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सिजेरियन डिलीवरी के कितने साल बाद बनना चाहिए दोबारा मां
कई महिलाएं सोचती हैं कि एक बच्चे के बाद दूसरा बच्चा जल्दी कर के वो फ्री हो जाएं जबकि सिजेरियन ऑपरेशन के बाद ऐसा करना सही नहीं रहता है।
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सिजेरियन डिलीवरी के कितने साल बाद बनना चाहिए दोबारा मां
सिजेरियन डिलीवरी एक बड़ा ऑपरेशन होता है और इसके बाद शरीर काे पूरी तरह से रिकवर होने में काफी समय लग जाता है। अगर पहली डिलीवरी सिजेरियन ऑपरेशन से हुई हो तो महिलाओं को दूसरी बार मां बनने के लिए सामान्य से थोड़ा ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है।
सी-सेक्शन के बाद दूसरी बार मां बनने को लेकर महिलाओं के मन में यह सवाल जरूर आता है कि ऑपरेशन के कितने समय बाद दूसरी बार प्रेगनेंट हो सकती हैं।
अगर आपका भी पहला बच्चा सी-सेक्शन से हुआ है और अब सेकंड चाइल्ड की प्लानिंग के बारे में सोच रही हैं तो यहां जान लें कि आपके लिए कितना गैप होना जरूरी है।
कितना गैप होना चाहिए
सी-सेक्शन के बाद 6 महीने से एक साल तक आपको इंतजार करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मां को दूसरी बार प्रेगनेंट होने के लिए 24 महीने इंतजार करना सही रहता है। इतना गैप नॉर्मल और सिजेरियन, दोनों ही डिलीवरी में होना सही रहता है। इतने समय में घाव अच्छी तरह से भर जाते हैं।
अगर आप ऑपरेशन के बाद 6 महीने से भी कम समय में कंसीव कर लेती हैं, सी-सेक्शन के बाद नॉर्मल डिलीवरी होने पर यूट्राइन रप्चर का खतरा बढ़ सकता है।
इतने समय का गैप रखने से मां को पहले बच्चे के साथ बॉन्ड बनाने का भी वक्त मिल जाता है।
क्यों जरूरी है गैप
सी-सेक्शन के बाद शरीर को रिकवर करने में ज्यादा समय लगता है। सर्जरी के बाद क्यों जरूरी है गैप :
हर महिला को ऑपरेशन के बाद रिकवर करने में अलग समय लगता है। जितना ज्यादा समय रिकवर होने में लगेगा, उतना ही दूसरी प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशंस आने का खतरा कम रहता है।
ऑपरेशन के बाद शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, इसकी पूर्ति के लिए भी शरीर को समय चाहिए होता है।
पहली डिलीवरी के बाद शिशु की देखभाल के लिए भी एनर्जी की जरूरत है। गैप लेने से आप बच्चे के साथ-साथ अपनी देखभाल भी कर पाती हैं।
सी-सेक्शन के बाद जल्दी मां बनने से महिलाओं को भी कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा रहता है।
ऑपरेशन के बाद जल्दी मां बनने के नुकसान
अगर आप एक बार सिजेरियन होने के बाद जल्दी कंसीव कर लेती हैं, तो इससे दूसरी प्रेग्नेंसी में आपको कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं, जैसे कि :
प्लेसेंटा प्रीविया : इसमें प्लेसेंटा अपने आप ही निचली यूट्राइन परत से जुड़ जाता है। इसमें डिलीवरी के दौरान या बाद में ब्लीडिंग होती है।
प्लेसेंटा एब्रप्शन : इसमें प्लेसेंटा भ्रूण से बिल्कुल अलग हो जाता है।
यूट्राइन रप्चर : सी-सेक्शन के बाद नॉर्मल डिलीवरी होने पर यूट्राइन रप्चर का खतरा रहता है। जब दो प्रेग्नेंसी के बीच कम गैप रखा जाए तो यह दिक्कत ज्यादा होती है।
इसके अलावा प्रीमैच्योर बर्थ और लो बर्थ वेट का भी खतरा रहता है।
ऑपरेशन के बाद आपको दूसरी बार मां बनने से ज्यादा अपनी सेहत, रिकवरी और पहले बच्चे की देखभाल पर ध्यान देना चाहिए। अगर आप खुद स्वस्थ रहेंगी तो अपने नवजात शिशु की देखभाल भी कर पाएंगी और आने वाले बच्चे के लिए भी खुद को तैयार कर पाएंगी।
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