8 सप्ताह में स्पॉटिंग सामान्य है?pregnancytips.in

Posted on Mon 10th Oct 2022 : 09:06

असामान्य प्रतीत होता है कि आपके पीरियड चक्र के बाहर आपको हल्का रक्तस्राव हो सकता है, लेकिन वास्तव में यह काफी सामान्य है! शरीर में होने वाले किसी भी नए बदलाव के दौरान स्पॉटिंग का होना। यह हमारे शरीर की जीवनशैली में बदलाव, दवा में बदलाव आदि को समायोजित करने का एक बहुत अच्छा तरीका हो सकता है।

पीरियड के पहले स्पॉटिंग होने के कारण

मोटापा, बहुत ज़्यादा कसरत, और तनाव ये कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे ब्लीडिंग में अनियमितता हो सकती है। स्पॉटिंग होने के पीछे कई और भी कारण हो सकते हैं। प्रोजेस्ट्रोन एक ऐसा फ़ीमेल सेक्स हॉर्मोन है जो मेंस्ट्रुअल साइकिल के लिए ज़िम्मेदार होता है। प्रोजेस्ट्रोन के लेवल कम होने से एब्नॉर्मल यूटेरिन ब्लीडिंग होती है, जिसे पीरियड के पहले होने वाली स्पॉटिंग कहते हैं। इसके अलावा जो आम कारण हैं, वो हैं:

अगर आप हॉर्मोन से जुड़ी गर्भ निरोधक गोलियाँ ले रहीं हैं तो शुरुआती तीन महीनों में स्पॉटिंग होना बहुत आम बात है। मेडिककल की भाषा में इसे ‘ब्रेकथ्रू ब्लीडिंग’ कहा जाता है।
गोनोरिया या क्लेमाइडिया जैसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ (STD) से यूटेरस में सूजन आती है।
ब्लड क्लॉटिंग से जुड़ी परेशानियाँ, लिवर, किडनी की बिमारी या श्रोणि से जुड़े अंगों/पेल्विक ऑर्गन में संक्रमण
फाइब्रॉइड या पॉलिप्स का बनना। ये नॉन-कैंसरस ट्यूमर हैं जो यूटेरस लाइनिंग पर बन जाते हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOD) ओवरी/अंडाशय के काम में रुकावट पैदा करता है। हर महीना जिस तरह से होना चाहिए वैसे एग नहीं निकाले जाते हैं, और फ्लूइड से भरे फॉलिकल एग को घेर लेते हैं, जिसकी वजह से अनियमित पीरियड और स्पॉटिंग होती है।
इंट्रायूटेरिन डिवाइस (IUD) से स्पॉटिंग होने या हैवी पीरियड होने की संभावना बढ़ जाती है।
पेरीमेनोपॉज़ भी एक कंडीशन है जोकि तब उत्पन्न होती है जब आप मेनोपॉज़ के करीब होती हैं। इससे यूटेरस की लाइनिंग मोटी हो जाती है और पीरियड अनियमित हो जाते हैं, जिससे स्पॉटिंग भी हो सकती है।
मेनोपॉज़ एक स्त्री के जीवन की वह अवस्था है जब पीरियड पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। मेनोपॉज़ से जुड़े बदलाव आगे चलकर हैवी पीरियड का कारण बनते हैं, जिससे धीरे-धीरे अनियमित स्पॉटिंग होने लगती है।
प्रेगनेंसी की शुरुआत में भी स्पॉटिंग देखने को मिलती है। यह एक इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग है जो फर्टिलाइज़्ड एग के यूटेरस लाइनिंग से जुड़ने के बाद होती है।

स्पॉटिंग से कैसे बचा जाए?

स्पॉटिंग किसी तरह की बीमारी नहीं है जिसमें ठीक होने के लिए कोई ख़ास एंटीडोट काम कर जाए। लेकिन फिर भी, अगर आपको अपनी हर मेंस्ट्रुअल साइकिल में दर्द, दुर्गंध या रंग में कुछ बदलाव दिखे तो आपको इससे निपटने के लिए सही इलाज करवाना होगा। रिसर्च से यह पता चला है कि आपकी जीवन-शैली और तनाव के आधार पर पीरियड स्पॉटिंग के कारण हर लड़की में अलग-अलग हो सकते हैं। अगर अनियमित स्पॉटिंग का कारण कोई संक्रमण, कैंसर, या कोई और गंभीर रोग है, तो इसके चलते आपके जीवन को भी खतरा हो सकता है।

ये रहे इनसे बचने के कुछ आम तरीके जो आपके पीरियड स्पॉटिंग को कंट्रोल(संयमित) करने में मदद करेंगे:

