क्या पीरियड से पहले पेट में दर्द होना नॉर्मल है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

पीरियड से पहले पेट में दर्द क्यों होता है
लड़कियों को पीरियड्स के दो दिन पहले से ही यह समस्या शुरु हो जाती है, जो अच्छा संकेत नहीं है । पीरियड्स से पहले और पीरियड्स के दौरान महसूस होने वाले इस दर्द को डिसमेनोरियल कहते हैं परंतु 90 प्रतिशत महिलाओं को यह समस्या यूट्रस में ऐंठन की वजह से होती है ।

आमतौर पर पीरियड्स के दौरान पीड़ा की वजह क्या होती है?
माहवारी के दौरान दर्द व पीड़ा होना आम है। हर महीने पीरियड्स के समय दर्द इसलिए होता है क्योंकि इस समय आपका गर्भाशय अपना निश्चित कार्य कर रहा होता है। वह अपनी परत को हटा रहा है ताकि आपके अगले माहवारी चक्र के लिए तैयार हो सके।

पीरियड्स के दौरान गर्भाशय की मांसपेशीय दीवार में संकुचन होता है जिससे इसकी परत झड़ने लगती है और छोटी रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध कर देती है। यह आपके मस्तिष्क को पीड़ा के संदेश भेजता है। इसी समय आपका शरीर प्रोस्टाग्लैंडिन्स हॉर्मोन भी जारी करता है, ताकि आपका गर्भाशय और ज्यादा संकुचित हो, इसलिए आपको ज्यादा पीड़ा होती है।

कष्टदायी माहवारी को अंग्रेजी में प्राइमरी डिस्मैनोरिया के नाम से भी जाना जाता है।
क्या कष्टकारक माहवारी का मेरी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस वजह से दर्द हो रहा है। अगर यदि आपको पीरियड्स के दौरान पहले दर्द नहीं होता था, मगर अब बहुत पीड़ा होती है, तो इसकी वजह कुछ और भी हो सकती है। इसे अंग्रेजी में सैकंडरी डिसमैनोरिया कहा जाता है।

सैकंडरी डिसमैनोरिया, प्राइमरी डिसमैनोरिया की तुलना में काफी कम होता है। साथ ही, 30 से 45 साल की उम्र में इसके होने की संभावना ज्यादा होती है।

चाहे आपके सैकंडरी डिसमैनोरिया की वजह कुछ भी हो, इसका असर आपकी प्रजनन क्षमता पर पड़ सकता है। कुछ स्थितियां आपकी डिंबवाही नलिकाओं (फैलोपियन ट्यूब) को क्षतिग्रस्त कर सकती हैं, जैसे कि:

एंडोमेट्रिओसिस: यह तब होता है जब गर्भाशय की परत के जैसे ऊत्तक गर्भ के बाहर बढ़ने लगते हैं और हर महीने इनमें से खून बहने लगता है। इसकी वजह से आपको लगातार दर्द हो सकता है या फिर दर्द आता-जाता रह सकता है। और यह दर्द पीरियड शुरु होने से पहले बहुत ही कष्टदायी होता है। आपको संभोग करते समय भी गहरा दर्द महसूस हो सकता है।
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी): ऐसा आपकी श्रोणी में लंबे समय तक इनफेक्शन जैसे कि क्लामाइडिया आदि रहने की वजह से हो सकता है। आपको अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे कि संभोग करते समय दर्द और असामान्य योनिस्त्राव।

एंडोमेट्रिओसिस और पीआईडी की वजह से आपकी फैलोपियन ट्यूब में घाव और ऊत्तकों का जमाव हो सकता है। इससे आपके पति के शुक्राणु का डिंब तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है।

सैकंडरी डिसमैनोरिया से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य स्थितियां जो आपके गर्भाशय पर असर डालती हैं, वे हैं:

फाइब्रॉइड्स। ये आपके गर्भाशय के अंदर, इसके ऊपर या गर्भाशय की दीवार से बाहर निकलती हुई बढ़त होती है, मगर ये कैंसरकारक नहीं है। इनकी वजह से अक्सर दर्द और बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होता है।
एडीनोमायोसिस: इसमें आपके गर्भाशय की परत गर्भाशय की दीवार में बढ़ने लगती है। इसकी वजह से दर्द और भारी रक्तस्त्राव हो सकता है। यह स्थिति एंडोमेट्रिओसिस से जुड़ी होती है और यदि आपका पहले से एक बच्चा है तो यह होने की संभावना ज्यादा होती है।
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी)

इंट्रायूटेरीन डिवाइस (आईयूडी), जिसे गर्भनिरोधक कॉइल भी कहा जाता है, लगवाने के बाद भी कई बार माहवारी के जैसा दर्द हो सकता है। मगर, यह दर्द आमतौर पर अस्थाई होता है और शुरुआती कुछ महीनों बाद यह ठीक हो जाना चाहिए। यदि आप बाद में गर्भधारण करना चाहें तो आईयूडी से आपकी प्रजनन क्षमता पर किसी भी तरह का कोई असर पड़ना नहीं चाहिए।

यदि आप माहवारी के दौरान अत्याधिक दर्द को लेकर चिंतित हैं, तो डॉक्टर से बात करें। वे आपको आगे जांच व उपचार के लिए किसी विशेषज्ञ के पास भेज सकती हैं।
माहवारी के दर्द में क्या सामान्य होता है?
यह कह पाना वास्तव में मुश्किल है कि सामान्य क्या है, क्योंकि पीरियड्स के दर्द में बहुत से विस्तृत लक्षण शामिल होते हैं। हालांकि, यदि आपको अपने सामान्य माहवारी में कुछ उल्लेखनीय बदलाव लगें, जैसे कि गुदा में दर्द या एक माहवारी से दूसरी माहवारी के बीच में रक्तस्त्राव, तो अपनी डॉक्टर को दिखाएं।

