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प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज क्यों होता है?
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज क्यों होता है?
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को जी मिचलाना, उल्टी और चक्कर आना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान डिस्चार्ज की समस्या होती है। गर्भावस्था के दौरान वजायना से डिस्चार्ज प्री-प्रेग्नेंसी से अलग होता है। जो रंग और मात्रा में भिन्न हो सकता है। इन डिस्चार्ज में वृद्धि गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है। इस दौरान महिलाओं को कभी-कभी ब्राउन डिस्चार्ज भी होता है। जिसे पहली बार प्रेग्नेंट हुई महिलाएं गर्भपात समझ बैठती हैं। गर्भावस्था में हल्का डिस्चार्ज होना बहुत सामान्य है। इसका मतलब यह भी नहीं कि इन्हें नजरअंदाज करना शुरू कर दें।
क्याें होता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज?
गर्भवती महिला के गर्भ में जब निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार पर अपनी जगह बनाता है तो ब्लड की कुछ बूंदें गिरती हैं, जिसे ब्लड डिस्चार्ज या स्पॉटिंग कहा जाता है। डिस्चार्ज में आने वाला ब्लड सफेद, गुलाबी तथा लाल रंग का होता है। कई बार प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज भी होता है। यह चिंता की बात नहीं है, लेकिन ज्यादा ब्लड दिखे तो आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। क्योंकि सामान्य से अधिक और लगातार डिस्चार्ज का होना एक्टोपिक गर्भावस्था, प्लासेंटल एबरप्शन, गर्भपात या प्लेसेंटा प्रीविया का संकेत हो सकता है।
कब शुरू होता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज?
करीब 20 से 30 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पहली तिमाही में वजायनल ब्लीडिंग हो सकती है। सामान्य तौर पर यह हल्की गुलाबी या डार्क ब्राउन रंग की होती है।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज के लक्षण (Symptoms of Brown Discharge During Pregnancy):
ब्लड डिस्चार्ज
पेट में मरोड़ उठना
पीठ में दर्द
लगातार उल्टी
बेहोशी आना
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज और ब्लीडिंग होने के क्या कारण हैं?
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज का कारण इंप्लांटेशन:
जब निषेचित अंडा महिला के गर्भाशय में अच्छे से प्रवेश कर जाता है तो इस दौरान गर्भाशय के ब्लड वेसल्स के टूटने पर वजायना से रक्तश्राव होने लगता है। जो कभी-कभी कुछ घंटों तक हो सकता है। कुछ परिस्थितियों में यह एक दो दिन तक रह सकता है फिर अपने आप ठीक हो जाता है। इस दौरान ब्राउन डिस्चार्ज हो सकता है।
मेंस्ट्रुअल साइकल के रेगुलर न होने से भी होता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज :
गर्भावस्था में हार्मोन महिलाओं के पीरियड्स चक्र को दबाने लगते हैं। जिस वजह से कई बार पीरियड्स आने में थोड़ा वक्त लगता है। इसलिए संभव है कि पीरियड की निश्चित तिथि को आप मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं को महसूस करें। जैसे- ब्रेस्ट में खिंचाव, कमर दर्द, पेट दर्द। इसके साथ ही डिस्चार्ज भी हो सकता है। यह डिस्चार्ज या ब्लीडिंग बहुत कम मात्रा में होगी और खुद बंद हो जाएगी।
वजायनल इंफेक्शन भी हो सकता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज की वजह:
