क्या कोई डॉक्टर बता सकता है कि महीनों बाद आपका गर्भपात हुआ है या नहीं?pregnancytips.in

Posted on Fri 21st Oct 2022 : 15:54

गर्भपात क्या है?
24 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले शिशु की मृत्यु हो जाना गर्भपात कहलाता है। कई बार इसे स्वत: गर्भपात होना भी कहा जाता है। वैसे दुर्भाग्यवश गर्भावस्था के किसी भी चरण में गर्भपात हो सकता है:

अर्ली मिसकैरेज: यदि शिशु की मृत्यु गर्भावस्था के शुरुआती 12 हफ्तों में हो जाए तो इसे शुरुआती गर्भपात (अर्ली मिसकैरिज) कहा जाता है।

लेट मिसकैरेज: यदि गर्भस्थ शिशु की मृत्यु 12 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद हो तो इसे गर्भावस्था के बाद के चरण में हुआ गर्भपात (लेट मिसकैरिज) कहा जाता है।

मिस्ड मिसकैरेज: कई बार, गर्भाधान के बाद भ्रूण विकसित होना शुरु कर देता है, मगर कुछ गड़बड़ होती है और इसका विकास रुक जाता है। इसे चूका हुआ गर्भपात (मिस्ड मिसकैरेज) या साइलेंट मिसकैरेज कहा जाता है। इसे मिस्ड मिसकैरेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि आपको पता ही नहीं चलेगा कि कुछ गड़बड़ हुई है। शायद पहले अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान ही आपको इसका पता चले।

रीकरंट मिसकैरेज: यदि लगातार तीन या इससे ज्यादा बार गर्भपात हुआ हो, तो डॉक्टर इसे अंग्रेजी में रिकरंट मिस्कैरिज कहते हैं।
गर्भपात होने के क्या लक्षण हैं?
गर्भपात का पहला लक्षण जो आप पहचान पाएंगी वह शायद रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) और माहवारी के जैसे मरोड़ और दर्द होना होगा।

यदि आपका गर्भावस्था के शुरुआती चरण में गर्भपात हो रहा है, तो रक्तस्त्राव हल्का या फिर काफी ज्यादा हो सकता है और इसमें खून के थक्के भी आ सकते हैं। कुछ दिनों तक ये आते-जाते रह सकते हैं।

बहुत सी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की शुरुआत में हल्के खून के धब्बे आते हैं, जो जरुरी नहीं है कि अंत में गर्भपात ही हो। इस तरह का रक्तस्त्राव हल्का होता है और तीन दिन से ज्यादा नहीं चलता और आमतौर पर इसमें दर्द भी नहीं होता।

यदि आपको खून के धब्बे आ रहे हों या बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव हो और साथ में दर्द भी हो रहा हो तो गर्भावस्था जारी रहने की संभावना काफी कम रहती है।

गर्भावस्था की शुरुआत में योनि से रक्तस्त्राव, खून के धब्बे आना या दर्द होना अस्थानिक (एक्टोपिक) गर्भावस्था या मोलर गर्भावस्था के संकेत हो सकते हैं। इसलिए यह जरुरी है कि जब भी आपको खून के धब्बे या रक्तस्त्राव हों तो हमेशा डॉक्टर से बात करें।

कई बार, गर्भपात हो जाता है और आपको इसके कोई लक्षण महसूस नहीं होते। इस बारे में आपको गर्भावस्था के नियमित स्कैन के दौरान चलता है। मिस्ड मिस्कैरिज की स्थिति में ऐसा होता है।

यदि स्कैन में गर्भावस्था थैली खाली दिखाई दे और भ्रूण की मौजूदगी न दिखे (ब्लाइटेड ओवम), भ्रूण का विकास बंद हो गया हो या दिल की धड़कन न दिखाई दे तो डॉक्टर आपको बताएंगी कि आपका गर्भपात हो गया है। ध्यान रखें कि आपके शिशु का दिल छह हफ्ते की गर्भावस्था में धड़कना शुरु कर देता है इसलिए यदि आप इससे पहले या छठे हफ्ते के दौरान स्कैन करवाएं तो शायद धड़कन न दिख पाए।

