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100 प्रतिशत लड़का ही पैदा करने के लिए अपनाये ये उपाय
जैसा कि हम आपको बता चुके हैं, बच्चे का लिंग Y क्रोमोसोम के व्यवहार पर निर्भर करता है। Y क्रोमोसोम वाले शुक्राणु छोटे होते हैं और ज़्यादा तेज़ होते हैं। अगर ओव्यूलेशन के आखिरी दिन या उसके अगले दिन संभोग किया जाए तो लड़का पैदा होने की संभावना अधिक होती है। ओव्यूलेशन के दिन योनी से होने वाला रिसाव चिकना और गाढ़ा होता है। रिसाव के इस लक्षण के आधार पर ओव्यूलेशन के दिन की पहचान की जा सकती है।
गर्भ के लिंग निर्धारण के अध्ययन से जुड़ी शटल पद्धति 1960 के दशक से प्रचलित है। विवाहित जोड़े इसके 75% सफल होने का दावा करते हैं। शटल पद्धति के अनुसार, भ्रूण का लिंग तय करने में संभोग की अवस्था ( पोज़ीशन) काफ़ी अहम भूमिका निभाती है।
लड़का पैदा करने के लिए, संभोग से समय स्त्री और पुरुष के शरीर की स्थिति ऐसी होनी चाहिए जिससे कि पुरुष के शुक्राणु महिला के अंडे में गहराई तक निषेचित हो सकें। जैसे कि महिला का पुरुष के ऊपर बैठकर संभोग करने से लड़का पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, शटल विधि के तहत भी लड़का पैदा करने के लिए ओव्यूलेशन के आसपास के दिनों में संभोग करने की सलाह दी जाती है।
ऐसा विश्वास है कि पुरुष का बॉक्सर या शॉर्ट्स पहनना नर शुक्राणु को बढ़ाने के लिए अच्छा होता है। शॉर्ट्स या बॉक्सर पहनने से अंडकोष (स्क्रोटम) का तापमान नियंत्रित रहता है। इससे अंडकोष में पर्याप्त मात्रा में शुक्राणुओं का उत्पादन होता है। ज़्यादा तंग अंडरवियर पहनने से अंडकोष का तापमान बढ़ जाता है और इससे शुक्राणुओं के उत्पादन में कमी आ सकती है।
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