शरीर का यह आंतरिक भाग बहुत सेंसिटिव होता है। जिनमें हल्का सा इंफेक्शन होने से ब्लीडिंग या ब्राउन डिस्चार्ज होने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार वजायना अथवा ग्रीवा में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी ऐसा होता है। इंफेक्शन के कारण वजायना में सूजन और उस एरिया का लाल होने की समस्या होने की स्थिति को बैक्टीरियल वजायनल इंफेक्शन कहते हैं।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज का कारण सेक्शुअल इंटरकोर्स:
सर्वाइकल पॉलिप्स की वजह से स्पॉटिंग होना आम बात है। सर्वाइकल पॉलिप्स की वजह से भी प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग की समस्या हो सकती है। सर्विक्स में जब ग्रोथ होती है तो ये ब्राउन डिस्चार्ज का कारण बन जाती है। ऐसा एस्ट्रोजन के हाई लेवल के कारण भी हो सकता है। जब प्रेग्नेंसी के दौरान सर्विक्स में ब्लड वैसल्स की संख्या बढ़ जाती है तो ब्राउन डिस्चार्ज या हल्की ब्लीडिंग का कारण बन सकती है। जब सेक्शुअल इंटरकोर्स होता है तो ब्लीडिंग हो जाती है। आप इस बारे में डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स को सुरक्षित माना जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करने से खतरा नहीं होता है। अगर महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह काम्प्लीकेशन नहीं है तो वो सेक्स कर सकती है। सेक्स के समय हल्की ब्लीडिंग खतरे का संकेत नहीं होती है। अगर आपको सेक्स के समय किसी तरह की परेशानी हो रही है तो बेहतर होगा कि आप अपनी डॉक्टर से इस बारे में जानकारी प्राप्त करें।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज से हो सकता है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा:
गर्भावस्था के दौरान की यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण मानी जाती है। जब अंडा गर्भाशय में अपने सही जगह ना पहुंच सके और यूट्रस को छोड़ कहीं और सेटल हो जाए तो उसे अस्थानिक गर्भधारण या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। इसमें अंडा गर्भाशय नाल में ही रुक जाता है, जिससे गर्भवती महिला को ब्लीडिंग और डिस्चार्ज के साथ पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की जानकारी लक्षणों के आधार पर ही होती है। महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान दर्द की समस्या आमतौर पर नहीं होती है। अगर ऐसे में किसी महिला को पेट में तेज दर्द का एहसास और ब्लीडिंग हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज की वजह हो सकती है मोलार प्रेग्नेंसी:
मोलार प्रेग्नेंसी में निषेचित अंडे में किसी गुणसूत्रों की बहुलता के कारण गर्भाशय में भ्रूण का सही विकास नहीं हो पाता। यह असामान्यता का भी संकेत दे सकती है। इस परिस्थिति में भ्रूण का विकास हो पाना संभव नहीं होता। कई बार जब किसी महिला की मोलार प्रेग्नेंसी होती है तब भी लाइट पिंक या ब्राउन डिस्चार्ज होता है।
क्या प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में भी हो सकता है ब्राउन डिस्चार्ज
जिन तरह से प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में ब्राउन डिस्चार्ज की समस्या हो सकती है, ठीक वैसे ही प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में भी ये समस्या हो सकती है। गर्भावस्था के आखिरी दिनों में भूरे रंग के डिस्चार्ज का मतलब लेबर के करीब होने के संकेत के रूप में हो सकता है। म्यूकस प्लग के रप्चर होने पर हल्के भूरे रंग का डिस्चार्ज हो सकता है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो आपको डॉक्टर से इस बारे में परामर्श करना चाहिए और साथ ही आपको हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार भी हो जाना चाहिए। ऐसे में लेबर पेन के कभी भी शुरू होने की संभावना रहती है। एक बात का ध्यान रखें कि ब्लीडिंग और भूरे रंग के डिस्चार्ज में अंतर होता है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में ब्लीडिंग हो रही है तो ये ठीक नहीं है। आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
