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क्या जन्म के बाद नवजात शिशु का वजन घटना सामान्य है?
हां। जन्म के बाद पहले कुछ दिनों में आपके शिशु का वजन कम होगा, क्योंकि वह गर्भ से बाहर की जिंदगी में समायोजित होने का प्रयास कर रहा होता है। जन्म के बाद पहले सप्ताह में शिशुओं का जन्म वजन आमतौर पर पांच से 10 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
शुरुआत में वजन कम इसलिए होता है क्योंकि जन्म के समय शिशुओं में अतिरिक्त तरल होता है, जो जन्म के बाद निकल जाता है। यह वजन घटना एकदम सामान्य है और यदि शिशु के जन्म वजन का 10 प्रतिशत तक वजन ही कम हुआ है तो कोई चिंता की बात नहीं हैं।
आमतौर पर जन्म के पांच से सात दिन बाद शिशुओं का वजन बढ़ना शुरु होता है। करीब दो सप्ताह का होने तक अधिकांश शिशु अपने जन्म वजन के बराबर (या इससे ज्यादा) पहुंच जाने चाहिए। इसके बाद उनका वजन निरंतर बढ़ना चाहिए। हालांकि, सभी शिशुओं के साथ ऐसा ही होता है, मगर कुछ स्वस्थ नवजात शिशुओं को अपने जन्म वजन तक पहुंचने में कई हफ्तों का समय लग जाता है।
जन्म के बाद शुरुआती हफ्तों में शिशु के विकास व वजन वृद्धि के साथ कई मुद्दे जुड़े होते हैं, जिनमें यह भी एक बात शामिल है कि आपका स्तनदूध कितनी जल्दी आता है और आपका शिशु कितना ज्यादा दूध पीना चाहता है। उदाहरण के तौर पर आप पाएंगी कि सात से 10 दिन का होने पर आपका शिशु बहुत ज्यादा बार या ज्यादा समय तक स्तनपान करना चाहता है। एक बार भरपेट दूध पी लेने के बाद जब शिशु जल्दी ही दोबारा दूध पीना चाहे तो इसे 'क्लस्टर फीडिंग' कहा जाता है।
शिशु के पेट के माप के बारे में जानने से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि शिशु को कितनी मात्रा में दूध की जरुरत होती है और उसे कितनी बार स्तनपान करवाने की आवश्यकता है।
कई बार अधिक जटिल प्रसव होने की वजह से भी स्तनों में दूध आने में थोड़ा समय लग जाता है। इसका मतलब है कि आपके शिशु को अपने जन्म वजन तक पहुंचने में अन्य शिशुओं की तुलना में अधिक समय लगेगा। यदि आप शिशु का उसकी इच्छानुसार दूध पिलाएंगी तो वह जल्द ही अपना जन्म वजन हासिल कर लेगा।
यदि आपका शिशु समय से पहले जन्मा है, बीमार है या कम जन्म वजन शिशु है, तो डॉक्टर आपको शिशु की मांग (डिमांड फीड) की बजाय उसे तय समय पर दूध पिलाने (शेड्यूल फीड) की सलाह दे सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे शिशु बहुत कमजोर या उनींदे रहते हैं और दूध की मांग नहीं कर पाते। उनके भूख के संकेत अक्सर बहुत हल्के या न के बराबर होते हैं। डॉक्टर आपको बताएंगी कि शिशु को कितनी बार दूध पिलाना है। आमतौर पर हर दो से तीन घंटे में शिशु को दूध पिलाने की सलाह दी जाती है, फिर चाहे इसके लिए उसे गहरी नींद से ही जगाना पड़े।
आपका शिशु सही ढंग से बढ़ रहा है, यह सुनिश्चित करने के लिए आप यह गिनती कर सकती हैं कि शिशु दिन में कितनी लंगोट या नैपी गंदी कर रहा है। चूंकि अधिकांश माता-पिताओं के पास घर पर शिशु का वजन मापने की सही मशीन नहीं होती, इसलिए लंगोट या नैपी की गिनती शिशु की स्वास्थ्य स्थिति जानने एक अच्छा तरीका है:
गीले डायपर: शुरुआती पहले पांच दिनों में हो सकता है आपका नवजात शिशु हर दिन केवल कुछ ही बार पेशाब करे। इसके बाद रोजाना छह लंगोट या नैपी गीले होने चाहिए।
मलयुक्त डायपर: जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक कुछ शिशु दिन में केवल एक बार ही मलत्याग करते हैं। उसके बाद वे दिन में दो बार मलत्याग कर सकते हैं। पहले सप्ताह के बाद आपका शिशु दिन में 10 या इससे ज्यादा बार मलत्याग कर सकता है। ऐसा पहले महीने के अंत तक चल सकता है। मगर, अनन्य स्तनपान (एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग) करने वाले शिशुओं में एक सप्ताह में केवल एक बार ही मलत्याग करना भी सामान्य है। जब तक आपके शिशु का मल दिखने में और गंध में सामान्य है और उसे मलत्याग करने में कोई असहजता नहीं होती तो चिंता करने की कोई बात नहीं होती। शिशु के मल के बारे में क्या सामान्य है, क्या नहीं, हमारे इस स्लाइडशो में जानिए।
पहले तीन महीनों में शिशु का वजन हर माह 600 ग्राम से 800 ग्राम तक बढ़ेगा। चार से छह महीनों के बीच उसकी वजन वृद्धि धीमी होकर हर महीने 300 ग्राम से 500 ग्राम तक हो जाएगी। अधिकांश शिशु छह महीने का होने तक अपने जन्म वजन का दोगुना वजन हासिल कर लेते हैं।
शुरुआत में नवजात शिशु का वजन घटना आपको परेशान कर सकता है, मगर चिंता न करें जल्द ही उसका वजन जन्म वजन जितना हो जाएगा। यदि आपको लगे कि शिशु सही से दूध नहीं पी रहा है या फिर कम डायपर गीले कर रहा है तो डॉक्टर से जांच करवाने में बुराई नहीं है। यदि आपको जन्म के बाद पहले हफ्तों में शिशु के वजन को लेकर कोई चिंता है तो शिशु के डॉक्टर से बात करें।
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