क्या गंभीर खांसी गर्भपात का कारण बन सकती है?pregnancytips.in

Posted on Sat 22nd Oct 2022 : 11:37

सर्दी-जुकाम किस वजह से होता है?
200 से भी ज्यादा ऐसे विषाणु (वायरस) हैं जो सर्दी-जुकाम के लक्षण पैदा कर सकते हैं। किसी व्यक्ति के छींकने या खांसने से जो कीटाणु फैलते हैं, उनसे जुकाम होता है। ये कीटाणु हमारे हाथों या अन्य जगहों पर 24 घंटे तक जिंदा रह सकते हैं। जुकाम का वायरस आपके शरीर में नाक, मुंह या आंखों के जरिये प्रवेश कर सकता है।

इसके लक्षण करीब एक हफ्ते तक रहते हैं, हालांकि खांसी तीन हफ्तों तक रह सकती है। चूंकि सर्दी-जुकाम जीवाणु (बैक्टीरिया) की बजाय विषाणु की वजह से फैलता है, इसलिए एंटिबायोटिक दवाओं से भी फायदा नहीं होगा।
कई बार गले, नाक, कान या छाती में वायरल या बैक्टीरियल इनफैक्शन होने से भी सर्दी-जुकाम हो सकता है।
साइनस इनफेक्शन के संकेतों पर ध्यान दें जैसे कि बुखार और पीला, हरा या लाल श्लेम (म्यूकस)।

कुछ बैक्टीरियल संक्रमणों में एंटिबायोटिक की जरुरत हो सकती है, इसलिए यदि लक्षण और बिगड़ते जा रहे हों तो डॉक्टर को दिखाएं।

गर्भावस्था में यदि आपको तेज बुखार हो या गंभीर श्वासहीनता हो तो हमेशा डॉक्टर को दिखाएं।

सर्दी-जुकाम होने से गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है?
सामान्य सर्दी-खांसी होने पर आपको चाहे कितनी भी असहजता महसूस हो, मगर इससे आपकी या शिशु की सेहत को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।

फिर भी, गर्भावस्था के किसी भी चरण में अपने स्वास्थ्य के बारे में आपकी कोई भी चिंता हो तो हमेशा डॉक्टर से बात करें।

गर्भावस्था में सर्दी-जुकाम, खांसी का उपचार कैसे किया जा सकता है?
यदि आपको सर्दी-खांसी है, तो एंटिबायोटिक्स से फायदा नहीं होगा। आप परेशान न हों, जब भी थकान महसूस हो आराम करें, अच्छा पौष्टिक भोजन खाएं और जलनियोजित रहने के लिए पर्याप्त पानी पीएं।

बहती या बंद नाक
बंद नाक से आपको काफी असहजता हो सकती है। इसके लिए आप भाप ले सकती हैं या नमक के पानी का स्प्रे नाक में डाल सकती हैं। आप डॉक्टर से ऐसी वेपर रब के बारे में पूछ सकती हैं जिसका इस्तेमाल गर्भावस्था में सुरक्षित हो। पैरासिटामोल की दवा लेने से भी बहती या बंद नाक से राहत मिल सकती है। मगर डॉक्टर द्वारा बताई गई सही खुराक ही आपको लेनी चाहिए।

यदि आप गर्भावस्था में कोई डिकंजेसटेंट दवा (टैबलेट, सिरप या नाक में डालने वाला स्प्रे) लेना चाहें, तो पहले डॉक्टर से बात कर लें। प्रेगनेंसी में अक्सर इनके इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जाती। डिकंजेसटेंट रक्त वाहिकाओं को संकरा कर देते हैं, जिससे बंद या बहती नाक से राहत मिलती है। मगर ये आपकी अपरा की रक्त वाहिकाओं को भी संकरा कर सकती हैं। कुछ डिकंजेसटेंट को शिशुओं में दिल, कान या पेट से जुड़े विकारों से भी जोड़ा गया है।

दवा की दुकान पर मिलने वाली कई सर्दी-खांसी की ऑल-इन-वन दवाएं कई दवाओं का मिश्रण होती हैं, जिनमें डिकंजेटेंट भी शामिल हैं। इसलिए गर्भावस्था में इन्हें लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से पूछ लेना चाहिए।

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि खांसी की दवाएं कितनी प्रभावी हैं, मगर आप ग्लिसरीन पर आधारित कोई सामान्य दवा आजमा सकती हैं। यदि आप कोई कफ सिरप या गोली (लॉज़ेंजज) लेना चाहे, तो डॉक्टर से ऐसे विकल्प पूछें जो प्रेगनेंसी में लेना सुरक्षित हों।

बुखार या दर्द
आप पैरासिटामोल ले सकती हैं, क्योंकि ये गर्भावस्था में सुरक्षित रहती है। गर्भावस्था में पैरासिटामोल समेत कोई भी दवा लेने के लिए अपनी डॉक्टर की सलाह और खुराक का पालन करें। आप पैरासिटामोल कम समयावधि के लिए ही लें।

हालांकि, अक्सर दर्द निवारक के तौर पर पैरासिटामोल लेने की सलाह दी जाती है, मगर यह उतनी प्रभावी हो यह जरुरी नहीं। जब आपको सर्दी-जुकाम हो तो पैरासिटामोल बंद या बहती नाक से राहत दिला सकती है मगर शायद सिरदर्द में इतनी प्रभावी न हो।

यदि आपको हल्का सिरदर्द हो तो पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें और खूब आराम करें। बेहतर है कि गर्भावस्था में डॉक्टर की सलाह के बिना एस्पिरिन का सेवन न करें।

यदि आप गर्भावस्था की पहली या दूसरी तिमाही में हैं, तो आईबूप्रोफेन लेने से पहले अपनी डॉक्टर से बात कर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि आईबूप्रोफेन लेने की सलाह आमतौर पर नहीं दी जाती। तीसरी तिमाही में तो आईबूप्रोफेन नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि यह गर्भस्थ शिशु के लिए सुरक्षित नहीं होती।

यदि आपने गर्भवती होने का पता चलने से पहले इनमें से कोई दवा ली थी, तो ज्यादा चिंतित न हों। इनसे जुड़े खतरे बहुत गंभीर नहीं होते और शायद शिशु पर इनका असर भी नहीं होगा। आप इस बारे में डॉक्टर को बताएं और वे आपको सही सलाह और आश्ववासन दे सकेंगी।

कुछ महिलाएं होम्योपैथिक दवाओं को प्रभावी मानती हैं। यदि आप होम्योपैथिक उपचार लेना चाहें, तो हमेशा रजिस्टर्ड और प्रशिक्षित होम्योपैथिक डॉक्टर के पास जाएं। ऐसे डॉक्टर को चुनें जिन्हें गर्भवती महिलाओं के उपचार का अनुभव हो और आपके चिकित्सकीय इतिहास के बारे में भी जानते हों।

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