आप रात में बच्चे को दूध पिलाने के लिए जगाना कब बंद कर सकती हैं?pregnancytips.in

Posted on Tue 18th Oct 2022 : 12:03

शिशु को रात में स्तनपान करवाना : मूल बातें

आपका नवजात शिशु शायद दिनभर में करीब छह से आठ बार स्तनपान करेगा। कई शिशु इससे भी ज्यादा बार स्तनपान करते हैं। स्तनपान की इन अवधियों में अंतर भी अलग-अलग होता है। शिशु रात के दौरान भी स्तनपान करेगा। रात में उठकर शिशु को स्तनपान करवाने की वजह से आप दिनभर थकी-थकी महसूस कर सकती हैं।
रात के समय स्तनपान करवाना मैं आसान कैसे बना सकती हूं?
अगर शिशु आपके साथ ही सो रहा है तो ज्यादातार मांओं की तरह आपको भी रात में जागकर स्तनपान करवाना थोड़ा आसान लग सकता है। शिशु को अपने साथ सुलाने वाली माएं लंबे समय तक स्तनपान करवा पाती हैं क्योंकि जब शिशु ठीक आपके साथ सो रहा हो तो उसे रात में स्तनपान करवाना आसान रहता है।

लेकिन आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि शिशु के साथ एक ही बिस्तर पर सुरक्षित तरीके से कैसे सोना चाहिए। शिशु ने अगर समय से पहले (प्रीमेच्योर) जन्म लिया है तो उसके साथ एक बिस्तर पर न सोएं। अगर आप या आपके पति निम्नलिखित काम करते हैं तो भी शिशु को अपने बिस्तर पर न सुलाएं:

धूम्रपान करना
शराब का सेवन करना
ऐसी कोई दवा या ड्रग्स ली है, जिसकी वजह से आपको गहरी नींद आए

अधिक जानकारी के लिए शिशु के साथ सुरक्षित तरीके से सोने पर हमारा लेख पढ़ें।

रात के समय शिशु को स्तनपान करवाने का एक और आसान तरीका है कि शिशु को कॉट में सुलाएं और यह कॉट अपने पलंग के एकदम साथ में लगाएं। ऐसे में स्तनपान करवाने के लिए आपको बिस्तर से निकलकर जाने की जरूरत नहीं होगी। आधी नींद की हालत में भी आप शिशु को आसानी से स्तनपान करवा सकेंगी।
क्या रात को दूध पिलाने के लिए मुझे शिशु को नींद से जगाना चाहिए?
आमतौर पर शिशु जब भूखा हो या वह दूध मांगे, उसे तभी दूध पिलाना बेहतर रहता है। इसे डिमांड फीडिंग यानी मांग के अनुसार स्तनपान करवाना कहते हैं। अगर आपका शिशु अच्छी तरह से सो रहा है, दूध पी रहा है और उम्मीद के अनुसार उसका वजन भी बढ़ रहा है तो सामान्यत: उसे दूध पिलाने के लिए जगाने की कोई जरूरत नहीं है।

लेकिन अगर नवजात शिशु नियमित रूप से तीन-चार घंटे से ज्यादा सोता है उसकी नजदीक से निगरानी करनी जरूरी है, ताकि उसका वजन उम्मीद के अनुसार बढ़ना सुनिश्चित हो सके। एेसा इसलिए, क्योंकि डिमांड फीडिंग जन्म के कुछ हफ्ते बाद से लेकर कुछ महीनों तक में उपयुक्त बैठती है।

कई बार डॉक्टर भी आपको बच्चे को नियत समय पर पर दूध पिलाने को कह सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आपको दिन और रात में दूध पिलाने के लिए अपने शिशु को जगाना होगा। लेकिन आमतौर पर यह अस्थायी ही रहता है। यह इन स्थितियों में हो सकता है:

जन्म के बाद कुछ शुरुआती दिनों में
डॉक्टर की सलाह हाे सकती है कि जब तक शिशु अपने जन्म के समय के वजन के बराबर नहीं हो जाए, आप उसे दिन और रात में हर दो-तीन घंटे में दूध पिलाएं। जन्म के बाद ज्यादातर शिशुओं का वजन कम हो जाता है, जो सामान्य बात है।