गर्भावस्था के बाद के चरण में गर्भपात आमतौर पर शुरुआती गर्भपात की तुलना में अधिक पीड़ादाई होता है। आपकी पानी की थैली फट जाएगी (आपको इसका पता चल भी सकता है या नहीं भी), आपको बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होगा और दर्दभरे संकुचन होंगे। आपको शायद दर्दनिवारक दवा लेने की जरुरत भी पड़ सकती है। हालांकि, सभी को इतना दर्द हो यह जरुरी नहीं। कमजोर ग्रीवा की वजह से होने वाले गर्भपात में संभव है कि आपको दर्द न हो।
गर्भपात किस वजह से होता है?
पहली तिमाही में गर्भपात लगभग हमेशा गुणसूत्रीय असामान्यताओं के कारण भ्रूण का उचित विकास रुक जाने की वजह से होता है।

आमतौर पर शिशु को मॉं के डिंब से 23 गुणसूत्र और पिता के शुक्राणु से 23 गुणसूत्र मिलते हैं। कई बार डिंब या शुक्राणु से बहुत ज्यादा या बहुत कम गुणसूत्र मिल जाते हैं या गुणसूत्र की संरचना में बदलाव होते हैं। इस तरह की असामान्यताएं होने का मतलब है कि भ्रूण शिशु के रूप में विकसित नहीं हो सकता और इसलिए गर्भावस्था स्वत: बढ़ना बंद हो जाती है।

कई बार शुरुआती विकास की नाजुक प्रक्रिया के दौरान होने वाली समस्याओं की वजह से भी गर्भपात हो जाता है। इन समस्याओं में शामिल हैंं डिंब का गर्भाशय में उचित ढंग से प्रत्यारोपित न हो पाना या भ्रूण में संरचनात्मक विकार होना, जिसकी वजह से वह विकसित नहीं हो पाता।

प्रेगनेंसी के बाद के चरण में गर्भपात की वजह शिशु या होने वाली मॉं के साथ कोई स्वास्थ्य समस्या होना है। कई बार कुछ स्वास्थ्य जटिलताओं की वजह से भी गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है और इस वजह से हुए गर्भपात को सहन कर पाना आसान नहीं होता। हालांकि यदि पहले से स्थिति का पता हो तो आपको बेहतर देखभाल मिल सकती है ताकि गर्भपात के खतरे को जितना संभव हो कम किया जा सके।

यदि आपके लगातार कई बार गर्भपात हो चुके हैं तो आप शायद यह अवश्य जानना चाहेंगी कि ऐसा आपके साथ क्यों हो रहा है। ऐसे करीब आधे से ज्यादा मामलों में कारण का पता नहीं चल पाता। बहरहाल, आपको यह जानकर शायद तसल्ली होगी कि जिन महिलाओं के बिना किसी स्पष्ट कारण के लगातार तीन से ज्यादा गर्भपात हुए हों उनमें चार में से तीन महिलाओं के स्वस्थ शिशु को जन्म देने की संभावना रहती है।

प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही अच्छी चिकित्सकीय देखभाल और सहयोग से गर्भावस्था सफल रहने की संभावना रहती है।

गर्भपात के कारणों को लेकर कई तरह के मिथक भी प्रचलित हैं। कुछ का मानना है कि गर्माहट प्रदान करने वाले भोजन खाने या गर्भावस्था में संभोग (सेक्स) करने से गर्भपात हो सकता है। एक आम मान्यता यह भी है कि तनाव भी मिसकैरिज का कारण बन सकता है। हालांकि, इनमें से कोई भी वास्तव में गर्भपात होने का प्रमाणित कारण नहीं है।
मिसकैरेज होना कितना आम है?
दुर्भाग्यवश, गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भपात होना काफी आम है। अधिकांश गर्भपात प्रेगनेंसी के पहले 12 हफ्तों में होते हैं।

बहुत से निषेचित डिंब गर्भावस्था की एकदम शुरुआत में ही समाप्त हो जाते हैं, तब तक गर्भावस्था की पुष्टि भी नहीं होती। गर्भावस्था जांच पॉजिटिव आने के बाद करीब 10 से 20 प्रतिशत गर्भावस्थाएं गर्भपात की वजह से समाप्त हो जाती हैं।

गर्भावस्था के बाद के चरण में गर्भपात इतने आम नहीं हैं। ऐसा केवल दो प्रतिशत गर्भावस्थाओं में होता है। प्रेगनेंसी के बाद के चरण में गर्भपात को सहन कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। इस चरण पर बहुत से माता-पिता के लिए यह केवल गर्भपात नहीं बल्कि अपने शिशु की मौत होती है, जिसके गम से उबर पाना उनके लिए बेहद मुश्किल होता है।
किन स्थितियों में गर्भपान होने का खतरा बढ़ जाता है?
गर्भपात कभी-कभार उन महिलाओं के साथ होता है जो एकदम स्वस्थ होती हैं और इसलिए इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता। प्रेगनेंसी की शुरुआत में होने वाले गर्भपातों में तो खासतौर पर ऐसा होता है।

