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सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद किस तरह रखें टांकों का ख्याल
सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद रिकवर करने में अधिक समय लगता है और ये कोई मामूली ऑपरेशन नहीं होता है। इस वजह से कई महिलाओं के मन में सिजेरियन ऑपरेशन करवाने को लेकर डर रहता है।
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सिजेरियन डिलीवरी में महिलाओं को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें बच्चे काे निकालने के लिए पेट पर एक बड़ा कट लगाया जाता है। सिजेरियन डिलीवरी में सबसे ज्यादा चिंता की बात होती है कि टांके वाली जगह का ध्यान कैसे रखना है। यदि इस दौरान टांकों की ठीक तरह से देखभाल न की जाए तो रिकवर होने में देरी या इंफेक्शन का खतरा रहता है।
इसलिए सिजेरियन ऑपरेशन करवाने वाली हर महिला के लिए यह जानना जरूरी है कि ऑपरेशन के बाद टांकों का ख्याल कैसे रखना चाहिए।
साफ सफाई
टांके वाली जगह को साफ रखना बहुत जरूरी है, वरना इंफेक्शन हो सकता है। आप डॉक्टर से पूछ सकती हैं कि टांकों को किस तरह और किस से साफ करना है। नहाने के बाद टांके वाली जगह को सुखाएं और रोज बैंडेज बदलें।
एंग्जायटी की वजह से हुई थी करीना कपूर खान की सिजेरियन डिलीवरी, जानिए इससे बचने के तरीके
गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण एंग्जायटी और पैनिक अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी हार्मोंस बहुत ज्यादा स्ट्रेस की स्थिति में दिमाग के कुछ हिस्सों को सक्रिय कर देते हैं जिससे एंग्जायटी होना शुरू हो जाता है।
इसके अलावा डिलीवरी के आसपास अत्यधिक हार्मोनल बदलाव, लेबर पेन, नींद की कमी और आराम न करने, अस्पताल में रहने के डर से, मां बनने की जिम्मेदारियों के डर से और शिशु की सेहत को लेकर होने वाली चिंता की वजह से महिलाओं को एंग्जायटी हो जाती है।
ऐसा नहीं है कि डिलीवरी रूम में ही प्रेगनेंट महिलाओं को एंग्जायटी होती है, बल्कि इससे पहले ही उन्हें इसका एहसास होना शुरू हो जाता है। डिलीवरी को लेकर कुछ महीनों पहले ही महिलाओं को एंग्जायटी होने लगती है।
जब गर्भ में शिशु होने की एंग्जायटी के साथ-साथ लेबर पेन का डर भी सताने लगे तो फिर स्थिति को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
बच्चे को जन्म देना काफी तनावपूर्ण होता है और अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान ही एंग्जायटी को कंट्रोल कर लें तो फिर बाद में इसे होने से रोका जा सकता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पैनिक अटैक डिलीवरी के दौरान नहीं बल्कि इससे पहले और बाद में आता है। डिलीवरी से पहले महिलाओं को अस्पताल जाने के डर से या लेबर पेन की वजह से एंग्जायटी हो सकती है।
अध्ययनों में साफ कहा गया है कि डिलीवरी के बाद पैनिक अटैक आना सामान्य बात है। डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं को बॉडी को दोबारा शेप में लाने को लेकर भी एंग्जायटी हो जाती है।
प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की सलाह जरूर मानें। प्रेगनेंसी और डिलीवरी को लेकर ऑनलाइन कोई भी डरावनी कहानी न सुनें। जितना हो सके डिलीवरी से पहले और गर्भावस्था के दौरान हल्के व्यायाम करें। मेडिटेशन की मदद से भी आप प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में एंग्जायटी से बच सकती हैं।
बर्फ की सिकाई
कुछ महिलाओं को टांके वाली जगह पर दर्द के साथ सूजन भी होती है। इसे आप आईस बैग लगाकर या ठंडी सिकाई की मदद से कम कर सकती हैं। गर्म सिकाई से भी राहत मिलती है। उठते बैठते या चलते समय टांकों का ध्यान रखें।
कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल
टांके वाली जगह पर किसी भी तरह के कॉस्मेटिक का इस्तेमाल न करें। इनमें केमिकल होता है जो टांके वाली जगह पर खुजली या इंफेक्शन पैदा कर सकता है। डॉक्टर की सलाह पर ही किसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें।
एंग्जायटी की वजह से हुई थी करीना कपूर खान की सिजेरियन डिलीवरी, जानिए इससे बचने के तरीके
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गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण एंग्जायटी और पैनिक अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी हार्मोंस बहुत ज्यादा स्ट्रेस की स्थिति में दिमाग के कुछ हिस्सों को सक्रिय कर देते हैं जिससे एंग्जायटी होना शुरू हो जाता है।
इसके अलावा डिलीवरी के आसपास अत्यधिक हार्मोनल बदलाव, लेबर पेन, नींद की कमी और आराम न करने, अस्पताल में रहने के डर से, मां बनने की जिम्मेदारियों के डर से और शिशु की सेहत को लेकर होने वाली चिंता की वजह से महिलाओं को एंग्जायटी हो जाती है।
ऐसा नहीं है कि डिलीवरी रूम में ही प्रेगनेंट महिलाओं को एंग्जायटी होती है, बल्कि इससे पहले ही उन्हें इसका एहसास होना शुरू हो जाता है। डिलीवरी को लेकर कुछ महीनों पहले ही महिलाओं को एंग्जायटी होने लगती है।
जब गर्भ में शिशु होने की एंग्जायटी के साथ-साथ लेबर पेन का डर भी सताने लगे तो फिर स्थिति को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
बच्चे को जन्म देना काफी तनावपूर्ण होता है और अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान ही एंग्जायटी को कंट्रोल कर लें तो फिर बाद में इसे होने से रोका जा सकता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पैनिक अटैक डिलीवरी के दौरान नहीं बल्कि इससे पहले और बाद में आता है। डिलीवरी से पहले महिलाओं को अस्पताल जाने के डर से या लेबर पेन की वजह से एंग्जायटी हो सकती है।
अध्ययनों में साफ कहा गया है कि डिलीवरी के बाद पैनिक अटैक आना सामान्य बात है। डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं को बॉडी को दोबारा शेप में लाने को लेकर भी एंग्जायटी हो जाती है।
प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की सलाह जरूर मानें। प्रेगनेंसी और डिलीवरी को लेकर ऑनलाइन कोई भी डरावनी कहानी न सुनें। जितना हो सके डिलीवरी से पहले और गर्भावस्था के दौरान हल्के व्यायाम करें। मेडिटेशन की मदद से भी आप प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में एंग्जायटी से बच सकती हैं।
कब तक भरता है घाव
ऑपरेशन के बाद लगभग छह सप्ताह के अंदर घाव पूरी तरह से ठीक होगा। इतने समय तक आपकाे थोड़ा सावधान रहने की जरूरत होती है। टांके को पूरी तरह से भरने दें ताकि कोई कठिन काम या भारी सामान उठाते समय इसमें खिंचाव न आए।
घाव भरने के लिए क्या करें
शरीर को सही पोषण देकर घाव को भरने और स्वस्थ ऊतक बनाने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आपको पौष्टिक आहार लेना होगा। ऑपरेशन के बाद पहले छह सप्ताह तक भारी सामान उठाने से बचें, घर का काम न करें और ज्यादा मेहनत वाले कामों से भी कुछ समय के लिए दूर रहें वरना टांकों में खिंचाव आ सकता है।
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