लेकिन आपके शिशु के जन्म समय के वजन के आधार पर हो सकता है डॉक्टर चाहें कि जितना जल्दी हाे सके उतनी जल्दी वह दोबारा उतना ही वजन हासिल कर ले। दूध पिलाने की नियमित दिनचर्या आपके शिशु को वजन बढ़ाने में मदद करेगी।

अगले चेकअप में अगर डॉक्टर आपके शिशु के बढ़े हुए वजन से संतुष्ट हुए तो वह आपको फिर से डिमांड फीडिंग पर जाने की सलाह दे सकते हैं।

अगर जन्म के समय आपके शिशु का वजन कम हो
अगर जन्म के समय आपके शिशु का वजन 2.5 किलो से कम हुआ तो डॉक्टर आपको हर दो से तीन घंटे के अंदर शिशु को दूध पिलाने की सलाह दे सकते हैं। भले ही इसके लिए आपको शिशु को नींद से क्यों न जगाना पड़े। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे का वजन तेजी से बढ़े और उसका विकास अच्छे से हो।

अगर आपका शिशु प्री-मैच्योर या बीमार है
एक समय से पहले जन्मा या बीमार या पीलिया ग्रस्त शिशु हो सकता है कि दूध की मांग करने के लिए अभी बहुत छोटा या उनींदा हो। इसकी बजाय वह अपनी ऊर्जा विकास और बीमारी से उबरने में लगाएगा। अगर आपके शिशु के भूख लगने के संकेत कमजोर या बिल्कुल ही नहीं हैं तो उसे हर तीन घंटे में जगाकर दूध पिलाने का ध्यान रखें। यदि डॉक्टर ने सलाह दी हो तो कई बार हर दो घंटों में दूध पिलाना होता है।

दूध पिलाने की दिनचर्या बनाने के लिए कई माता-पिता अपने शिशु को हर तीन से चार घंटे में जगा देते हैं। रूटीन सेट करने से शिशु को सोने और नियमित रूप से दूध पीने में लंबे वक्त तक मदद मिलती है। लेकिन अगर आपका शिशु पूरी तरह स्वस्थ है और उसका वजन भी बढ़ रहा है और वह रात को थोड़े लंबे वक्त तक सोता है तो उसे सिर्फ दूध पिलाने के लिए जगाने की जरूरत नहीं है।
क्या शिशु को कच्ची नींद में दूध पिलाना सुरक्षित है?
हां। शिशु को कच्ची नींद में दूध पिलाना, जिसे अंग्रेजी में ड्रीमफीड कहते हैं, सुरक्षित माना जाता है। आमतौर पर इसे नींद के एक साधन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है, ताकि मांओं को कुछ घंटे की लगातार नींद मिल सके।

नवजात के तौर पर आपका शिशु दूध पीने के लिए हर तीन-चार घंटे में जागेगा। लेकिन कभी-कभार वह लंबे वक्त तक भी सो सकता है। कच्ची नींद में दूध पिलाने से आपके शिशु को लंबे वक्त तक लगातार सोने में मदद मिलेगी और आप भी लगातार सो सकती हैं। लेकिन यह सिर्फ छोटे शिशुओं के लिए ही कारगर है। छह महीने का होने के बाद भी आपका बच्चा अगर रात में कई बार जागता है तो यह भूख के बजाय उसकी आदत है।

अपने शिशु को नींद में ही दूध पिलाने के लिए देर शाम आप सोने से पहले उसे बिस्तर से निकालें, जब वह गहरी नींद में होता है। कच्ची नींद में दूध पिलाने के लिए आप उसे स्तनपान भी करवा सकती हैं और फॉर्मूला या निकाले हुए स्तनदूध (एक्सप्रेस्ड मिल्क) की बाेतल भी दे सकती हैं। उसे दूध पिलाएं और नैपी बदलने के बाद उसे वापस बिस्तर में लेटा दें। कोशिश करें कि यह सब कुछ करते वक्त उसकी नींद न खुले।

