एम्नियोसेन्टेसिस क्या है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

एमनियोसेंटेसिस क्या है?
एमनियोसेंटेसिस एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है। डॉक्टर आपके गर्भ में से एमनियोटिक द्रव का थोड़ा सा नमूना लेंगी। इस द्रव में आपके शिशु की कुछ कोशिकाएं होती हैं और प्रयोगशाला में इनका परीक्षण किया जाता है।

एमनियोसेंटेसिस आमतौर पर दूसरी तिमाही में 15 से 18 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच किया जाता है।

यह कोई नियमित जांच नहीं है। आपकी डॉक्टर एमनियोसेंटेसिस टेस्ट की सलाह तब ही देंगी जब आपके शिशु में कोई विशेष स्वास्थ्य स्थिति होने की संभावना सामान्य से कहीं अधिक हो।

उदाहरण के तौर पर पिछली किसी प्रसवपूर्व जांच या स्कैन के परिणाम के आधार पर एमनियोसेंटेसिस टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है। या फिर यदि आपके परिवार में किसी आनुवांशिक स्वास्थ्य स्थिति का इतिहास रहा है, तो उस मामले में भी यह टेस्ट कराया जा सकता है।
एमनियोसेंटेसिस टेस्ट से क्या पता चल सकता है?
क्योंकि एमनियोसेंटेसिस एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है, इसका इस्तेमाल आनुवांशिक स्वास्थ्य स्थितियों की पुष्टि करने के लिए किया जाता है। इसके करने का सबसे आम कारण यह जानना होता है कि आपके शिशु में कहीं डाउंस सिंड्रोम तो नहीं है।

एमनियोसेंटेसिस आनुवांशिक रक्त स्थितियों जैसे कि सिकल सेल रोग, थैलेसीमिया और हीमोफिलिया आदि की भी पहचान कर सकता है। और साथ ही ऐसी कई अन्य आनुवांशिक स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जिनके बारे में शिशु के जन्म से पहले एमनियोसेंटेसिस के जरिये पता चल सकता है। इसके दो उदाहरण हैं सिस्टिक फाइब्रोसिस और स्पाइना बिफिडा।

कई बार, गर्भावस्था में अन्य संभावित समस्याओं के बारे में पता लगाने के लिए भी एमनियोसेंटेसिस की सलाह दी जाती है। जैसे कि, इसका इस्तेमाल शिशु में कोई संक्रमण होने की जांच करने के लिए भी किया जा सकता है।

इस जांच से यह भी पता चल सकता है कि आपके गर्भ में पुत्र है या पुत्री। हालांकि, भारत में प्रसव से पहले भ्रूण के लिंग की पहचान बताना गैरकानूनी है और पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। इसी कारण डॉक्टर आपके शिशु का लिंग आपको नहीं बताएंगे।
एमनियोसेंटेसिस जांच के दौरान क्या होता है?
डॉक्टर आपके पेट पर से एक पतली सुईं अंदर डालेंगी ताकि गर्भ से एमनियोटिक द्रव का थोड़ा सा नमूना लिया जा सके।

अधिकांश महिलाओं का कहना है कि इस प्रक्रिया में करीब उतना ही दर्द होता है जितना कि खून का नमूना लेने के दौरान होता है। आपको शायद पेट को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया लेने की भी जरुरत नहीं होगी। अधिकांशत:, इस पूरी प्रक्रिया में करीब 10 मिनट का समय लगता है।

द्रव का नमूना लेते समय अल्ट्रासोनोग्राफी में विशेषज्ञता प्राप्त डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करते रहेंगे। इससे आपकी डॉक्टर को द्रव निकालने की प्रक्रिया के दौरान सुई को शिशु और अपरा (प्लेसेंटा) से सुरक्षित दूरी पर रखने में मदद मिलती है।

यह भी हो सकता है कि डॉक्टर पहले प्रयास में सुई को सही स्थान पर डाल पाने में सफल न हों। अगर, दूसरे प्रयास में भी सफलता नहीं मिलती, तो यह टेस्ट दोबारा किसी ओर दिन कराने के लिए कहा जाएगा।

इस पूरी प्रक्रिया के अंत में, आपकी डॉक्टर और अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ, अल्ट्रासाउंड के जरिये शिशु पर नजर रखेंगे कि वह ठीक-ठाक है या नहीं।

इस प्रक्रिया के दौरान अपने पति, परिवार के किसी निकट सदस्य या दोस्त को सहयोग के लिए साथ ले जाना काफी अच्छा रहता है। बेहतर है कि आप एमनियोसेंटेसिस जांच करवाने के बाद खुद गाड़ी न चलाएं, इसलिए सुनिश्चित करें कि पति या परिवार के कोई सदस्य आपको अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर तक लाने और वापस ले जाने का काम कर सकें।

टेस्ट के बाद अगले 24 घंटों तक आराम करने का प्रयास करें।

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