6 सप्ताह गर्भावस्था लक्षण?pregnancytips.in

Posted on Wed 26th Dec 2018 : 12:23

Pregnancy symptoms week 6: मॉर्निंग सिकनेस और कब्‍ज कर सकती है परेशान, जानिए अन्‍य लक्षण

जी मिचलाने, थकान, चिड़चिड़ाहट के बीच आप प्रेग्‍नेंसी के छठे हफ्ते में पहुंच गई हैं। यह सब सामान्‍य है, मातृत्व के इन दिनों को रस लेकर जीने की कोशिश कीजिए। खुश रहिए ताकि आने वाला बच्‍चा भी खुशियां लेकर पैदा हो।

pregnancy sixth week
प्रेगनेंसी के छठे सप्‍ताह में शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। इस सप्‍ताह में गर्भाशय का आकार बढ़ने लगता है। इस समय आपको बार-बार पेशाब आने की शिकायत हो सकती है।

छह हफ्तों की प्रेग्‍नेंसी में आकर आपको अपने शरीर में होने वाले छोटे-छोटे बदलाव समझ में आने लगे होंगे। खासकर आपके मूड का बार-बार बिगड़ना और जी मिचलाना। चलिए देखते हैं कि छह हफ्तों की प्रेग्‍नेंसी के क्‍या-क्‍या आम लक्षण हैं।

शिशु का विकास
गर्भावस्‍था के छठे सप्‍ताह में शिशु की लंबाई ⅛ से 1/4 इंच तक होती है। इस समय बच्‍चा अनार या मटर के दाने जितना होता है। बांह, टांग और कानों पर छोटे बड्स आ चुके होते हैं। मस्तिष्‍क, फेफड़े और अन्‍य अंग भी विकसित हो रहे होते हैं।
भ्रूण की स्किन पर पतली परत आ चुकी होती है। इस स्‍टेज पर आप वैजाइनल अल्‍ट्रासाउंड से बच्‍चे की दिल की धड़कन का पता लगा सकते हैं।

बच्‍चे का आकार
अब आपका बेबी तेजी से बढ़ रहा है। जो भ्रूण पिछले हफ्ते संतरे के बीज जितना था अब वह मटर के दाने के बराबर हो गया है। सबसे अच्‍छी खबर यह है कि अब आप उसके दिल की धड़कन सुन सकते हैं।
बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी


आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।

प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।

प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।

बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।

हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।

तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।

लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।

ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।

जबर्दस्‍त मॉर्निंग सिकनेस
हालांकि यह मुश्किल दौर है लेकिन लगभग सभी महिलाओं को इससे गुजरना पड़ता है। इससे मुकाबला करने के लिए इसे समझना जरूरी है। सुबह उठते ही जी मिचलाने की एक बड़ी वजह यह होती है कि आपका पेट खाली होता है। इसलिए उठते ही कोशिश करें कि विटामिन सी वाला कोई फल खा लें, जैसे, संतरा वगैरह।
इससे मॉर्निंग सिकनेस पर रोक लगेगी। कोशिश करें कि सुबह नीबू पानी या नारियल पानी का ग्‍लास पी लें। कभी-कभी आयरन की गोली खाने के बाद भी जबर्दस्‍त जी मिचलाता है। इसका उपाय यह है कि गोली को एक ग्‍लास नीबू पानी के साथ लें। विटामिन सी,आयरन को शरीर में आसानी से समाने देती है।

बार-बार यूरिन की इच्‍छा
बार-बार यूरिन की इच्‍छाइसलिए होती है क्‍योंकि आपके पेडू वाले इलाके में ब्‍लड फ्लो तेजी से बढ़ गया है। आप इसमें कुछ खास नहीं कर सकते, बस सावधानी इतनी कि पानी भी लगातार पीते रहें ताकि डिहाइड्रेशन न हो जाए। इसके अलावा यूरिन रोकें नहीं वरना यूरिनरी ट्रैक्‍ट इन्‍फेक्‍शन का अंदेशा बढ़ जाएगा।
बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी

आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।

प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।

प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।

बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।

हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।

तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।

लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।

ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।

ब्रेस्‍ट की दुखन
ब्रेस्‍ट की दुखन बढ़ गई होगी। ऐसा इसलिए कि आपका शरीर आने वाले नन्‍हे मेहमान के लिए खुद को तैयार कर रहा है।

भयानक थकान
बढ़ते वजन और जी मिचलाने की वजह से आपको थकान लगती होगी। इसलिए आराम करने की कोशिश करें, घर के कामकाज में अब घर के दूसरे सदस्‍यों की मदद लेने लगिए।

कब्‍ज
यही वह समय है जब कब्‍ज की समस्‍या का सामना होता है। इसकी कई वजहें हैं। पहली तो है प्रोजेस्‍टेरॉन हार्मोन, दूसरी वजह है आयरन की गोली, तीसरी वजह है शरीर में पानी की कमी।