ध्यान रखें कि नींद में दूध पिलाने से पहले कम से कम दो घंटे तक आपने उसे दूध न पिलाया हो। इससे उसके पेट में दूध के लिए जगह बनी रहेगी। आपके शिशु को इस नई दिनचर्या में सेट होने में थोड़ा वक्त लग सकता है, लेकिन यह तरकीब काम करती है। आपको कम से कम चार-पांच घंटे लगातार सोने के लिए मिलेंगे। आपका शिशु करीब इतनी देर के बाद ही दोबारा दूध पीने के लिए जागेगा।
क्या मुझे शिशु को स्तनपान करवाकर सुलाना चाहिए?
शुरुआती हफ्तों में जब आपका शिशु ज्यादा से ज्यादा समय सोने में ही बिताता तब अकसर नींद और स्तनपान लगभग एकसाथ जुड़े रहते हैं। दूध पीते-पीते सो जाना और फिर थोड़ी देर बाद ही और दूध के लिए फिर उठ जाना नवजातों के लिए सामान्य है।

जब तक आपको सही लगे आप अपने शिशु को सुलाने के लिए स्तनपान करवाना जारी रख सकती हैं। और उसे रात में दोबारा सुलाने के लिए भी स्तनपान करवा सकती हैं। बहुत सी मांओं को लगता है कि शिशु को स्तनपान करवाकर सुलाना दिन के अंत में उसे आसानी व आरामदेह तरीके से सुलाने का अच्छा तरीका है।

हालांकि, जब भी आपका शिशु उनींदा तो उसे सुलाने के लिए हर बार अगर आप स्तनपान करवाती हैं तो हो सकता है कि उसे सोने के लिए इसकी आदत ही पड़ जाए। अगर ऐसा होता है तो वह रातभर में कई बार दूध की मांग करेगा। वह भूख के मारे दूध नहीं मांगेगा, बल्कि उसकी नींद खुल जाती है और उसे समझ नहीं आता कि वह अपने आप से दोबारा कैसे सोए।
क्या करूं कि शिशु बिना स्तनपान किए अपने आप सो जाए?
अगर आप चाहती हैं कि आपका शिशु स्तनपान के बिना ही सोने लगे तो उसे कच्ची नींद में ही बिस्तर में लेटाना शुरू करें। जब वह गहरी नींद के आगोश में जा रहा हो ताे न तो उसे हिलाएं, थपकाएं और न ही लोरी सुनाएं। बस उसके आसपास रहें, ताकि वह आपको देख या आपकी सुगंध महसूस कर सके।

तीन महीने की उम्र तक अगर शिशुओं को मौका दिया जाए तो ज्यादातर खुद ही शांत होना और सोना सीख जाते हैं। इस उम्र के आसपास आप अपने शिशु को सोने की दिनचर्या में ढालना शुरू कर सकती हैं।

हल्के गर्म पानी से नहलाने या फिर मालिश करने के बाद उसे कोई कहानी या लोरी सुनाएं। आप हर शाम नियत समय पर ऐसा करें।

आप शिशु को कहानी या लोरी सुनाने से पहले दिन में ​आखिरी बार दूध दे सकती हैं। इस तरह आपको दूध पीने और सोने के बीच के संबंध को तोड़ने में मदद मिलेगी।

जब आपका शिशु रात में बिना दूध पिलाए या गोद में लेकर हिलाए-डुलाए बिना अपने आप सोने लग जाएगा, तो उसके लिए रात में अचानक उठने पर भी खुद सो जाने में आसानी रहेगी।
मेरा शिशु दूध पीने के दौरान सो जाता है। मुझे क्या करना चाहिए?
दूध पिलाने और सुलाने की क्रियाओं को एक दूसरे से अलग करना शुरु करें। जन्म के बाद के कुछ हफ्तों तक यह काफी मुश्किल लग सकता है। मगर, धीरे-धीरे आप शिशु को सोने से पहले दूध पिलाने की बजाय आखिरी बार तब ​दूध पिलाएं जब वह सोने के लिए पूरी तरह तैयार न हो।

