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भारत में गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड के जरिये शिशु के लिंग के बारे में बताना गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है। इसलिए स्कैन से आपको यह पता नहीं चल सकेगा कि आपके गर्भ में बेटा है या बेटी। शिशु का लिंग चाहे कुछ भी हो, उसकी पहली तस्वीर देखकर ही आप उससे काफी जुड़ाव महसूस करेंगी!
अल्ट्रासाउंड किस लिए किए जाते हैं?
गर्भावस्था के चरण के आधार पर, अल्ट्रासाउंड से निम्न बातें पता चल सकती हैं:
शिशु के दिल की धड़कन।
आपके गर्भ में एक या जुड़वा या इससे ज्यादा शिशु पल रहे हैं।
अस्थानिक (एक्टोपिक) गर्भावस्था का, जिसमें भ्रूण गर्भ से बाहर, आमतौर पर फेलोपियन ट्यूब में विकसित होने लगता है।
मोलर गर्भावस्था का, जिसमें असामान्य अपरा होती है और आमतौर पर शिशु जीवनक्षम नहीं होता।
आपको हो रहे रक्तस्त्राव के कारण पता लगाना
शिशु को माप कर आपकी गर्भावस्था की सही तिथि बताना
शिशु की गर्दन के पीछे तरल को मापकर (न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन) डाउंस सिंड्रोम के खतरे को मापना
ब्लड स्क्रीनिंग टेस्ट में आई अनियमितताओं का कारण पता लगाना
शिशु और अपरा की स्थिति को दर्शा कर डायग्नोस्टिक टेस्ट जैसे कि कॉरियोनिक विलस सैम्पलिंग (सीवीएस) या एमनियोसेंटेसिस आदि सुरक्षित तरीके से करने में मदद करना
आपके शिशु की जांच करके पता लगाना कि उसके सभी अंग सामान्य रुप से विकसित हो रहे हैं या नहीं।
विशिष्ट जन्मजात असामान्यताओं जैसे कि स्पाइना बिफिडा आदि का पता लगाना
एमनियोटिक द्रव की मात्रा मापना और अपरा की स्थिति को जांचना।
यह देखना कि हर बार स्कैन में आपका शिशु कैसे बढ़ रहा है।
अपरा और शिशु के बीच रक्त के प्रवाह को जांचना
अपरा का काल प्रभावन या कैल्सीकरण (ऐजिंग या कैल्सिफिकेशन) को जांचना
ग्रीवा के मुख और लंबाई को जांचना
पहले हुए सीजेरियन ऑपरेशन के चीरे की जगह की जांच करना
गर्भनाल को जांचना
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