अपने हॉर्मोन्स को नियंत्रित रखना: एक सही वजन और खानपान हॉर्मोनल इम्बैलेंस की संभावनाओं को कम कर सकता है। जो जंक फ़ूड आप अभी तक खा रहे हैं उसे छोड़ें और उसकी जगह हरी सब्ज़ियों और अनाज का सेवन करें।
बहुत ज़्यादा कसरत ना करें: महिलाओं का ज़्यादा कसरत करना भी स्पॉटिंग का एक ख़ास कारण है। बहुत ज़्यादा शारीरिक कसरत से भी पेल्विक एरिया पर दबाव पड़ सकता है, जिससे कभी-कभी स्पॉटिंग और डिस्चार्ज होने लगता है।
कॉन्ट्रासेप्टिव ज़्यादा न खाएँ: जो महिलाएँ गर्भनिरोधक गोलियाँ लेती हैं, उनमें आगे चलकर अबनॉर्मल स्पॉटिंग देखने को मिलती है। ख़ुद डॉक्टर बनने और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ध्यान ना देते हुए इन दवाइयों को लेते रहने से आपके पीरियड कई महीनों के लिए बंद हो सकते हैं।
अपने खाने में आयरन को भी शामिल करें: खाने में ऐसे आइटम खाएं जिनमें आयरन की मात्रा ज़्यादा हो जैसे केले, फलियां, पालक आदि। जिस शरीर में खून की कमी होती है वो हर महीने रक्त स्त्रावण नहीं कर सकता है जिसके फलस्वरूप पीरियड स्पॉटिंग होती है।
घरेलु नुस्खे: स्ट्रेस लेवल या तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान करें। हॉर्मोनल इम्बैलेंस का पहला कारण है मानव शरीर का ज़्यादा से ज़्यादा तनाव लेना। एक अच्छी स्वस्थ मसालेदार चाय बनाएँ जिसमें, इनमें से कोई भी चीज़ - हल्दी, दालचीनी, अदरक या जीरा पीसकर डालें। यह आपकी मेंस्ट्रुअल साइकिल को नियमित बनाती है, और पीरियड स्पॉटिंग की संभावना को भी लगभग ख़त्म कर देता है।

वजाइनल ब्लीडिंग का कारण पता लग जाने के बाद, स्पॉटिंग का सही इलाज कराएं। अगर यह लक्षण फिर भी बने रहते हैं तो सही कारण समझने के लिए ब्लड टेस्ट, हॉर्मोनल टेस्ट और थायरॉइड फंक्शन टेस्ट करवाएं। गहन जांच के लिए, पेल्विक एमआरआई करवाना सही होगा ताकी फाइब्रॉइड या कैंसर का पता चल सके।
स्पॉटिंग के लिए कब डॉक्टर से मिलें?

अगर आप पीरियड के पहले या कुछ दिनों के बाद हल्की ब्लीडिंग देखते हैं तो घबराने की कोई बात नहीं है। जब बड़े क्लॉट के रूप में ब्लीडिंग हो या आपको हर घंटे में टेम्पन बदलने की जरुरत महसूस हो तब डॉक्टरी परामर्श लेना ज़रूरी हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में, आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए और इस बिना वजह की ब्लीडिंग के सही कारण का पता लगाना चाहिए।

जो महिलाएँ मेनोपॉज़ की अवस्था से गुजर रही हों उन्हें स्पॉटिंग को लेकर सतर्क रहना चाहिए क्योंकि पीरियड के पूरी तरह से बंद हो जाने के बाद ऐसा नहीं होना चाहिए। पेल्विक या सर्विक्स एरिया में किसी तरह का कैंसर ना बन रहा हो, इसकी पुष्टि के लिए बेहतर होगा कि आप पेप स्मीयर टेस्ट करवाएं। यह टेस्ट किसी तरह की सूजन या संक्रमण फैलाने वाले कारक की भी पुष्टि करता है।

इसलिए आम मेंस्ट्रुअल साइकिल के अलावा आप जब भी पीरियड स्पॉटिंग का अनुभव करें, तब अपने डॉक्टर को इस बारे में अवश्य बताएं। नीचे कुछ संकेत दिए गए हैं जो आपक्को यह बताते हैं कि स्पॉटिंग के लिए कब आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए:

अगर आपको एक महीने में एक से ज़्यादा बार पीरियड आए
जब आप दिन में कभी चक्कर महसूस करें
जब आपको मेनोपॉज़ के बाद स्पॉटिंग दिखे
जब आपको पेट के नीचले हिस्से में तेज दर्द महसूस हो
जब हल्के पीरियड के साथ आपको मतली या बुख़ार आए
जब आपकी सोनोग्राफी में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ सिंड्रोम (PCOS) दिखे
जब प्रेगनेंसी के दौरान ख़ास कर के शुरूआती तीन महीनों में स्पॉटिंग हो

ऊपर बताये गए सभी लक्षण आपातकालीन स्थिति से जुड़े हैं जिनमें डॉक्टर का परामर्श लेना ज़रूरी है। इन परेशानियों को खुद घर पर ही ठीक करने की कोशिश ना करें। जल्दी ही अपने डॉक्टर से मिलें और उनसे ज़रुरी टेस्ट के बारे में जानें। कभी-कभी टेस्ट की ज़रूरत नहीं होती है, और आप स्पॉटिंग की इस परेशानी को दवाइयों, स्वस्थ खान-पान और कसरत से ही ठीक कर सकते हैं।

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