एमनियोसेंटेसिस के फायदे और नुकसान क्या हैं?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

एमनियोसेंटेसिस क्या है?
एमनियोसेंटेसिस एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है। डॉक्टर आपके गर्भ में से एमनियोटिक द्रव का थोड़ा सा नमूना लेंगी। इस द्रव में आपके शिशु की कुछ कोशिकाएं होती हैं और प्रयोगशाला में इनका परीक्षण किया जाता है।

एमनियोसेंटेसिस आमतौर पर दूसरी तिमाही में 15 से 18 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच किया जाता है।

यह कोई नियमित जांच नहीं है। आपकी डॉक्टर एमनियोसेंटेसिस टेस्ट की सलाह तब ही देंगी जब आपके शिशु में कोई विशेष स्वास्थ्य स्थिति होने की संभावना सामान्य से कहीं अधिक हो।

उदाहरण के तौर पर पिछली किसी प्रसवपूर्व जांच या स्कैन के परिणाम के आधार पर एमनियोसेंटेसिस टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है। या फिर यदि आपके परिवार में किसी आनुवांशिक स्वास्थ्य स्थिति का इतिहास रहा है, तो उस मामले में भी यह टेस्ट कराया जा सकता है।
एमनियोसेंटेसिस टेस्ट से क्या पता चल सकता है?
क्योंकि एमनियोसेंटेसिस एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है, इसका इस्तेमाल आनुवांशिक स्वास्थ्य स्थितियों की पुष्टि करने के लिए किया जाता है। इसके करने का सबसे आम कारण यह जानना होता है कि आपके शिशु में कहीं डाउंस सिंड्रोम तो नहीं है।

एमनियोसेंटेसिस आनुवांशिक रक्त स्थितियों जैसे कि सिकल सेल रोग, थैलेसीमिया और हीमोफिलिया आदि की भी पहचान कर सकता है। और साथ ही ऐसी कई अन्य आनुवांशिक स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जिनके बारे में शिशु के जन्म से पहले एमनियोसेंटेसिस के जरिये पता चल सकता है। इसके दो उदाहरण हैं सिस्टिक फाइब्रोसिस और स्पाइना बिफिडा।

कई बार, गर्भावस्था में अन्य संभावित समस्याओं के बारे में पता लगाने के लिए भी एमनियोसेंटेसिस की सलाह दी जाती है। जैसे कि, इसका इस्तेमाल शिशु में कोई संक्रमण होने की जांच करने के लिए भी किया जा सकता है।

इस जांच से यह भी पता चल सकता है कि आपके गर्भ में पुत्र है या पुत्री। हालांकि, भारत में प्रसव से पहले भ्रूण के लिंग की पहचान बताना गैरकानूनी है और पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। इसी कारण डॉक्टर आपके शिशु का लिंग आपको नहीं बताएंगे।
एमनियोसेंटेसिस जांच के दौरान क्या होता है?
डॉक्टर आपके पेट पर से एक पतली सुईं अंदर डालेंगी ताकि गर्भ से एमनियोटिक द्रव का थोड़ा सा नमूना लिया जा सके।

अधिकांश महिलाओं का कहना है कि इस प्रक्रिया में करीब उतना ही दर्द होता है जितना कि खून का नमूना लेने के दौरान होता है। आपको शायद पेट को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया लेने की भी जरुरत नहीं होगी। अधिकांशत:, इस पूरी प्रक्रिया में करीब 10 मिनट का समय लगता है।

द्रव का नमूना लेते समय अल्ट्रासोनोग्राफी में विशेषज्ञता प्राप्त डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करते रहेंगे। इससे आपकी डॉक्टर को द्रव निकालने की प्रक्रिया के दौरान सुई को शिशु और अपरा (प्लेसेंटा) से सुरक्षित दूरी पर रखने में मदद मिलती है।

यह भी हो सकता है कि डॉक्टर पहले प्रयास में सुई को सही स्थान पर डाल पाने में सफल न हों। अगर, दूसरे प्रयास में भी सफलता नहीं मिलती, तो यह टेस्ट दोबारा किसी ओर दिन कराने के लिए कहा जाएगा।

इस पूरी प्रक्रिया के अंत में, आपकी डॉक्टर और अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ, अल्ट्रासाउंड के जरिये शिशु पर नजर रखेंगे कि वह ठीक-ठाक है या नहीं।

