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जानिए एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण, कारण और इलाज
एग फर्टिलाइजेशन से लेकर प्रेगनेंट होने तक का सफर बहुत मुश्किल होता है। इस दौरान कई तरह की मुश्किलें आ सकती हैं जिनमें से एक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी भी है।
ectopic pregnancy
फर्टिलाइजेशन से लेकर डिलीवरी तक प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह के शारीरिक बदलाव आते हैं। जब फर्टिलाइज एग खुद गर्भाशय से जाकर जुड़ जाता है, तब प्रेग्नेंसी शुरू होती है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में फर्टिलाइज एग गर्भाशय से नहीं जुड़ता है बल्कि वह फैलोपियन ट्यूब, एब्डोमिनल कैविटी या गर्भाशय ग्रीवा से जाकर जुड़ जाता है। इसे अस्थानिक गर्भावस्था भी कहा जाता है।
एक निषेचित अंडा गर्भाशय के अलावा कहीं भी ठीक से विकसित नहीं हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमिली फिजीशियन के अनुसार एक्टोपिक प्रेग्नेंसी 50 में से एक महिला को होती है।
यदि एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इलाज न किया जाए तो इसकी वजह से मेडिकल एमेरजेंसी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सही उपचार से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में आने वाली जटिलताओं के खतरे को कम, भविष्य में स्वस्थ गर्भावस्था की संभावना को बढ़़ाया और आने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सकता है।
प्रेगनेंट होने के लिए HCG Hormone है जरूरी, जानिए कितना होना चाहिए नॉर्मल लेवल
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ये हार्मोन मटरनल एंडोक्राइन कोशिका के समूह यानी कोरपस ल्यूटियम को बनाए रखने में अहम है। अगर अंडा फर्टिलाइज नहीं होता है तो ये कोरपस ल्यूटियम 14 दिनों के अंदर नष्ट हो जाता है जबकि फर्टिलाइजेशन यानी कंसीव करने की स्थिति में एचसीजी कोरपस ल्यूटियम को बनाए रखता है।
कोरपस ल्यूटियम प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के उत्पादन को जारी रखने के लिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि प्रोजेस्ट्रोन की कमी में भ्रूण की लाइनिंग हट सकती है जिससे भ्रूण इंप्लांट होने से रूक सकता है। एचसीजी एम्ब्रियोनिक हार्मोन है जो कि गर्भावस्था के पहले चरण के दौरान कोरपस ल्यूटियम को प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन बनाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है।
एचसीजी हार्मोन का लो लेवल कंसीव करने के 8 से 11 दिनों बाद खून से पता चल सकता है। वहीं प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही के अंत में एचसीजी का स्तर सबसे ज्यादा रहता है। इसके बाद गर्भावस्था के बाकी के चरणों में इसका स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है।
गर्भवती महिला के खून में एचसीजी हार्मोन का स्तर निम्न प्रकार से होता है -
सामान्य महिलाओं में - 10 यू/एल से कमबॉर्डरलाइन प्रेग्नेंसी रिजल्ट - 10 से 25 यू/एलपॉजीटिव प्रेग्नेंसी टेस्ट - 25 यू/एल से ज्यादागर्भवती महिला, आखिरी मासिक धर्म के लगभग 4 हफ्ते बाद या एलएमपी (पहला पीरियड मिस होने के लगभग एक हफ्ते पहले) - 0 से 750 यू/एलगर्भवती महिला, पहला पीरियड मिस होने के एक हफ्ते के बाद से पांच हफ्ते के बाद - 200 से 7,000 यू/एलगर्भवती महिला, एलएमपी के लगभग 6 हफ्ते बाद - 200 से 32,00 यू/एलगर्भवती महिला, एलएमपी के लगभग 7 हफ्ते बाद - 3,000 से 160,000 यू/एलप्रेगनेंट महिला, एलएमपी के बाद लगभग 8 से 12 हफ्तों में - 32,000 से 210,000 यू/एलप्रेगनेंट महिला, एलएमपी के बाद लगभग 13 से 16 हफ्तों में - 9,000 से 210,000 यू/एलप्रेगनेंट महिला,एलएमपी के बाद लगभग 16 से 29 हफ्तों में - 1,400 से 53,000 यू/एलप्रेगनेंट महिला, एलएमपी के बाद लगभग 29 से 41 हफ्तों में - 940 से 60,000 यू/एल
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खून में एचसीजी की मात्रा आपकी प्रेग्नेंसी और शिशु की सेहत के बारे में कई तरह की जानकारी देती है, जैसे कि -
जुड़वा बच्चे या तीन बच्चे होने पर एचसीजी का लेवल हाई होनामिसकैरेज होना या गर्भपात का खतराएक्टोपिक प्रेग्नेंसीशिशु के विकास में कोई दिक्कतअंडाशय या गर्भाशय में असामान्य ऊतक बढ़ना, इसमें महिलाओं में होने वाले कुछ प्रकार के कैंसर भी शामिल हैं। ये महिलाएं इस दौरान गर्भवती नहीं होती हैं।
इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि एचसीजी बढ़ने से कोई नुकसान होता है। इस हार्मोन का स्तर बहुत ज्यादा होना दुर्लभ ही होता है लेकिन अगर ऐसा हो तो यह मोलर प्रेग्नेंसी (जिसमें भ्रूण बनाने वाला ऊतक असामान्य रूप से बढ़ने लगता है और ट्यूमर का रूप ले सकता है) का संकेत हो सकता है।
कई बार किडनी, ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़ों और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मार्ग में कैंसर की स्थिति में भी एचसीजी लेवल बढ़ सकता है।
एचसीजी हार्मोन लेवल का कम होने का मतलब है प्रेग्नेंसी को खतरा होना। अक्सर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में इस हार्मोन का स्तर गिरता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में भ्रूण गर्भाशय से बाहर इंप्लांट हो जाता है। एचसीजी हार्मोन का स्तर गिरने पर मिसकैरेज भी हो सकता है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण
अधिकतर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में होती है। हो सकता है कि आपको ये तक पता न हो कि आप प्रेगनेंट हैं और आप किसी तरह की समस्या को नोटिस ही न करें।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के शुरुआती संकेत इस प्रकार हैं :
हल्की ब्लीडिंग और पेल्विक हिस्से में दर्द
पेट खराब होना और उल्टी
पेट में तेज ऐंठन होना
शरीर के एक हिस्से की ओर दर्द होना
चक्कर आना या कमजोरी
कंधे, गर्दन या गुदा में दर्द
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के कारण फैलोपियन ट्यूब फट या टूट सकती है। अगर आपको बहुत तेज दर्द या अधिक ब्लीडिंग के साथ सिर चकराने, बेहोशी या कंधे में दर्द खासतौर पर पेट की एक तरफ तेज दर्द होता है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्यों होती है
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का सबसे सामान्य प्रकार ट्यूबल प्रेग्नेंसी है जिसमें फर्टिलाइज एग गर्भाशय तक पहुंचने के रास्ते में ही फंस जाता है। ऐसा अक्सर फैलोपियन ट्यूब के सूजन या किसी अन्य समस्या के कारण क्षतिग्रस्त होने की वजह से होता है।
फर्टिलाइज एग के असामान्य विकास सा हार्मोनल असंतुलन के कारण भी ऐसा हो सकता है। पेल्विक इंफ्लामेट्री डिजीज, धूम्रपान, 35 से अधिक उम्र में प्रेगनेंसी, यौन संक्रमित रोग, पेल्विक सर्जरी के कारण स्कार टिश्यू बनना, पहले एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होना, फर्टिलिटी दवाओं के सेवन और आईवीएफ जैसी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेने की वजह से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है। अगर आप गर्भ निरोधक इंट्रायूट्राइन डिवाइस लगवाने के बाद प्रेगनेंट होती हैं तो भी ऐसा हो सकता है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का निदान
आमतौर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट या पल्विक एग्जाम करवाया जाता है। गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब देखने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड भी करवा सकते हैं।
प्रेगनेंट होने के लिए HCG Hormone है जरूरी, जानिए कितना होना चाहिए नॉर्मल लेवल
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ये हार्मोन मटरनल एंडोक्राइन कोशिका के समूह यानी कोरपस ल्यूटियम को बनाए रखने में अहम है। अगर अंडा फर्टिलाइज नहीं होता है तो ये कोरपस ल्यूटियम 14 दिनों के अंदर नष्ट हो जाता है जबकि फर्टिलाइजेशन यानी कंसीव करने की स्थिति में एचसीजी कोरपस ल्यूटियम को बनाए रखता है।
कोरपस ल्यूटियम प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के उत्पादन को जारी रखने के लिए भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि प्रोजेस्ट्रोन की कमी में भ्रूण की लाइनिंग हट सकती है जिससे भ्रूण इंप्लांट होने से रूक सकता है। एचसीजी एम्ब्रियोनिक हार्मोन है जो कि गर्भावस्था के पहले चरण के दौरान कोरपस ल्यूटियम को प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन बनाने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है।
