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भारी भोजन न करें, खासकर कि देर रात। पेट एकदम भरा होने पर लेटने से आपको शायद नींद भी नहीं आएगी और सीने में जलन और ज्यादा बढ़ सकती है। इसकी बजाय, दिनभर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कुछ न कुछ खाती रहें। भोजन को पूरा समय लगाकर अच्छी तरह चबाकर खाएं।
गर्भावस्था में रात को एसिडिटी और अपचता क्यों होने लगी है?
यदि उरोस्थि (ब्रेस्टबोन) के नीचे की तरफ जलन व असहजता की वजह से आपकी नींद खराब हो रही है, तो ऐसा केवल आपके साथ नहीं हो रहा।
बहुत सी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सीने में जलन, अपचता व बदहजमी की शिकायत रहती है, खासकर कि दूसरी और तीसरी तिमाही में। ये असहजताएं सामान्यत: कोई नुकसान नहीं पहुंचाती, मगर यदि आप सोने की कोशिश कर रही हैं, तो आपको काफी परेशान कर सकती हैं।
सीने में जलन तब होती है जब पेट के प्राकृतिक अम्ल (एसिड) ऊपर गले की तरफ आ जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान आपका बढ़ता गर्भाशय पेट पर दबाव डालता है और अम्ल को ऊपर की तरफ ढकेलता है। साथ-साथ, हॉर्मोनल बदलावों की वजह से जो वैल्व अम्ल को आपके पेट में ही बनाए रखता है, वह शिथिल हो जाता है इसलिए ज्यादा अम्ल ऊपर आ सकता है।
जब हार्टबर्न होता है, तो आपको छाती या पेट में जलन का अहसास हो सकता है। अपचता के लक्षणों में डकार, फुलावट और असहजता सी होना शामिल है। दुर्भाग्यवश, पाचन समस्याएं गर्भावस्था में होने वाली मिचली की समस्या को और गंभीर बना सकती हैं।
आप शायद पाएं कि आगे कि तरफ झुकने या रात में लेटने पर ये लक्षण और ज्यादा बढ़ जाते हैं। इन अवस्था में एसिड के लिए ऊपर की तरफ आना आसान हो जाता है।
अच्छी बात यह है कि सीने में जलन और अपचता शिशु के जन्म के बाद ठीक हो जाती है। इस बीच, ऐसे बहुत से उपाय है, जिन्हें आजमाकर आप इन लक्षणों से कुछ राहत पा सकती हैं।
प्रेगनेंसी में रात के समय सीने में जलन (हार्टबर्न) से राहत के लिए क्या करुं?
एसिडिटी, हार्टबर्न या अपचता से बचने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। मगर आप कुछ उपाय अपना सकती हैं, जिनसे रात में इनकी वजह से शायद परेशान होना न पड़े। सबसे पहले तो आप ऐसे भोजन खाना बंद कर दें जो आपकी पाचन समस्याओं को बढ़ाते हैं। इनमे शामिल हैं:
वसायुक्त, तैलीय या मसालेदार भोजन
चॉकलेट
कॉफी
शराब
खट्टे फल (सिट्रस फ्रूट) या जूस भी सीने में जलन और एसिडिटी पैदा कर सकते हैं। ये अम्लीय (एसिडिक) होते हैं, मगर ऐसे बहुत से अन्य फल हैं, जिन्हें आप आजमा सकती हैं। आम, तरबूज, खरबूजा, खुबानी, आड़ू और नाशपाती सिट्रस फलों की तुलना में कम एसिडिक होते हैं।
यदि आप धूम्रपान करती हैं, तो इसे बंद कर दें। यदि आपके पति या सहकर्मी धूम्रपान करते हैं, तो उस समय उनसे दूर रहें। धूम्रपान से आपके शिशु को नुकसान पहुंच सकता है, और इससे पाचन में भी कोई मदद नहीं मिलती। जब आप धूम्रपान करती हैं, तो इसके साथ अंदर जो कैमिकल जाते हैं वे पेट से भोजन नलिका को अलग करने वाली मांसपेशियों को शिथिल बना देते हैं। इससे पेट का अम्ल आसानी से भोजन नलिका में वापिस पहुंच सकता है।
यहां हार्टबर्न और अपचता से बचने के कुछ सुझाव दिए गए हैं:
भारी भोजन न करें, खासकर कि देर रात। पेट एकदम भरा होने पर लेटने से आपको शायद नींद भी नहीं आएगी और सीने में जलन और ज्यादा बढ़ सकती है। इसकी बजाय, दिनभर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कुछ न कुछ खाती रहें। भोजन को पूरा समय लगाकर अच्छी तरह चबाकर खाएं।
सोने के समय के आसपास भोजन न करें। लेटने से करीब तीन घंटे पहले भोजन कर लें।
सोते समय कई तकियों के सहारे थोड़ा ऊंचा होकर सोएं। अर्धलेटी अवस्था में रहने से पेट के एसिड अपनी जगह पर ही बने रहते हैं।
हार्टबर्न होने पर एक गिलास दूध पीने से जलन से राहत मिल सकती है।
यदि आप वैकल्पिक थैरेपी आजमाना चाहें तो एक्यूपंक्चर आजमा सकती हैं। कुछ अध्ययन दर्शाते हैं कि एक्यूपंक्चर से गर्भावस्था में हार्टबर्न और अपचता से राहत मिल सकती है, जिससे आप रात में आराम की नींद ले सकती हैं। बहरहाल, इसके लिए आपको रजिस्टर्ड प्रैक्टिशनर की जरुरत होगी, जिन्हें गर्भवती महिलाओं के उपचार का अनुभव हो।
यदि आपको उपरोक्त उपायों से राहत न मिले तो डॉक्टर से एंटासिड या दवाई ले सकती हैं, जिसका सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित हो। यदि इनसे मदद न मिले तो डॉक्टर आपको कोई अलग दवा दे सकते हैं, जिससे लक्षणों से राहत मिले।
यदि हार्टबर्न बहुत ज्यादा हो और साथ में सिरदर्द, देखने में समस्या या चेहरे, हाथों या पैरों में अचानक सूजन जैसे लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। ये संभवतया एक खतरनाक स्थिति प्री-एक्लेमप्सिया का संकेत हो सकती है।
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