ब्राउन डिस्चार्ज आने पर टेस्ट की जरूरत
अगर आपको लग रहा है कि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग का होना ज्यादातर मामलों में खतरनाक नहीं होता है तो फिर टेस्ट की क्या जरूरत है ? हम आपको बता दे कि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग के साथ अगर ब्लीडिंग की समस्या भी हो रही है तो डॉक्टर आपको टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सर्वाइकल टेस्ट और वजाइनल टेस्ट ऐसे में जरूरी हो जाता है। जांच के दौरान खून की जांच और अल्ट्रासाउंड अहम होता है। ऐसा करने से यूट्रस के शेप के साथ ही अन्य अहम बातों के बारे में भी जानकारी मिल जाती है। अगर आपको प्रेग्नेंसी स्पॉटिंग ज्यादा हो रही है तो डॉक्टर ऐसे में आपको कुछ मेडिसिन लेने के साथ ही आराम करने की सलाह भी दे सकता है। एक बात का ध्यान रखें वाइट डिस्चार्ज हो या फिर ब्राउन डिस्चार्द, अगर गर्भावस्था के दौरान ये अधिक मात्रा में आ रहा है और साथ ही डिस्चार्ज से बदबू भी आ रही है तो ये संक्रमण का संकेत भी हो सकता है। ऐसे में महिला को फीवर भी आ सकता है। ऐसी समस्या होने पर डॉक्टर से परिक्षण कराना बहुत जरूरी हो जाता है। अगर इंफेक्शन का सही समय पर इलाज नहीं कराया जाता है तो किडनी को भी खतरा पैदा हो सकता है। सावधानी ही किसी भी बीमारी को रोकने का पहला कदम है।
यदि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग को छोड़कर कभी भी ब्लीडिंग हो तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह वजायनल इंफेक्शन, गर्भपात (मिसकैरिज) या प्रेग्नेंसी में समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसा गर्भवती महिला के प्लासेंटा में नुकसान होने की वजह से भी ऐसा होता है। अगर आप ऐसा कुछ भी महसूस कर रही हैं तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवा लें।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज हो तो इन बातों का रखें ध्यान:
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर स्पॉटिंग हो रही हो तो सैनिटरी पैड जरूर इस्तेमाल करें ताकि आपको पता चल सके कि ब्राउन डिस्चार्ज कितनी मात्रा में हो रहा है। इससे आपको खतरे का अंदाजा लगा सकेगा।
वजायना से निकलने वाले ब्लड की कुछ कोशिकाओं की जांच कराएं।
गर्भावस्था के दौरान अगर आपको ज्यादा ब्लीडिंग या ब्राउन डिस्चार्ज हो तो इस दौरान टेम्पून (Tempon) के इस्तेमाल से परेहज करें।
आपको स्पॉटिंग या ब्लीडिंग हो रही है तो शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें।
प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग: नियमित चिकित्सा जांच है जरूरी
सामान्य मामलों में महिलाओं को हल्के डिस्चार्ज की समस्या होती है जो कि सामान्य है। ऐसे मामलों में महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कम से कम 6-9 बार चेकअप के लिए जाना चाहिए।
पीरियड और गर्भावस्था के अलग-अलग समय में डिस्चार्ज होना एक सामान्य है। वही हेल्दी वजायनल डिस्चार्ज को ल्यूकोरिया के नाम से भी जाना जाता है। यह पतला और सफेद होता है और इसमें हल्की स्मेल आती है।
वजायनल और यूटेराइन इंफेक्शन को कम करने के लिए गर्भावस्था के दौरान डिस्चार्ज की मात्रा बढ़ जाती है। गर्भावस्था के आखिरी हफ्ते में डिस्चार्ज की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। इस ड्यूरेशन में यह गुलाबी रंग का और म्यूकस जैसा दिखता है। आमतौर यह पर जैली की तरह होता है जो यह बताता है कि महिला का शरीर डिलिवरी के लिए तैयार है।
मिसकैरिज के संकेत को समझें
