चे को दिन में एक्टिव रखना होगा।

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