इससे निपटने का तरीका है ज्‍यादा से ज्‍यादा पेय पदार्थ लें, ऐसे में नारियल पानी काफी फायदेमंद है यह कब्‍ज से भी छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा फल, सब्जियां व सलाद ज्‍यादा खाएं। मसालेदार चीजें कम खाएं।
बीमारियों से बचने के लिए इन नुस्‍खों से प्रेगनेंसी में बढाएं इम्‍यूनिटी

आप खाद्य पदार्थों और सप्‍लीमेंट से प्रो-बायोटिक्‍स ले सकती हैं। ये मां के साथ साथ शिशु की इम्‍यूनिटी को भी बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आगे चलकर बच्‍चे को अस्‍थमा और एलर्जी जैसी गंभीर परेशानियों से बचाव मिल सकता है। प्रेगनेंट महिलाओं को नियमित प्रोबायोटिक्‍स लेने चाहिए।

प्रेगनेंट महिला को दिनभर में लगभग ढाई लीटर पानी पीने की जरूरत होती है ताकि इस समय उनका शरीर हाइड्रेट रहता है। अगर शरीर हाइड्रेट रहेगा तो कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पाएगा।

पानी शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है और लिम्‍फ बनाने में मदद करता है जिससे पूरे शरीर में सफेद रक्‍त कोशिकाएं और पोषक तत्‍व संचारित होते हैं।

प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ नींद आने में दिक्‍कत होने लगती हैं लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि प्रेगनेंसी में थकान आसानी से हो जाती है इसलिए शरीर को आराम देने के लिए सोना बहुत जरूरी है। नींद की कमी का बुरा असर आपके इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ सकता है।

बेहतर नींद पाने के लिए करवट लेकर सो सकती हैं। सोने से पहले गर्म पानी से नहाने से भी रात को अच्‍छी नींद आती है।

हंसने से इम्‍यूनिटी बढ़ती है और इसका बच्‍चे पर भी अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि प्रेगनेंट महिलाओं को खुश रहना चाहिए, क्‍योंकि इससे मां और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ रहते हैं। हंसने पर पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर बढता है और सांस तेज चलती है जिससे शरीर के ऊतकों को ज्‍यादा ऑक्‍सीजन मिल पाता है।

इस सबका असर इम्‍यून सिस्‍टम पर पड़ताहै। विटामिन डी भी इम्‍यूनिटी को मजबूत करने में मदद करता है। इससे फर्टिलिटी पॉवर भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं को जिंक का सेवन भी करना चाहिए।

तनाव को दूर रखने और सकारात्‍मक रहने से इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ रहता है। गर्भवती महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए, क्‍योंकि न केवल इससे इम्‍यूनिटी मजबूत होती है बल्कि शिशु के लिए भी यह फायदेमंद होता है। आप ध्‍यान, योग, संगीत और किताबें पढ़कर तनाव से दूर रह सकती हैं।

लहसुन में इम्‍यूनिटी को बढ़ाने और शरीर को निरोगी रखने के गुण होते हैं। लहसुन की एक कली में 100 से सल्फ्यूरिक एसिड होते हैं और कैल्शियम एवं पोटैशियम भी अधिक मात्रा में होते हैं।

ये शरीर से बैक्‍टीरिया को मार सकता है। अगर आप कच्‍चा लहसुन नहीं खा सकती हैं तो खाना पकाते समय इसका इस्‍तेमाल कर सकती हैं। भोजन में भी लहसुन को शामिल कर इसका लाभ उठा सकती हैं।


चिड़चिड़ापन
हार्मोन की उठापटक और शरीर में आए बदलाव आपको चिड़चिड़ा बना देते हैं। इससे निबटने का एक ही उपाय है कि मन बहलाने वाले कामों में अपना दिल लगाएं, सुबह-शाम वॉक पर जाएं, आराम करें और आने वाले नन्‍हे मेहमान के बारे में सोचें, यकीनन आपका मूड खिल जाएगा।

और हां, अब आपका पेट पहले से थोड़ा उभरा हुआ दिखने लगा है। अपना ख्‍याल रखिए इसी तरह।

इस सप्‍ताह में अगर योनि से ब्‍लीडिंग या डिस्‍चार्ज हो रहा है, पेट या पेल्विक हिस्‍से में तेज दर्द हो रहा है, 100.4 फारेनहाइट से अधिक बुखार है, आंखों से धुंधला दिख रहा है, तेज सिरदर्द, चेहरे, उंगलियों या हाथों में अचानक सूजन या पेशाब करते समय जलन या दर्द हो रहा है तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं।

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wordpress 5 years ago 5 Answer
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