आपको अगर प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में ब्राउन डिस्चार्ज दिख रहा है तो आप उसे मिसकैरिज बिल्कुल भी न समझे। ज्यादातर मिसकैरिज प्रेग्नेंसी के पहले 13 वीक में पाए जाते हैं। कुल प्रेग्नेंसी के करीब 10 प्रतिशत मामलों में मिसकैरिज पाए जाते हैं। आप डॉक्टर को बता सकते हैं कि आपको स्पॉटिंग हुई है या फिर ब्लीडिंग। अगर ब्लीडिंग एक घंटे के अंदर बंद नहीं हुई है खतरे की बात हो सकती है। साथ ही वजन का घटना, वाइट-पिंक म्युकस का आना, पेट में संकुचन होना और साथ ही प्रेग्नेंसी के लक्षणों में कमी आना मिसकैरिज का संकेत हो सकता है। इस बात का जानकारी डॉक्टर जांच के बाद ही दे सकता है।
दूसरी और तीसरी तिमाही में मिसकैरिज के संकेत
दूसरी और तीसरी तिमाही में भी मिसकैरिज की संभावन रहती है। लेट प्रेग्नेंसी मिसकैरिज 13 हफ्तों के बाद में होता है। ऐसे में फीटस में मूवमेंट नहीं होता है। साथ ही वजाइनल स्पॉटिंग भी होती है। बैक और पेट में संकुचन होता है। वजाइना से कुछ फ्लूड और टिशू भी निकल सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
ऐसी स्थिति होने पर डॉक्टर कुछ मेडिसिन देते हैं ताकि फीटस के साथ ही प्लासेंटा को वजाइनली डिलिवर किया जा सके। अगर ऐसा संभव नहीं होता है तो डॉक्टर फीटस को सर्जिकल रिमूव भी कर सकते हैं। इस प्रोसेस को डायलेशन या इवेक्युएशन भी कहा जाता है।
हम उम्मीद करते हैं कि प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज पर आधारित यह आर्टिकल आप के लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं तो आपके लिए इन बातों की जानकारी रखना बहुत जरूरी है ताकि आप इस दौरान घबराएं न। साथ ही अगर आप गर्भावस्था में तब भी आपको इस दौरान होने वाले फिजिकल और मेंटल चेंजेस के बारे में पता होना चाहिए। प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज चिंता की बात नहीं है, लेकिन यदि ज्यादा ब्लड दिखे तो आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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ड्यू डेट कैलक्युलेटर
अपनी नियत तारीख का पता लगाने के लिए इस कैलक्युलेटर का उपयोग करें। यह सिर्फ एक अनुमान है - इसकी गैरेंटी नहीं है! अधिकांश महिलाएं, लेकिन सभी नहीं, इस तिथि सीमा से पहले या बाद में एक सप्ताह के भीतर अपने शिशुओं को डिलीवर करेंगी।
8 मंथ प्रेग्नेंसी डायट चार्ट, जानें इस दौरान क्या खाएं और क्या नहीं?
आपने कई बार सुना होगा हर औरत का सपना होता है मां बनना। इतना ही नहीं मां बनना एक औरत के जीवन की सबसे बड़ी जीत होती है, क्योंकि इस दौरान वो एक साथ दो जिंदगी अपने अंदर पाल रही होती है। एक औरत जब गर्भ से होती है, तो उसके द्वारा किया गया हर कार्य, आहार का उसके गर्भ में पल रहे शिशु पर प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बीतता जाता है, आपका शिशु के लिए जिम्मेदारी और सावधानी दोनों बढ़ने लगती है। इस दौरान आपको यह पता होना बेहद आवश्यक हो जाता है, की आपको गर्भावस्था के किस मंथ में क्या खाना है,कितना खाना है। क्योंकि आपकी जरा सी लापरवाही आपके और आपके शिशु के जोखिम पैदा कर सकती है।आपको हमारे वेबसाइट में गर्भावस्था के पहले महीने से नौंवे महीने तक का डाइट चार्ट मिल जाएगा। जिसकी मदद से आप अपने और अपने शिशु का ध्यान आसानी से रख सकती है। तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं की यदि आप अपनी गर्भावस्था के 8 मंथ में प्रवेश कर चुकी हैं, तो आपके किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्या कब खाना चाहिए। तो आइए जानते हैं 8 मंथ प्रेग्नेंसी डायट चार्ट में क्या-क्या शामिल है।
गर्भावस्था के आंठवे महीने में क्या खाएं