यदि आप देखें कि शिशु दूध पीने के दौरान ही सो रहा है, तो दूध पिलाना बंद कर दें और उसे कॉट या पलंग पर लिटाने से पहले बाकी की सोने की दिनचर्या पूरी करें। इस समय शिशु उनींदा होगा, मगर जगा होगा। धीरे-धीरे आपका शिशु समझ जाएगा कि उसे आगे होने वाली चीजों के लिए जगा रहना है। बस सुनिश्चित करें कि आप सोने की दिनचर्या की शुरुआत तब करें जब शिशु उनींदा हो मगर इतना थका हुआ न हो कि हमेशा इसके बीच में ही सो जाएं।

इसलिए उदाहरण के तौर पर आप दिनचर्या की शुरुआत कहानी सुनाने से कर सकती हैं, इसके बाद उसे दूध पिलाएं। दूध पिलाने के बाद आप शिशु के कपड़े और लंगोट (नैपी) बदल सकती हैं। इसके बाद उसे बिस्तर पर लिटाएं जब वह उनींदा सा हो मगर जगा हुआ हो। लोरी गाकर सुनाने से उसे शांति से सोने में मदद मिलेगी।

यदि आप इस या इसी तरह की दिनचर्या का पालन करें तो आपका शिशु स्तनपान और नींद को अलग-अलग करके देखने लगेगा।
क्या शिशु को स्तनपान करवाते हुए मेरी आंख लग जाना सुरक्षित है?
नहीं, यह सुरक्षित नहीं है। यह उस समय खासतौर पर सही नहीं है जब आप शिशु को लेटी हुई अवस्था में दूध पिला रही हों। चाहे यह आपको कितना भी ​मुश्किल लगे मगर शिशु को स्तनपान करवाते हुए या बोतल से दूध पिलाते हुए आप जगी रहें।

यदि नवजात शिशु की नाक आपके कपड़ों या चादर आदि से अवरुद्ध हो जाए तो वह अपना सिर हिला-डुला कर अलग नहीं हट सकेगा। शिशु के गले में दूध अटक जाए या स्तनपान के दौरान वह डकार ले तो भी आपको वह इसके बारे में बता नहीं पाएगा।
मेरा शिशु रात में स्तनपान करने के​ लिए जागता है। मैं अपनी नींद पूरी करने के लिए क्या कर सकती हूं?
सभी को थोड़ा आराम मिले इसलिए लिए कोशिश करें कि परिवार के सदस्यों के साथ दिन और रात में शिशु की देखभाल की जिम्मेदारी बांट लें। रात में शिशु के उठने पर उसे कौन देखेगा यह भी तय कर लें। यह कुछ ऐसे उपाय दिए गए हैं जिन्हें आपके पति या परिवार के अन्य सदस्य कर सकते हैं, ताकि आप दिन में या फिर रात में ज्यादा नींद ले पाएं:

एक्सप्रेस किए गए दूध की बोतल देना। यह तरीका शुरुआती छह हफ्तों के बाद आजमाएं, जब आपका शिशु सही ढंग से स्तनपान करना सीख गया हो।

रात को दूध पिलाने के बाद डकार दिलवाना और सोने के लिए तैयार करना|

स्तनपान के बाद शिशु के कपड़े बदलना और उसे आराम दिलाना

यदि शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाया जा तो क्या उसे ज्यादा बेहतर नींद आएगी?
आप शिशु को कौन सा दूध पिलाती है इस बात का उसके सोने के तरीके पर शायद ही कोई असर हो। ऐसा हो सकता है कि स्तनपान करने वाले नवजात शिशु फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में रात में ज्यादा बार दूध पीने के लिए उठते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका शिशु स्तनदूध को ज्यादा आसानी से पचा लेता है, इसका मतलब है कि उसका पेट ज्यादा जल्दी खाली होगा।

बहरहाल, यह जरुरी नहीं है कि ​शुरुआती कुछ महीनों में शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाने से उसकी नींद की अवधि और गुणवत्ता बेहतर होगी। यदि आपका शिशु ज्यादा बार उठता है तो भी आपकी स्तनपान करवाते समय सो जाने की संभावना ज्यादा रहती है।

शिशु के लिए दूध की बोतल तैयार करने के लिए उठना, रात में लाइट जलाकर काम करना आपको और ज्यादा जगा देगा। अब दोबारा नींद आने में आपके मुश्किल हो सकती है। इसलिए शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाने का मतलब है कि आपकी नींद शायद पूरी न हो पाए।

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