आयुर्वेद के अनुसार किस महीने में क्या नहीं खाना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

बेहतर सेहत के लिए शुद्ध और पौष्टिक आहार के साथ उसकी तासीर और प्रवृत्ति पर भी विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है। किस मौसम में क्या खाना चाहिए-क्या नहीं? इसका आयुर्वेद में विस्तृत अध्ययन मिलता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार इस समय सावन का महीना चल रहा है। यह महीना देश में मानसून का माना जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक इस मौसम में सभी लोगों को खान-पान को लेकर विशेष सावधानी और सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता होती है।

अन्य मौसम में प्राय: शरीर के लिए फायदेमंद मानी जाने वाली कुछ चीजों का सावन के महीने में सेवन करना कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है।

सावन का महीना मानसून के समय वाला होता है, ऐसे में इस महीने में वातावरण की आर्द्रता के कारण कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस के उपजने का जोखिम होता है। ऐसे में खान-पान को लेकर बरती गई किसी भी तरह की लापरवाही आपमें पाचन तंत्र की समस्याओं का कारण बन सकती है। आइए आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सिन्हा से जानते हैं कि सावन के महीने में किन चीजों के सेवन को लेकर विशेष सावधानी बरतनी जरूरी है?
हरी पत्तेदार सब्जियों को लेकर सावधानी

वैसे तो हरी और पत्तेदार सब्जियों को पोषण और स्वास्थ्य के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है फिर भी श्रावण मास के दौरान इनसे बचना चाहिए। इसका मुख्य कारण इन पत्तियों पर बैक्टीरिया या वायरस के उपजने का जोखिम होता है। बारिश के दौरान इनका सेवन पित्त रस के अतिरिक्त स्राव का कारण भी बन सकता है, जिसके कारण पेट में कई तरह की समस्याओं का खतरा रहता है।
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मानसून में दूध से बचाव

दूध को आमतौर पर स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन सावन के महीने में इसका संयमित सेवन करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है मानसून के इस मौसम में दूध के कारण शरीर में पित्त रस बढ़ सकता है। दूध की जगह आप दही, लस्सी आदि का सेवन कर सकते हैं। इस मौसम में पाचन स्वास्थ्य को लेकर सावधानी बरतना बहुत आवश्यक माना जाता है।
मांसाहार से पाचन का जोखिम
धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों आधार पर सावन के महीने में मांसाहार जैसे चिकन, मांस और मछली आदि के सेवन से परहेज की सलाह दी जाती है। बारिश का मौसम कीटाणुओं के प्रजनन के लिए उपयुक्त होता है ऐसे में मांस आदि को लेकर बरती गई किसी भी प्रकार की अस्वच्छता इसे संक्रामक बना सकती है। अनहाइजेनिक रूप से इन चीजों के रखरखाव और सेवन के कारण फूड पॉइजनिंग का खतरा हो सकता है।

मानसून, विशेषकर सावन के इस मौसम में बैंगन की सब्जी भी न खाने की सलाह दी जाती है, इसका मुख्य कारण इसमें कीड़ों का होना माना जाता है। इस मौसम में बैंगन में कीड़े पड़ने का खतरा अधिक होता है जो इस सब्जी को दूषित कर देता है। ऐसे में इसके सेवन के कारण पाचन तंत्र की समस्याओं का जोखिम कई गुना तक बढ़ जाता है।
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