जब गर्भावस्था में खाने की बात आती है, तो महिलाओं को केवल यह सुनने को मिलता है, ऐसी अवस्था में अच्छा-अच्छा और हेल्दी खाना ही खाना खाएं जिससे शिशु स्वस्थ हो। लेकिन कोई ये नहीं बताता कि अच्छा और हेल्दी खाने में क्या खाया जाए। तो आज हम आपको बताने वाले हैं, कि आप अपने आंठवे महीने में क्या-क्या खाएं।
मछली का सेवन
आपको बता दें की मछली में आयरन की एक बड़ी मात्रा होती है, जो गर्भावस्था के दौरान बेहद महत्वपूर्ण है। आयरन की कमी से एनीमिया होता है, जिससे मां में सामान्य थकान की भावना पैदा हो सकती है। मछली में प्रोटीन जैसे अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी होते हैं, जो 8 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट के लिए एक बढ़िया ऑप्शन बनाता है।
विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थ लें
अपनी गर्भावस्था के लगभग अंतिम महीने के दौरान, आपके लिए उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना महत्वपूर्ण होता है, जो आयरन और कैल्शियम से भरपूर होते हैं। रक्त की कमी प्रसव का एक हिस्सा है और आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप अपने आहार में पर्याप्त आयरन शामिल करें। कैल्शियम आपके और बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाए रखेगा। विटामिन के लिए आप अपने आहार में ये शामिल कर सकते हैं।
डेयरी उत्पाद का सेवन
डेयरी उत्पादों का सेवन शिशु के विकास के लिए बहुत अच्छा होता है। दूध सहित डेयरी उत्पाद, कैल्शियम और पोटेशियम, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का एक संपूर्ण स्रोत होता हैं। गर्भावस्था के अंतिम महीने में डेयरी उत्पादों का सेवन करने से शिशु के विकास पर प्रभाव पड़ता है। अगर आपको डेयरी प्रोडक्ट से किसी प्रकार की समस्या महसूस हो रही हो तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं।
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा से भरपूर खाद्य पदार्थ
8 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट में आपको कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन और वसा के सेवन करना सबसे अधिक आवश्यक होता है। जो आपको नीचे दिए गए पदार्थों में पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है। जो इस प्रकार से हैं।
प्रोटीन के लिए
चिकन ब्रेस्ट
दूध
दही
सोया दूध
फलियां
लीन मांस
सफेद अंडे
टोफू
मछली
कार्बोहाइड्रेट के लिए
आलू
फलियां
नट्स
जामुन
साबुत अनाज
अनाज
मीठे आलू
तरबूज
वसा के लिए
अंडे
पीनट बटर
नट्स
मछली
संतरे का सेवन
बड़ी मात्रा में फाइबर होने के अलावा, संतरे में बड़ी मात्रा में विटामिन सी भी होता है, जो शरीर के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है। विटामिन सी महत्वपूर्ण है, ये आयरन के अवशोषण में मदद करता है। विटामिन सी के अन्य स्रोतों में टमाटर, नींबू और गोभी शामिल हैं।
लाल मांस का सेवन
जो महिलाएं नॉनवेज का सेवन करती हैं उनका लिए यह एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है। रेड मीट गर्भावस्था में आहार के लिए एक बढ़िया विकल्प है, क्योंकि यह आयरन और प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत है। ये मां और शिशु दोनों के लिए आवश्यक खनिज हैं, क्योंकि ये शिशु के विकास को गति देने में मदद करते हैं। तो वहीं मां के सामान्य स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है, क्योंकि इसमें ऐसे खनिज होते हैं जो गर्भावस्था के दौरान आपको थका हुआ या बीमार होने से बचाते हैं।
केले का सेवन
अगर हम बात करें सबसे पुराने फलों में से एक की तो, केला प्राचीन काल से ही आवश्यक विटामिन और खनिजों का एक बड़ा स्रोत रहा है। केला पोटेशियम, कैल्शियम, और आयरन से भरपूर होते हैं, जिससे यह किसी भी महिला के आहार में जरूरी है। सबसे पहली बात तो वे पाचन को भी बढ़ावा देते हैं और कब्ज से राहत देते हैं, जिससे गर्भवती महिला को आराम मिलता है, क्योंकि वे घुलनशील फाइबर का एक समृद्ध स्रोत हैं।
