क्या गर्भपात का दर्द लेबर पेन की तरह होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 13:35

कंसीव करने के बाद से लेकर डिलीवरी तक महिलाओं को बहुत कुछ सहना पड़ता है। इस दौरान उन्‍हें कई तरह के दर्द को भी बर्दाश्‍त करना पड़ता है। प्रेग्‍नेंसी के पहले तीन महीने बहुत नाजुक होते हैं क्‍योंकि इस पीरियड में गर्भपात होने का खतरा ज्‍यादा रहता है। वहीं कुछ मामलों में अनचाही प्रेग्‍नेंसी होने पर महिलाएं अबॉर्शन करवाना चाहती हैं। ऐसे में कई बार मन में यह सवाल आता है कि क्‍या अबॉर्शन से दर्द होता है?

अबॉर्शन हर महिला के लिए अलग होता है। कुछ महिलाओं को बहुत तेज पीरियड्स में होने वाली ऐंठन महसूस होती है और कुछ के लिए यह समय आसानी से गुजर जाता है और कोई प्रॉब्‍लम नहीं आती है। हो सकता है कि अबॉर्शन में कुछ समय के लिए दर्द हो और ज्‍यादातर महिलाएं इसके अगले दिन ही रोजमर्रा के काम कर सकती हैं। जबकि कुछ महिलाओं का कहना है कि अबॉर्शन का दर्द पीरियड्स में होने वाली ऐंठन से ज्‍यादा होता है लेकिन लेबर पेन से कम होता है। आमतौर पर डॉक्‍टर अबॉर्शन से जुड़े दर्द और असहजता को कम करने के लिए दवा लिखते हैं।


कैसे होता है अबॉर्शन

अबॉर्शन के दौरान गर्भाशय से भ्रूण और प्रेग्‍नेंसी के ऊतक निकल या निकाल दिए जाते हैं। प्रेग्‍नेंसी कितने हफ्ते की है और अन्‍य कारकों के आधार पर डॉक्‍टर बताते हैं कि अबॉर्शन किस तरह करना है। आमतौर पर अबॉर्शन दो तरह का होता है मेडिकल और सर्जिकल।
​मेडिकल अबॉर्शन

प्रेग्‍नेंसी को खत्‍म करने के लिए कई तरह की दवाएं एकसाथ दी जाती हैं। पहले दवा खाकर प्रेग्‍नेंसी को आगे बढ़ने से रोका जाता है और फिर एक से तीन दिनों के बाद वैजाइनल दवा दी जाती है। ये दवाएं यूट्राइन लाइनिंग को गिराती हैं और योनि से भ्रूण के हिस्‍से बाहर आते हैं। इससे आपको ऐंठन और ब्‍लीडिंग हो सकती है।


इसमें प्रेग्‍नेंसी को खत्‍म करने के लिए गर्भाशय की सफाई की जाती है। पीरियड्स मिस होने के पांच से छह हफ्तों के बाद सक्‍शन क्‍यूरेटेज या डी एंड सी से प्रेग्‍नेंसी को खत्‍म किया जाता है। प्रेग्‍नेंसी के 14 हफ्ते पार करने के बाद डी एंड सी से अबॉर्शन किया जाता है।


नोएडा एक्‍सटेंशन स्थित क्रिएशन वर्ल्‍ड आईवीएफ की मेडिकल डायरेक्‍टर डॉक्‍टर शुचि कालिया कहती हैं कि अबॉर्शन कई तरह का होता है जिसमें पहले तीन महीने में और फिर अगले दो महीने में गर्भपात होता है। पहले तीन महीने में अबॉर्शन आसानी से हो जाता है। इस समय दवा या सर्जरी की मदद से अबॉर्शन किया जाता है। दवा से अबॉर्शन करवाने पर ऐंठन महसूस होती है और भ्रूण के हिस्‍से योनि के जरिए बाहर निकलते हैं जिससे दर्द होता है।

डॉक्‍टर शुचि कहती हैं कि सर्जरी से अबॉर्शन करने पर बेहोश कर दिया जाता है और दर्द को कम करने के लिए दवा दे दी जाती है जिससे दर्द महसूस नहीं होता है। वहीं इसके बाद अगले दो महीनों में जो अबॉर्शन होता है, वो डिलीवरी की तरह ही होता है। इसमें दवा की मदद से दर्द शुरू कर के बच्‍चे को प्रसव की तरह की बाहर निकाला जाता है।



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