गर्भपात किसी भी गर्भवती महिला के साथ हो सकता है, मगर कुछ ऐसे कारण हैं जो इसकी संभावना बढ़ा देते हैं, जैसे कि:

आपकी उम्र
अधिक उम्र की महिलाओं में गुणसूत्रीय असामान्यताओं वाले शिशु का गर्भधारण करने की संभावना ज्यादा होती है और परिणामस्वरूप गर्भपात की आशंका भी ज्यादा रहती है। वास्वत में 40 साल या इससे अधिक उम्र की महिलाओं को 20 साल की महिला की तुलना में गर्भपात की संभावना दोगुनी होती है। आपके गर्भपात का खतरा हर बार गर्भधारण के साथ और ज्यादा बढ़ता जाता है।

आपके पति की उम्र का भी इस बात पर असर होता है। यदि महिला की उम्र 35 साल से अधिक हो और पुरुष की उम्र 40 साल से ज्यादा हो तो गर्भपात की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

आपकी सेहत
कुछ स्वास्थ्य स्थितियों की वजह से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है, विशेषतौर पर यदि उनका उचित चिकित्सकीय उपचार न करवाया जा रहा हो तो। निम्नांकित परिस्थितियों में आपको उचित चिकित्सकीय देखभाल की जरुरत होगी:

आपका वजन सामान्य से काफी ज्यादा है
आपको मधुमेह (डायबिटीज) है
आपको उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) है
आपको सीलिएक रोग है
आपको ल्युपस है
आपको गुर्दे संबंधी समस्याएं हैं
आपको थायरॉइड की समस्या है

यदि किसी स्वास्थ्य स्थिति का असर आपके खून के थक्के जमने (ब्लड-क्लॉटिंग) के तरीकों पर पड़ता है, तो उसकी वजह से भी गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। स्टिकी ब्लड सिंड्रोम, जिसे एंटिफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम या ह्यूज़ सिंड्रोम भी कहा जाता है, उसकी वजह से भी बार-बार गर्भपात हो सकता है। पता चलने पर इसका उपचार किया जा सकता है।

इसी तरह की एक अन्य अनुवांशिक ब्लड-क्लॉटिंग स्थिति थ्रोम्बोफिलिया भी है, जिसे गर्भपात के साथ जोड़ा जाता है।

गर्भाशय की कुछ असामान्यताओं की वजह से भी गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भावस्था में यदि किसी इनफेक्शन जैसे कि फ्लू या भोजन विषाक्तता की वजह से आप बहुत ज्यादा बीमार हो जाएं, तो यह गर्भपात की वजह बन सकता है। कुछ अन्य इनफेक्शन जो गर्भावस्था में समस्या पैदा कर सकते हैं उनमें शामिल हैं लिस्टिरियोसिस, टोक्सोप्लाज्मोसिस और क्लामाइडिया आदि।

आपके हॉर्मोनों को प्रभावित करने वाली स्वाथ्य स्थितियां जैसे कि पॉलिसिस्टिक ओवरी को भी बार-बार गर्भपात या बाद के चरण में होने वाले गर्भपात की वजह माना गया है।

कुछ दवाएं
कुछ दवाएं जैसे कि आईबुप्रोफेन से मिसकैरिज का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए गर्भावस्था में कोई भी दवा लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से पूछ लें। इनमें बिना डॉक्टरी पर्ची के मिलने वाली दवाएं या गर्भावस्था से पहले ली जाने वाले दवाएं भी शामिल हैं।

आपकी जीवनशैली
आपकी जीवनशैली के अधिकांश तरीकों का गर्भपात पर असर नहीं पड़ता मगर ऐसी कुछ चीजें हैं, जो गर्भपात के खतरे को बढ़ा देती हैं, जैसे कि:

सामान्य से बहुत ज्यादा वजन
अत्याधिक कैफीन का सेवन (ब्लैड एंड ग्रीन टी, कॉफी, चॉकलेट और कई तरह के सोडायुक्त नॉन—एल्कोहॉलिक पेयों के सेवन से)
धूम्रपान करना
बहुत ज्यादा शराब पीना
कोकेन जैसे गैरकानूनी ड्रग्स लेना

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