पत्तीदार शाक भाजी का सेवन
गर्भावस्था के दौरान फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे तीसरी तिमाही के दौरान अतिरिक्त वजन और अतिरिक्त हार्मोन स्राव के कारण होने वाली कब्ज की समस्या को रोकने में मदद करते हैं। पत्तेदार सब्जियों में फाइबर, पोटेशियम और कैल्शियम जैसे अन्य खनिजों के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है। वे आंठवे महीने की गर्भावस्था महिलाओं के लिए एक बढ़िया आहार हैं।
पीनट बटर
आंठवे महीने की गर्भावस्था के दौरान शरीर के लिए वसा की आवश्यकता होती है, हालांकि बहुत से लोग इसको सही नहीं मानते हैं। जबकि वसा में उच्च खाद्य पदार्थ सख्ती से ऑफ-लिमिट हैं, महत्वपूर्ण फैटी एसिड अभी भी एक गर्भवती महिला के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ओमेगा -3 एक महत्वपूर्ण फैटी एसिड का एक उदाहरण है जो भ्रूण के मस्तिष्क के विकास में बहुत योगदान देता है। इसके साथ गर्भवती महिलाओं में रक्त की कमी का ख्याल भी रखता है। पीनट बटर जैसे अच्छे वसा के अन्य स्रोत अंडे और मछली हैं।
फाइबर वाले खाद्य पदार्थ
आपकी गर्भावस्था के इस चरण के दौरान उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ महत्वपूर्ण हैं। इन खाद्य पदार्थों का उच्च पोषक जरूरी होता है। इनमें फाइबर की सही मात्रा भी होती है जो आपको अपनी गर्भावस्था के आखिरी महीनों में मिलना चाहिए। जो इस प्रकार से हैं।
मक्का
सफेद सेम
काले सेम
एवोकाडो
साबुत गेहूं की चपाती
भूरा चावल
पूरे गेहूं की ब्रेड
गोभी
ब्रोकोली
पत्तेदार हरी सब्जियां
अजवायन
8 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट देखें
यह तय करना कि आप क्या खाते हैं, आपके बच्चे को स्वस्थ होने में मदद करता है। इस 8 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट में हमने यह बताने की कोशिश की है,कि 8 वें महीने की गर्भावस्था के लिए एक सामान्य आहार योजना क्या हो सकती है और गर्भावस्था के 8 वें महीने में क्या खाना चाहिए। गर्भावस्था में डायट प्लान करने के साथ ही यह भी तय करें कि खाना एक साथ न खाएं वरना पेट में भारीपन महसूस हो सकता है। खाने को दिनभर कई भागों में बांटकर सेवन करें।
ब्रेकफास्ट से पहले
निम्न में से कोई भी समान रूप से पौष्टिक होता है, और पूर्व-नाश्ते के रूप में होना चाहिए।
सेब का रस
टमाटर का रस
ए 2 गाय के दूध का एक गिलास
बादाम का दूध
मिल्कशेक
मेवे
8 मंथ प्रेग्नेंसी डायट चार्ट : नाश्ता
8 महीने की गर्भावस्था के लिए एक स्वस्थ नाश्ता हो सकता है
कटलेट
सब्जी सैंडविच
बम्बिनो उपमा
ताजे फलों का एक कटोरा
सब्जियां
ओट्स दलिया
पूरी या गेहूं का मक्खन टोस्ट
दही के साथ भरवां पराठा
8 मंथ प्रेग्नेंसी डायट चार्ट : मध्य-सुबह का नाश्ता
इसमें किसी भी प्रकार का सूप ले सकते हैं जैसे,
चिकन सूप
गाजर, बीट और ड्रमस्टिक्स सूप
टमाटर सूप
पालक का सूप
दोपहर का भोजन
दोपहर का भोजन किसी एक या निम्नलिखित का संयोजन होना चाहिए,
सब्जी, दाल और चावल के साथ रोटी
सब्जी, दाल और चावल के साथ परांठा
एक कटोरी दही के साथ भरवां परांठा
दाल तड़का और जीरा चावल
चावल के साथ चिकन सूप
दही चावल
8 मंथ प्रेग्नेंसी डायट चार्ट : शाम में नाश्ता
मकई पनीर सैंडविच
भरवां इडली
समोसा
सब्जी कटलेट
पनीर या सब्जी सैंडविच
मूंगफली चाट
सब्जी उत्तपम
सब्जी उपमा
रात का खाने में लें
दाल, चावल और हरी सलाद
रोटी, दाल, खिचड़ी
सब्जी की खिचड़ी
भरवां पराठा और एक कटोरी दही।
गर्भावस्था के 8 वें महीने के दौरान किन खाद्य पदार्थों से बचें?
