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क्या शिशु के दूध में थोड़ी चीनी मिलाने से पाचन में मदद मिलती है?
गिलास से सादा दूध पीता हुआ बच्चा
नहीं, चीनी दूध को पचाने में आपके शिशु की कोई मदद नहीं करती है। मगर इससे शिशु को मीठे पेय और भोजन खाने का शौक बढ़ सकता है।
जब एक साल का होने पर आपका शिशु गाय का दूध पीना शुरु करता है, तो आप उसके दूध में थोड़ी चीनी डालने का न सोचें। पारंपरिक तौर पर, फुल क्रीम दूध में चीनी मिलाकर ही शिशु को दिया जाता रहा है, क्योंकि शिशु के लिए मीठा दूध पीना ज्यादा आसान होता है। आखिरकार, स्तन दूध में भी तो दुग्ध शर्करा होती है और फॉर्मूला दूध में भी कुछ मीठा होता है, इसलिए आपके शिशु को मीठे स्वाद की आदत होती है।
हालांकि, चीनी, विभिन्न स्वाद वाले शरबत या फिर मिठास प्रदान करने वाले अन्य उत्पादों का सीमित उपयोग ही बेहतर है। इनके इस्तेमाल से शिशु को मीठे का चस्का लग सकता है और यह भविष्य में अस्वस्थ वजन वृद्धि, मोटापा, मधुमेह (डायबिटीज) और हृदय रोग का कारण बन सकता है।
मीठे खाद्य और पेय पदार्थ शिशु के उभरते दांतों के लिए भी हानिकारक हैं। इनसे शिशु की सेहतमंद भोजन खाने की भूख भी कम हो जाती है।
कभी-कभार विशेष मौके पर दूध से बना हल्का मीठा पेय शिशु को देना ठीक है, मगर यह उसके आहार का नियमित हिस्सा नहीं होना चाहिए। अगर, आपका शिशु किसी भी भोजन को पसंद से नहीं खा रहा और आप उसके दूध में कुछ अन्य स्वाद मिलाना चाहती हैं, तो फलों वाले मिल्कशेक आजमा सकती हैं। आप केला, आम, चीकू जैसे ताजे फल इस्तेमाल कर सकती हैं। ये फल प्राकृतिक रूप से मीठे तो होते ही हैं, साथ ही इनमें बहुमूल्य विटामिन और खनिज भी होते हैं। ऐसे मिल्कशेक में आपको अतिरिक्त चीनी डालने की भी जरुरत नहीं होती है।
अगर, आप सादे दूध में चॉकलेड फ्लेवर्ड पाउडर और सिरप या कुछ स्वास्थ्य अनुपूरक (सप्लीमेंट) मिलाना चाहती हैं, तो ऐसा करने से पहले अपने शिशु के डॉक्टर से बात कीजिए।
कुछ अनुपूरक शिशु का वजन और लंबाई जांचने के बाद ही देने की सलाह दी जाती है और ये किसी निश्चित उम्र वाले बच्चों के लिए होते हैं। वहीं, कुछ सिरप और पाउडरों में अत्याधिक चीनी, कृत्रिम स्वाद और खाने के रंग मिले हो सकते हैं, इसलिए इनका सेवन न करना ही बेहतर है। इनसे कोई पौष्टिक तत्व भी नहीं मिलते हैं। साथ ही, कुछ बच्चों को इनमे विशेष स्वाद की आदत पड़ जाती है कि वे बड़े होने पर भी इनके बिना दूध नहीं पीना चाहते।
जहां तक संभव हो शिशु को सादा दूध ही दीजिए। या डॉक्टर द्वारा बताए गए स्वास्थ्य अनुपूरक मिलाएं, जिनमें वसा की बजाय लघु पोषक तत्व और प्रोटीन हो। आप शिशु को लस्सी और छाछ जैसे पौष्टिक पेय भी दे सकती है। ये पेय हमेशा शिशु को बोतल की बजाय गिलास या कप में दें।
कैल्शियम के गैर डेयरी उत्पादों जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, टोफू, हरी गोभी और बादाम पाउडर भी शिशु के आहार में शामिल करें ताकि उसकी हड्डियां मजबूत हो सकें।
आपके मुख्य भोजन समूह में से शिशु को विभिन्न किस्म के भोजन खिलाती रहें, ताकि खाने की स्वस्थ आदतों को बढ़ावा मिल सके। और शिशु को पोषण पाने के लिए मीठे पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा।
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