क्या संकुचन के दौरान बच्चा हिलता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 10:20

गर्भ में शिशु की हलचल कितनी बार महसूस होनी चाहिए?

इसकी कोई तय संख्या नहीं है कि आपको गर्भ में हर दिन शिशु की हलचल कितनी बार महसूस होनी चाहिए। हर शिशु अलग होता है और सभी शिशुओं की हलचलों का कोई सामान्य या एक जैसा तरीका नहीं होता। इसलिए जब तक शिशु की सामान्य हलचल में कोई कमी नहीं आती, तब तक अधिकांशत: चिंता की कोई बात नहीं होती।

यह ध्यान रखें कि शिशु की हलचल दिन में कई बार महसूस होनी चाहिए। महत्वपूर्ण यह है कि आप जानें कि आपके शिशु का हिलने-डुलने का सामान्य तरीका क्या है, ताकि यदि उसकी रोजमर्रा की आदतों में कुछ बदलाव दिखे तो आप इसे पहचान पाएं।

आपका शिशु हर समय हिलता-डुलना नहीं रहेगा। वह किसी समय सो रहा होगा और किसी समय वह काफी क्रियाशील व सक्रिय होगा। हो सकता है आप पाएं कि आपका शिशु दिन में निश्चित समय पर ज्यादा हिलता-डुलता है, जैसे कि दोपहर में या देर शाम को।

गर्भ में पल रहे शिशु की हलचलों को लेकर आपका चिंतित होना स्वाभाविक है। जब आप गर्भवती होती हैं, तो शिशु के हालचाल जानने का यह एकमात्र तरीका होता है। फिर भी, आप चाहे अपने शिशु की हलचल पर ​कितना भी ध्यान लगा लें, लेकिन किसी ना किसी समय आप काम में इतनी मसरूफ होंगी कि आपको शिशु की हलचलों का पता ही नहीं चलेगा।

आप जब आराम कर रही हों तो उस वक्त समय निकालकर शिशु की हलचल पर ध्यान लगाएं। हो सकता है आपके चलने-फिरने या क्रियाशील रहने पर शिशु भी हिल-डुल कर सो जाए और जब आप स्थिर बैठें तो वह जाग जाए। इसलिए, अगर आपको कुछ समय तक शिशु की कोई हरकत महसूस न हो, तो उसे हिलने-डुलने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास कर सकती हैं।

कुछ महिलाओं को मानना है कि एकदम ठंडा पेय पीने, कुछ मीठा खाने या तेज संगीत बजाने से शिशु की प्रतिक्रिया आ सकती है। वहीं, दूसरी तरफ कुछ का कहना है कि करवट लेकर लेटे रहना और शिशु की हलचल पर ध्यान देने से भी उसके हिलने-डुलने का पता चल सकता है।

आपका शिशु हर समय बढ़ रहा है। उसके माप के अनुसार उसकी हलचलों में परिवर्तन आएगा। मगर उसका हिलना-डुलना कम नहीं होना चाहिए।

दूसरी तिमाही की शुरुआत में
हालांकि, आपका शिशु नियमित तौर पर हिलना-डुलना और पैर चलाना जारी रखता है। मगर उसकी बहुत सी हलचल इतनी हल्की और क्षणिक होती है, कि इन्हें आसानी से चूका जा सकता है। शुरुआत में, पहचान में आने वाली हलचल काफी कम होंगी और काफी देर-देर में महसूस होंगी। हो सकता है किसी दिन आपको बहुत सारी हलचल महसूस हो और अगले दिन कोई हरकत न लगे।

दूसरी तिमाही के अंत में या तीसरी तिमाही की शुरुआत में
आपके शिशु का हिलना डुलना अब ज्यादा तेज और नियमित तौर पर होगा। उसकी हलचलों को अब आप आसानी से पहचान सकेंगी और शायद उसका हिलना-डुलना आपके पेट पर दिखाई देगा।

डिलीवरी की ड्यू डेट नजदीक आने पर
आपका शिशु बड़ा होता जाएगा और उसके पास गर्भ मे हिलने-डुलने की अधिक जगह नहीं होगी। वह काफी क्रियाशील रहेगा, मगर आप पाएंगी कि पहले आप जिस तरह की हलचल महसूस करती थीं, उनमें अब बदलाव महसूस होता है। अब शिशु उतनी ज्यादा बार उलट-पुलट नहीं करता और अब उसकी हलचलमुड़ने या करवट लेने जैसी लग सकती है। शिशु की हलचल धीमी मगर काफी प्रबल महसूस हो सकती है।

यदि आपको लगे कि शिशु सामान्य से कम हिल-डुल रहा है या उसकी हलचल में बदलाव लगे या फिर आप शिशु को लेकर चिंतित हों, तो तुरंत डॉक्टर को फोन करें। चाहे आधी रात का समय हो तो भी हिचकिचाए नहीं, अपनी अंतर्मन की आवाज पर भरोसा करें और गर्भस्थ शिशु की स्वास्थ्य जांच करवाएं।

आप शिशु की धड़कन सुनने के लिए कभी भी खुद हाथ से चलाने वाले डॉप्लर या फीटल मॉनिटरिंग एप का इस्‍तेमाल न करें। ये शिशु के स्वास्थ्य को लेकर गलत सूचना भी दे सकते हैं। बेहतर है कि डॉक्टर शिशु के दिल की धड़कन की जांच करें और देखें कि सभी ठीक-ठाक है या नहीं।

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