आपकी गर्भावस्था के इस चरण के दौरान, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं, जिनसे आपको लेने से बचना चाहिए। आपको और आपके बच्चे को फायदा पहुंचाने के लिए आपको गर्भावस्था में पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाना हमेशा महत्वपूर्ण होता है। गर्भावस्था के 8 वें महीने में कुछ ऐसे आहार हैं, जिन्हें आपको अपना दैनिक आहार बनाने से बचना चाहिए।जो इस प्रकार से हैं।
कॉफी का सेवन करने बचें
जैसे-जैसे आपकी प्रसव की तारीख नजदीक आती जाती है आपको अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। आप अपने आप को संकुचित होते देखेंगे जो वास्तव में असहज हो सकता है,इस लक्षण को कम करने का है की कॉफी को अपने दैनिक आहार का हिस्सा न बनाएं। आपको कैफीन युक्त पेय पदार्थों जैसे वातित शीतल पेय आदि का सेवन भी कम करना चाहिए।
कच्चे दूध से बचें
आपको बिना पके बकरी, गाय और भेड़ के दूध से बचना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान बकरी का दूध बहुत जोखिम भरा होता है क्योंकि यह टॉक्सोप्लाज्मोसिस के उच्च जोखिम के साथ आता है। दूध को एक उबाल आने तक जरूर पका लें ताकि जर्म्स से बचा जा सके।
शार्क, मर्लिन और स्वोर्डफिश लेने से बचें
इस प्रकार की मछलियों में उच्च मात्रा में मेथिल मरकरी होती है। जो आपके गर्भ में बच्चे के तंत्रिका तंत्र के लिए हानिकारक हो सकती है। यदि आप मछली खाने जा रहे हैं, तो उन चीजों को चुनें जो बहुत फैटी नहीं हैं और आपको और आपके बच्चे को आवश्यक पोषण प्रदान करते हैं।
सॉफ्ट चीज लेने से बचें
पनीर जो ब्री जैसे मोल्ड के साथ पक गए हैं, साथ ही पनीर जिसमें डेनिश ब्लू है उनमें अक्सर लिस्टेरिया हो सकता है। यही कारण है कि उन्हें गर्भावस्था के दौरान इससे बचना चाहिए। यदि आप पनीर खाना चाहते हैं, तो हार्डर जैसे चेडर का विकल्प चुन सकते हैं।
कच्चे या अधपके अंडे लेने से बचें
अंडे जिन्हें हल्के से पकाया गया है या कच्चा है, उन्हें गर्भावस्था के दौरान खाने से बचना चाहिए। उनमें साल्मोनेला बैक्टीरिया होने का एक उच्च जोखिम है जो खाद्य विषाक्तता का कारण बनता है।
कच्चे शैल मछली लेने से बचें
आपको गर्भावस्था के दौरान कच्ची मछली जैसे सुशी इन्हें कच्चा खाने से बचना चाहिए। यह खाद्य विषाक्तता के उच्च जोखिम के कारण है।जो ये खाद्य पदार्थ पैदा कर सकते हैं।
शराब और तंबाकू के सेवन से बचें
आपको गर्भावस्था में शराब और तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए।। वे आपके बच्चे को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं और बच्चा स्वास्थ्य जटिलताओं के साथ पैदा हो सकता है। शराब का सेवन न तो प्रेग्नेंसी के पहले करना चाहिए और न ही गर्भावस्था के दौरान। वहीं तंबाकू का सेवन कैंसर का कारण भी बन सकता है इसलिए बेहतर है कि आप स्वस्थ्य आहार पर ध्यान दें।
नोट: इस बात का बहुत ध्यान रखें कि आप इसमें क्या लेते हैं और यह आपके अजन्मे बच्चे को भी प्रभावित करेगा। गर्भावस्था के हर चरण के दौरान सही और स्वस्थ भोजन करना महत्वपूर्ण है। आप अपने और अपने बच्चे की भलाई के लिए खा रहे हैं, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप केवल स्वास्थ्यप्रद और सबसे अधिक पौष्टिक आहार खाएं। यह आपके बच्चे को ठीक से विकसित होने और बढ़ने में मदद करेगा। अच्छी तरह से भोजन करना यह भी सुनिश्चित करेगा कि जब आप जन्म का समय हो तो आप मजबूत हों। गर्भवती होने के दौरान खुद की अच्छी देखभाल करना महत्वपूर्ण है। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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गर्भावस्था में वजन बढ़ना
यह टूल विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए तैयार किया गया है, जो यह जानना चाहती हैं कि गर्भावस्था के दौरान उनका स्वस्थ रूप से कितना वजन बढ़ना चाहिए, साथ ही उनके वजन के अनुरूप प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वजन होना उचित है।
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