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नवें महीने में बच्चे के फेफड़े भी पूरी तरह से बन चुके होते हैं । शरीर में हलचल बढ़ जाती है पलके झपकाना, आँखे बंद करना, सिर घुमाना और पकड़ने की क्षमता भी विकसित हो जाती है । इस महीने के अंत तक गर्भाशय में जगह कम होने के कारण शिशु की हलचल कम होने लगती है। इस समय बच्चे का वजन 2600 ग्राम और लम्बाई 47.6 सेंटीमीटर होती है।
अब शिशु दुनिया में आने के लिए तैयार हो जाता है और धीरे-धीरे नीचे आने लगता है । जन्म के समय सामान्यतया शिशु का सिर पहले बाहर आता है । महिला के गर्भधारण से लेकर शिशु के दुनिया में आने की यात्रा अनूठी और कई तरह के अनुभव लिए होती है। डॉक्टर द्वारा दी गयी तारीख नजदीक आने पर महिलाएं नार्मल डिलीवरी के लिए शरीर पर जोर डालने लगती है, ऐसा नहीं करना चाहिए । यदि महिला स्वस्थ है तो नार्मल डिलीवरी की सभांवनाएं अधिक रहती हैं।
बच्चे को गर्भाशय से, गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से, और जन्म नहर के साथ बाहर धकेल दिया जाता है । बच्चे का सिर आमतौर पर सबसे पहले आता है। गर्भनाल बच्चे के साथ बाहर आती है। बच्चे के जन्म के बाद इसे नाभि के करीब दबा दिया जाता है और काट दिया जाता है।
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