एंडोमेट्रियोसिस इतना दर्दनाक क्यों है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं के लिए बेहद तकलीफदेह होता है। यह जहां शरीर को तकलीफ देता है, वहीं महिलाओं की सोशल लाइफ व रिलेशंस पर भी यह असर डालता है। इसलिए इसके बारे में जानना और इसका इलाज करना बेहद जरूरी हो जाता है:

एंडोमेट्रियोसिस से परेशान महिलाओं की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। हालांकि इस बीमारी के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है,
25 से 30 साल की उम्र की महिलाओं में पेट में दर्द की शिकायत और कंसीव न कर पाने का यह एक बड़ा कारण है। दरअसल, इस समस्या में वूम्ब के आसपास लेयर बनाने वाले टिश्यू (एंडोमेट्रियम) की ग्रोथ सही तरीके से नहीं होती। इसमें जब भी महिला को पीरियड्स होते हैं, तो इस टिश्यू के अंदर की तरफ भी ब्लीडिंग होती है। इस तरह ब्लड ओवरी के अंदर जम जाता है और इसे एंडोमेट्रियॉटिक सिस्ट कहते हैं। वैसे, इसे 'चॉकलेट सिस्ट' भी कहते हैं, क्योंकि जमा हुआ ब्लड चॉकलेट की तरह दिखता है। यही नहीं, इससे बॉडी के पूरे पेल्विक रीजन में ब्लड स्पॉट्स होने लगते हैं, जिससे ओवरीज, इंटेस्टाइन और ट्यूब्स आपस में चिपक जाती हैं।'


वैसे, एंडोमेट्रियोसिस की वजह से पीरियड्स में काफी प्रॉब्लम आ सकती है। एक तो इसके चलते दर्द बहुत होता है और दूसरा ब्लीडिंग कम या ज्यादा होती है। चूंकि इसकी वजह से ओवरीज व ट्यूब्स डैमेज हो जाती हैं, इसलिए इसका नतीजा इनफर्टिलिटी ही होता है। अगर केस ज्यादा बिगड़ जाए, तो इसकी वजह से पेल्विस ऑर्गंस को नुकसान पहुंच सकता है। इस कंडिशन को 'फ्रोजन पेल्विस' कहा जाता है। । हालांकि कई बार इसके लिए लैप्रोस्कॉपी तक करनी पड़ जाती है। इन दिनों एंडॉस्कॉपिक सर्जरी भी की जा रही है, जिसमें पेट पर दो या तीन छोटे कट्स लगाए जाते हैं और इनके जरिए कैमरा व ऑपरेटिंग इंस्ट्रमेंट्स पेल्विस में डालकर एंडोमेट्रियोटिक हिस्से हटाए और इलैक्ट्रिक करंट या लेजर की मदद से खत्म कर दिए जाते हैं।

एंडोमेट्रियोसिस शरीर को तोड़ने वाली बीमारी है और इसके मुख्य लक्षण पीरियड्स के दौरान बहुत दर्द होना, सेक्स के दौरान दर्द होना और इनफर्टिलिटी हैं। उनके अनुसार, 'इस कंडिशन में पीरियड्स में इतना दर्द होता है कि यह पेनकिलर्स लेने के बावजूद दूर नहीं होता। इस दौरान रेक्टम में बहुत दर्द होता है और स्टूल पास करने में भी बेहद तकलीफ होती है। वैसे, इससे निपटने के लिए सुरक्षित टेबलेट्स व इंजेक्शंस भी उपलब्ध हैं, जो दो से तीन साल तक इससे बचाव रखते हैं। पांच सेंटीमीटर से बड़े व दर्द करने वाले एंडोमेट्रियोमास के लिए ही लैप्रोस्कोपिक सर्जरी करनी होती है।'


हालांकि सर्जरी से हटाने के बाद भी इसे दोबारा होने के चांसेज रहते हैं और कुछ मरीजों को थोड़े समय के बाद ही दोबारा सर्जरी करवानी पड़ जाती है। एंडोमेट्रियोसिस से परेशान वे यंग महिलाएं, जो कंसीव करना चाहती हैं, को आईयूआई और आईवीएफ जैसे स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट्स की जरूरत होती है। अगर पेशंट की उम्र ज्यादा है और उसकी कई बार सर्जरी हो चुकी है, तो हिस्टेरेक्टॉमी व ऊफोरेक्टॉमी यानी यूटरस व ओवरीज को पूरी तरह हटा देना ही फाइनल सल्यूशन रहता है।

सेक्स के दौरान आपको बहुत दर्द या क्रैम्प्स होते हैं या कमर के निचले हिस्से व रेक्टम में पेन होता है, तो आपको एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है। इस बारे में श्योर होने के लिए आपको लैप्रोस्कोपी करवानी होगी। वैसे, इस बीमारी का पता लगाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसकी वजह से आपकी लाइफ डिस्टर्ब हो सकती है। जो महिलाएं इससे परेशान होती हैं, वे अक्सर स्कूल, ऑफिस, सोशल इवेंट्स से बचना चाहती हैं। ऐसे में यह पार्टनर, बच्चों, दोस्तों वगैरह से उनके रिलेशन को खराब कर सकता है। इसका दर्द कम करने के लिए महिलाएं पेन किलर ले सकती हैं। एंडोमेट्रियोसिस की ग्रोथ को कम करने के लिए हॉमोर्न थेरपी कारगर है, तो एंडोमेट्रियोसिस के बड़े हिस्सों को हटाने व दर्द से राहत पाने के लिए सर्जरी करवाई जा सकती है।'

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