साथ ही यदि आपके मासिक धर्म में इतनी ज्यादा पीड़ा हो कि आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर होने लगे, तो भी इस बारे में डॉक्टर से बात करें।

आमतौर पर माहवारी का दर्द रक्तस्त्राव शुरु होने से ठीक पहले होने लगता है और यह तीन दिन तक जारी रह सकता है। आपको निम्नांकित कुछ या सभी लक्षण महसूस हो सकते हैं:

अत्याधिक थकान व पस्त और अस्वस्थ सा महसूस करना
दर्द के साथ मरोड़ भी होना या लगातार दर्द बना रहना या फिर मरोड़ भरा दर्द लगातार बने रहना। और सबसे ज्यादा रक्तस्त्राव के दौरान दर्द आमतौर पर अधिक बढ़ जाना।
पेट, पीठ के निचले हिस्से और जांघों में अंदर की तरफ दर्द
योनि में दर्द
सिरदर्द, दस्त (डायरिया) और मिचली
बेहोशी या चक्कर महसूस होना

पीरियड्स की पीड़ा को मैं कैसे कम कर सकती हूं?
यदि आपको माहवारी के दौरान बहुत कष्ट होता है, तो हर महीने पीरियड्स शुरु होने को लेकर आपके मन में डर और चिंता हो सकती है। हालांकि आप सेहत में सुधार के लिए अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव कर सकती हैं। ये आपको दर्द से राहत दिलाने में भी मदद कर सकते हैं।

तनाव आपकी पीड़ा को और कष्टदायी बना सकता है, इसलिए रिलैक्सेशन तकनीक आजमाएं। कोशिश करें कि जो काम आपको करने हैं, उनके बारे में आप ज्यादा न सोचें।
नियमित व्यायाम भी मदद कर सकते हैं। हर सप्ताह तीन बार 30-30 मिनट के व्यायाम, ब्रिस्क वॉक, स्विमिंग करें या साइकिल चलाएं। आपको जो विकल्प बेहतर लगे, वह चुनें।
धूम्रपान करने वाली महिलाओं में माहवारी का दर्द काफी आम है और और दूसरों की तुलना में उन्हें ज्यादा दर्द महसूस होता है।। इसलिए माहवारी के दर्द को कम करने के लिए बेहतर है आप धूम्रपान करना बंद कर दें, इससे आपको अन्य स्वास्थ्य फायदे भी होंगे।

जब पीड़ा बहुत ज्यादा हो, तो आराम करने की कोशिश करें। गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड को अपने पेट पर या पीठ के निचले हिस्से पर लगाएं।
क्या गर्भधारण के प्रयासों के दौरान मैं माहवारी के दर्द दूर करने के लिए दवा ले सकती हूं?
यदि आप गर्भधारण का प्रयास कर रही हैं, तो बेहतर है कि आप माहवारी की पीड़ा के लिए कोई दवा न लें। नॉन-स्टेरॉइडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) जैसे कि आईबुप्रोफेन दर्द से राहत देने में लाभकारी हैं। हालांकि, बहुत से डॉक्टर गर्भावस्था में एनएसएआईडी लेने की सलाह नहीं देते। बेहतर है कि आप जो भी दवा लेती हैं उसके बारे में गर्भधारण की योजना बनाने और इसके प्रयास करने से पहले डॉक्टर से बात कर लें।

ध्यान रखें कि हो सकता है आप अपने पीरियड्स आने का इंतजार कर रही हों, और आपको पता भी न हो कि आप पहले ही गर्भधारण कर चुकी हैं। गर्भावस्था के कुछ शुरुआती लक्षण जैसे कि स्तनों में संवेदनशीलता आदि माहवारी आने से पहले के लक्षणों के जैसे ही होते हैं। आपके गर्भवती हो जाने पर भी संभव है कि आपको अपने मासिक धर्म के समय थोड़ा रक्तस्त्राव हो।

इसलिए यदि आप गर्भधारण के प्रयास कर रही हैं, तो शायद आप पैरासिटामोल को ही दर्द निवारक के तौर पर लें। हालांकि, यह माहवारी की पीड़ा के लिए इतनी प्रभावी नहीं है, मगर यदि बहुत जरुरत लगे तो आप गर्भावस्था में शुरुआत में इसे ले सकती हैं।

कुछ महिलाएं मानती हैं कि ट्रांसक्युटेनियस इलैक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (टेन्स) पैच लगाने से पीरियड्स का दर्द कम होता है।

आप माहवारी की पीड़ा से राहत के लिए एक्यूपंक्चर या एक्यूप्रेशर भी आजमाकर देख सकती हैं। हालांकि, इस बात के कोई प्रबल प्रमाण नहीं हैं कि ये कारगर हैं।

कुछ महिलाएं मानती हैं कि अदरक पीरियड्स के कष्ट को कम करने में सहायक है। और भी कई हर्बल उपचार और आहार संबंधी अनुपूरक जैसे कि कैल्शियम, मैग्निशियम, थियामाइन और फिश आॅयल अनुपूरक फायदेमंद माने जाते हैं। हालांकि, इस बात के ठोस प्रमाण नहीं है कि ये वाकई में फायदेमंद हैं।

मगर कोई भी हर्बल उपचार लेने से पहले अपनी डॉक्टर से बात करें। सभी हर्बल औषधियां हमेशा सुरक्षित नहीं होती और कुछ का सेवन गर्भाधान के प्रयासों के दौरान सुरक्षित नहीं माना जाता।

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