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12 से 49 साल की उम्र की महिलाएं आयरन की कमी से ग्रस्त हैं। इतना ही नहीं प्रेग्नेंसी के दौरान आयरन की कमी के कारण प्रीमैच्योर लेबर और शिशु का वजन कम होने की समस्या का खतरा बढ़ सकता है। गर्भावस्था में महिलाओं को आयरन की अधिक जरूरत होती है क्योंकि इससे रक्त की मात्रा बढ़ती है जिससे प्रसव में आसानी होती है।
आज हम आपको गर्भावस्था में आयरन के महत्व, लाभ और नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं।
प्रेग्नेंसी में आयरन क्या काम करता है?
गर्भावस्था में ही नहीं बल्कि सामान्य रूप से भी कुछ शारीरिक क्रियाओं के लिए आयरन जरूरी होता है।
आयरन हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है। ये ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रोटीन होता है।
मांसपेशियों और कोलाजन तक ऑक्सीजन ले जाने वाले माइग्लोबिन का आयरन महत्वपूर्ण तत्व है।
यह कई जरूरी एंजाइम्स के उत्पादन के लिए भी जरूरी होता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है।
प्रेग्नेंसी में आयरन क्यों लेना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान शरीर सामान्य से 50 फीसदी ज्यादा खून बनाता है। इसके लिए शरीर को ज्यादा हीमोग्लोबिन की जरूरत होती है जिसे अधिक आयरन से पूरा किया जाता है।
थकान नहीं होती
कई महिलाओं को गर्भावस्था से पहले ही आयरन की कमी होती है। आयरन की कमी के कारण थकान महसूस हो सकती है इसलिए प्रेग्नेंसी में अतिरिक्त आयरन की जरूरत होती है।
शिशु के विकास के लिए है जरूरी
जैसे-जैसे शिशु बढ़ता है वैसे-वैसे आयरन की आवश्यकता भी बढ़ने लगती है। इसकी जरूरत प्रेग्नेंसी की दूसरी और तीसरी तिमाही में ज्यादा होती है।
गर्भावस्था में कितना आयरन लेना चाहिए?
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कुल 800 मि.ग्रा आयरन चाहिए होता है जबकि भ्रूण और प्लेसेंटा को 300 मि.ग्रा और मटरनल हीमोग्लोबिन को 500 मि.ग्रा आयरन की जरूरत होती है। गर्भावस्था के दूसरे चरण में शरीर आयरन का अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल करता है इसलिए पहली तिमाही में 0.8 मि.ग्रा और इसके बाद के चरणों में 6 से 7 मि.ग्रा प्रतिदिन आयरन का सेवन बढ़ा देना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में आयरन लेने के लिए क्या करें?
आप लोहे की कढ़ाई में खाना बनाएं। इससे कुछ मात्रा में भोजन में भी आयरन आ जाता है। खाने के साथ कैफीन का सेवन न करें। इनमें फेनोल्स होते हैं जो कि आयरन के अवशोषण में बाधा पैदा कर सकते हैं।
विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि संतरा, ब्रोकली और स्ट्रॉबेरी आदि खाएं। विटामिन सी आयरन के अवशोषण को 6 गुना बढ़ा देता है।
कैल्शियम आयरन के अवशोषण को रोकता है। अगर आप कैल्शियम सप्लीमेंट ले रही हैं तो भोजन के कुछ देर बाद ही लें।
अपने नियमित आहार में मछली और मांस को जरूर शामिल करें।
आयरन नहीं लेने पर क्या होता है?
गर्भावस्था में खासतौर पर तीसरी तिमाही में आयरन की कमी हो जाती है। इसकी कमी के कारण थकान, इंफेक्शन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ना, कार्डियोवस्कुलर स्ट्रेस, आयरन की कमी वाला एनीमिया, शिशु का वजन कम होना, नौ महीने से पहले डिलीवरी और यहां तक कि कुछ गंभीर मामलो में नवजात शिशु की मृत्यु तक हो सकती है।
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