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ये सब काम करने लगता है 4 महीने का शिशु, पेरेंट्स जरूर करें नोटिस
अगर आपका बच्चा भी चार महीने का है, तो आपकाे पता होना चाहिए कि इतना बड़ा बच्चा क्या कुछ सीख लेता है।
जन्म के बाद हर महीने शिशु का विकास आगे बढ़ता रहता है। पैदा होने के बाद शुरुआती चार महीनों में बच्चा मूव करने से लेकर जमीन पर खिसक-खिसक कर चलने लगता है और अब वह अपने आसपास की चीजों को भी पहचानने लगता है।अगर आपका भी बेबी चार महीने का है या होने वाला है, तो यहां जान लीजिए कि इतने बड़े बच्चे का कितना विकास हो चुका होता है और वो क्या-क्या करने लगता है।
बच्चे का कॉग्नीटिव विकास
जब बच्चे का डायपर गीला हो जाएगा या उसे भूख लगेगी, तो उसके रोने की टोन अलग होगी। जब आप शिशु को दूध पिलाने की पोजीशन में लेंगी, तो वो अपने आप ही मुंह खोल लेगा। वहीं खिलौना देखने पर बच्चा खुश हो जाएगा और उसे लगेगा कि अब उसके खेलने का टाइम है।
बच्चे को अपने पसंदीदा खिलौने, लोग और चीजें याद रहेंगी। चेहरे के हाव-भाव से बच्चा दुखी होने के संकेत देता है।
फिजीकल डेवलपमेंट
4 महीने का बच्चे पीठ के बल लेटकर खिलौनों से खेल सकता है। वो खिलौनों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने मुंह में भी ले सकता है।अब बच्चा रोल कर के अपनी पसंद की चीजों के पास पहुंच सकता है। कुछ देर के लिए बच्चा बिना सपोर्ट के बैठ सकता है और आपके पकड़ने पर खड़ा भी हो सकता है।
शिशु अपने सिर को सीधा रख सकता है और अब उसका सिर पहले की तरह सपोर्ट नहीं मांगता है। बेबी अपने सिर को दाएं और बाएं घुमा सकता है।
बेबी का स्लीप पैटर्न
अब शिशु रोज समय पर सोने लगेगा। दिन में दो से तीन बार झपकी लेने के साथ बच्चा 12 से 14 घंटे तक सोता है। रात को शिशु लगातार आठ घंटे तक सो सकता है और दूध पीने के लिए नहीं उठता है। हालांकि, कुछ बेबी अभी भी रात में तीन बार दूध पीने के लिए उठ सकते हैं।
शाम को बच्चा चिड़चिड़ा हो सकत है इसलिए इस समय उसके साथ लेट जाएं। चार महीने का बच्चा एक से दो घंटे की झपकी लेता है।
सोशल और इमोशनल डेवलपमेंट
अगर आप बच्चे से बात करते हैं या उसे खुद प्यार और दुलार दिखाते हैं, तो बच्चा खुशी से चीखें मारने लगता है। पेट पर गुदगुदी करने पर बच्चा खूब खुश होता है।
शिशु के अंगूठा चूसने का मतलब है कि वो खुद को आराम दे रहा है। बेबी अपने घर पर आने वाले हर अनजान व्यक्ति को देखकर खुश होता है।
डॉक्टर को कब दिखाएं
अगर बच्चा आवाजें नहीं निकाल रहा है, दूसरों के बोलने पर कुछ रिएक्ट नहीं कर रहा है, इमोशनल संकेतों पर रिस्पॉन्स नहीं कर रहा है या उसे खिलौनों से खेलने में कोई दिलचस्पी नहीं है तो आपको एक बार डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।
इतने छोटे बच्चे को टीवी न दिखाएं। उसे एंगेज रखने के लिए साउंड और वॉइस सुनाएं। बच्चे को कई तरह के खिलौने खेलने के लिए दें। बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब से सभी वैक्सीन लगवाएं। घर को साफ-सुथरा खरखें ताकि बच्चे के बढ़ते हुए इम्यून सिस्टम को मजबूती मिले।
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