एचसीजी हार्मोन का लो लेवल कंसीव करने के 8 से 11 दिनों बाद खून से पता चल सकता है। वहीं प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही के अंत में एचसीजी का स्तर सबसे ज्यादा रहता है। इसके बाद गर्भावस्था के बाकी के चरणों में इसका स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है।
गर्भवती महिला के खून में एचसीजी हार्मोन का स्तर निम्न प्रकार से होता है -
सामान्य महिलाओं में - 10 यू/एल से कमबॉर्डरलाइन प्रेग्नेंसी रिजल्ट - 10 से 25 यू/एलपॉजीटिव प्रेग्नेंसी टेस्ट - 25 यू/एल से ज्यादागर्भवती महिला, आखिरी मासिक धर्म के लगभग 4 हफ्ते बाद या एलएमपी (पहला पीरियड मिस होने के लगभग एक हफ्ते पहले) - 0 से 750 यू/एलगर्भवती महिला, पहला पीरियड मिस होने के एक हफ्ते के बाद से पांच हफ्ते के बाद - 200 से 7,000 यू/एलगर्भवती महिला, एलएमपी के लगभग 6 हफ्ते बाद - 200 से 32,00 यू/एलगर्भवती महिला, एलएमपी के लगभग 7 हफ्ते बाद - 3,000 से 160,000 यू/एलप्रेगनेंट महिला, एलएमपी के बाद लगभग 8 से 12 हफ्तों में - 32,000 से 210,000 यू/एलप्रेगनेंट महिला, एलएमपी के बाद लगभग 13 से 16 हफ्तों में - 9,000 से 210,000 यू/एलप्रेगनेंट महिला,एलएमपी के बाद लगभग 16 से 29 हफ्तों में - 1,400 से 53,000 यू/एलप्रेगनेंट महिला, एलएमपी के बाद लगभग 29 से 41 हफ्तों में - 940 से 60,000 यू/एल
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खून में एचसीजी की मात्रा आपकी प्रेग्नेंसी और शिशु की सेहत के बारे में कई तरह की जानकारी देती है, जैसे कि -
जुड़वा बच्चे या तीन बच्चे होने पर एचसीजी का लेवल हाई होनामिसकैरेज होना या गर्भपात का खतराएक्टोपिक प्रेग्नेंसीशिशु के विकास में कोई दिक्कतअंडाशय या गर्भाशय में असामान्य ऊतक बढ़ना, इसमें महिलाओं में होने वाले कुछ प्रकार के कैंसर भी शामिल हैं। ये महिलाएं इस दौरान गर्भवती नहीं होती हैं।
इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि एचसीजी बढ़ने से कोई नुकसान होता है। इस हार्मोन का स्तर बहुत ज्यादा होना दुर्लभ ही होता है लेकिन अगर ऐसा हो तो यह मोलर प्रेग्नेंसी (जिसमें भ्रूण बनाने वाला ऊतक असामान्य रूप से बढ़ने लगता है और ट्यूमर का रूप ले सकता है) का संकेत हो सकता है।
कई बार किडनी, ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़ों और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मार्ग में कैंसर की स्थिति में भी एचसीजी लेवल बढ़ सकता है।
एचसीजी हार्मोन लेवल का कम होने का मतलब है प्रेग्नेंसी को खतरा होना। अक्सर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में इस हार्मोन का स्तर गिरता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में भ्रूण गर्भाशय से बाहर इंप्लांट हो जाता है। एचसीजी हार्मोन का स्तर गिरने पर मिसकैरेज भी हो सकता है।
एक्टोपिक प्रेगनेंसी ट्रीटमेंट
फर्टिलाइज एग गर्भाशय के बाहर जीवित नहीं रह सकता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में एग को बाहर निकालने के लिए डॉक्टर दवा या सर्जरी की मदद ले सकते हैं।
अगर आपकी फैलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त नहीं हुई या प्रेग्नेंसी को ज्यादा समय नहीं हुआ है तो डॉक्टर आपको मेथोट्रेजाट दे सकते हैं। ये कोशिकाओं को विकसित होने से रोक देती है और शरीर इन कोशिकाओं को अवशोषित कर लेता है।
कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में पेट के ऊपर बहुत छोटे छेद करके एक पतला सा लैप्रोस्कोप डाला जाता है। अगर फैलोपियन ट्यूब क्षतिग्रस्त हो जो उसे भी निकालना पड़ सकता है।
अगर ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो फैलोपियन ट्यबू के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में डॉक्टर को तुंरत बड़ा कट लगाकर सर्जरी करनी पड़ती है। इस लैप्रोटोमी कहते हैं।
बचाव
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से बचने का कोई तरीका नहीं है लेकिन कुछ तरीकों की मदद से इसके खतरे को कम किया जा सकता है :
ज्यादा पार्टनर के साथ सेक्स न करें और यौन संक्रमित रोग एवं पेल्विक इंफ्लामेट्री डिजीज से बचने के लिए कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें। अगर सिगरेट पीती हैं तो वो भी बंद कर दें।
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