इस प्रक्रिया के दौरान अपने पति, परिवार के किसी निकट सदस्य या दोस्त को सहयोग के लिए साथ ले जाना काफी अच्छा रहता है। बेहतर है कि आप एमनियोसेंटेसिस जांच करवाने के बाद खुद गाड़ी न चलाएं, इसलिए सुनिश्चित करें कि पति या परिवार के कोई सदस्य आपको अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर तक लाने और वापस ले जाने का काम कर सकें।

टेस्ट के बाद अगले 24 घंटों तक आराम करने का प्रयास करें।
क्या एमनियोसेंटेसिस से गर्भपात होने की संभावना रहती है?
सुरक्षा के आधार पर, एमनियोसेंटेसिस टेस्ट गर्भावस्था की शुरुआत में करवाने की बजाय दूसरी तिमाही में करवाना तुलनात्मक रूप से अधिक सुरक्षित माना जाता है।

वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, एमनियोसेंटेसिस करवाने वाली 100 में से एक महिला का गर्भपात होता है। यह एक बात है जो आपको टेस्ट करवाने या न करवाने का निर्णय लेते समय ध्यान में रखनी होगी। इस प्रक्रिया से किसी तरह का कोई गंभीर संक्रमण होना दुर्लभ है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि यदि एमनियोसेंटेसिस टेस्ट अनुभवी डॉक्टर द्वारा ऐसे अस्पताल में किया जाए, जहां इस तरह के टेस्ट होते रहते हैं, तो गर्भपात या फिर संक्रमण का खतरा काफी कम होता है।

एमनियोसेंटेसिस टेस्ट को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक ही है। अगर आप यह जांच करवाने पर विचार कर रही हैं और इसे लेकर चिंता में हैं, तो इस बारे में खुलकर अपनी डॉक्टर से बात करें। वे आपको टेस्ट करवाने के फायदे और नुकसान के बारे में पूरी सलाह देंगी।

आप जिस अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर में यह टेस्ट करवाने की योजना बना रही हैं, वहां की प्रतिष्ठा और सुरक्षा रिकॉर्ड के बारे में फीडबैक या लोगों की राय भी पता कर लेना सही रहता है।
एमनियोसेंटेसिस के बाद किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं?
आपको टेस्ट के बाद कुछ घंटों तक थोड़ा सा रक्तस्त्राव स्पॉटिंग और कुछ हल्के मरोड़ हो सकते हैं। मगर यदि निम्नांकित लक्षण हों, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें:

अगर आपको हल्के रक्तस्त्राव की बजाय काफी रक्तस्त्राव हो
आपको योनि से तरल पदार्थ आता हुआ दिखे
आपको संकुचन होने लगें
आपके पेट या पीठ में दर्द हो
आपको 100.4 डिग्री फेहरनहाइट से भी ज्यादा तेज बुखार हो
आपको कंपकंपी हो और फ्लू के जैसे लक्षण महसूस हो

क्या एमनियोसेंटेसिस टेस्ट का परिणाम तुरंत मिल जाता है?
इस टेस्ट के परिणाम तुरंत नहीं मिलते। आपके द्रव के नमूने में मौजूद कोशिकाओं पर दो तरह के लैबोरेटरी टेस्ट किए जा सकते हैं, ताकि शिशु की आनुवांशिक बनावट के विशिष्ट पहलुओं का परीक्षण किया जा सके।

एक टेस्ट में शीघ्र संक्षिप्त विवरण (ओवरव्यू) मिल जाता है, और परिणाम कुछ दिनों में उपलब्ध हो जाता है। वहीं, दूसरे टेस्ट में विस्तृत विश्लेषण दिया जाता है, और इसके परिणाम आने में दो से तीन हफ्तों का समय लग सकता है।

परिणाम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि आपके शिशु में कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है।

मगर, यदि एमनियोसेंटेसिस जांच में किसी समस्या का पता चलता है, तो डॉक्टर आपके साथ परिणाम पर चर्चा करेंगी। वह आपको यह निर्णय लेने में मदद करेंगी कि आपको इस गर्भावस्था के साथ आगे बढ़ना चाहिए या नहीं। इस तरह का फैसला लेना अवश्य ही काफी दुखभरा अनुभव होता है। आपका निर्णय जो भी हो, डॉक्टर उसमें आपका पूरा साथ देंगी।

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