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शुरुआती हफ्तों में नवजात शिशुओं का बार-बार उल्टी करना सामान्य बात है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे अपने आहार के साथ में तालमेल बिठा रहे होते हैं और उनका शरीर विकसित हो रहा होता है।
चलती गाड़ी में यात्रा (कार सिकनेस) से लेकर अपच तक, सभी चीजें शिशु में उल्टी की वजह बन सकती हैं। यहां तक कि लंबे समय तक रोना और खांसना भी उल्टी का कारण हो सकता है। इसलिए आपको शिशु के शुरुआती सालों में काफी सारी उल्टी देखने को मिल सकती है।
आमतौर पर उल्टी का दौर आमतौर पर शुरुआत के 6 से 24 घंटों में हल्का पड़ जाता है। आपके शिशु को किसी विशेष उपचार की जरुरत नहीं होनी चाहिए, बस उसे पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं ताकि शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) न हो।
जब तक आपका शिशु स्वस्थ दिख रहा है और उसका वजन बढ़ रहा है, तब तक आमतौर पर चिंता करने के कोई जरुरत नहीं होती। हालांकि, अपने अंदर की आवाज पर विश्वास करें और यदि आपको लगे कि कुछ ठीक नहीं है तो डॉक्टर से बात करें।
कैसे पता चल सकता है कि शिशु केवल दूध उलट रहा है या उल्टी कर रहा है?
नए माता-पिता अक्सर यह अंतर नहीं कर पाते कि शिशु उल्टी कर रहा है या पिफर केवल थोड़ी-बहुत मात्रा में दूध उलट रहा है (पॉसेटिंग)। मगर इसकी पहचान के कुछ संकेत हैं।
दूध उलटना
जब आपका शिशु दूध उलटता है, तो यह बिना किसी प्रयास के बाहर आता है। इसके लिए शिशु थोड़ी-बहुत या कोई ताकत नहीं लगाता और इससे शिशु को कोई परेशानी नहीं होती या उसका पेट भी खराब नहीं होता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शिशु की भोजन नलिका और पेट के बीच की मांसपेशियां अभी विकसित हो रही होती हैं और सही से काम नहीं करती। इसकी वजह से कुछ अंश पेट से दोबारा गले तक आ जाते हैं।
पॉसेटिंग के दौरान फटा हुआ दूध बाहर निकालना काफी आम है।
दूध पीते हुए आपका शिशु हवा भी अंदर ले सकता है और जब यह हवा डकार के रूप में वापिस बाहर आती है तो इसके साथ कुछ तरल भी आ सकता है। शिशुओं में ऐसा होना सामान्य है और कोई चिंता की बात नहीं होती।
उल्टी करना
जब शिशु उल्टी करता है तो उसके पेट के अंदर मौजूद तत्व प्रबलता से बाहर आते हैं। उल्टी शिशु के लिए डराने वाला अनुभव हो सकता है, इसलिए वह रो भी सकता है।
साथ ही उल्टी की मात्रा भी आमतौर पर दूध उलटने से ज्यादा होती है। उल्टी अक्सर पतली होती है या इसमे श्लेम भी होता है। आपके शिशु को इसके साथ अन्य लक्षण जैसे कि बुखार, चिड़चिड़ापन भी हो सकता है।
चाहे दोनों में से कुछ भी हो, आप अपने शिशु के डॉक्टर से बात करें। यदि शिशु की उल्टी या दूध उलटने में आपको दूध, फॉर्मूला या श्लेम के अलावा कुछ और भी दिखाई दे तो डॉक्टर को दिखाना और भी जरुरी हो जाता है।
शिशु की उल्टी के बारे में मुझे कब चिंता करनी चाहिए?
आपके शिशु के पहले कुछेक महीनों में, स्तनपान करने की मामूली दिक्कतों के कारण उल्टी आती है, जैसे कि रिफ्लक्स या पेट जरुरत से ज्यादा भर गया है।
शुरुआती कुछ महीनों के बाद, अचानक उल्टी होने का कारण पेट में संक्रमण जैसे कि गैस्ट्रोएंटेराइटिस होना हो सकता है। इसमें उल्टी के साथ-साथ अक्सर दस्त (डायरिया) की शिकायत भी होती है।
आपके शिशु को नीचे दी गई स्थितियों में भी उल्टी हो सकती है:
सर्दी-जुकाम
मूत्र संक्रमण
शिशुओं और बच्चों में कान का इनफेक्शन
यदि शिशु कोई दवा या अनुपूरक ले रहा है, तो भी उसे उल्टी आ सकती है।
भोजन से एलर्जी होने पर भी उल्टी हो सकती है। यदि शिशु एलर्जी पैदा करने वाले भोजन का सेवन बंद कर दे, तो शायद उल्टी रुक सकती है। बहरहाल, शिशु के आहार से कोई भी खाद्य पदार्थ हटाने से पहले डॉक्टर से बात करें।
उल्टी होना कई बार शिशु की आंत में कीड़ों की मौजूदगी का भी संकेत हो सकता है। संभव है कि शिशु की खांसी या उल्टी में कीड़ा बाहर निकल आएं। शिशुओं के पेट में कीड़े होने के बारे में यहां विस्तार से पढ़ें।
कभी-कभार, उल्टी किसी और गंभीर बीमारी जैसे कि मैंनिंजाइटिस, दबा हुए हर्निया या निमोनिया का संकेत हो सकती है।
यदि आपको अपने बच्चे में निम्नलिखित कोई लक्षण दिखाई दे तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें:
मुंह सूखने, अंसूओं की कमी, धंसे हुए कलांतराल, सुस्त या ढीला-ढाला सा लगना और सामान्य की अपेक्षा कम गीली नैपियों (एक दिन में छह नैपियों से कम) सहित निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) के संकेत।
बुखार।
दस्त (डायरिया)।
स्तनपान करने या फॉर्मूला दूध पीने से मना करना।
12 घंटे से अधिक समय तक उल्टी करना, या अत्याधिक बल के साथ उल्टी करना।
ऐसा रैश (चकत्ता) जो त्वचा को दबाए जाने पर भी हल्का न पड़े।
उनींदापन और बहुत ज्यादा चिड़चिड़ापन।
उभरा हुआ कलांतराल।
श्वास की कमी।
पेट में फुलावट या सूजन।
मल में खून आना
उल्टी में खून या पित्त (गहरा पीला या हरा पदार्थ), (इस विषय में नीचे और पढ़ें)।
दूध पीने के आधे घंटे के अन्दर नवजात शिशु द्वारा लगातार बहुत बल के साथ उल्टी (इस विषय में नीचे और पढ़ें)।
वजन घटना या उचित वजन न बढ़ना
उल्टी में खून या पित्त आना
आमतौर पर यदि उल्टी से पहले आपका शिशु एकदम स्वस्थ था, तो चिंता की बात नहीं होती है। शिशु की उल्टी में खून आने का एक कारण यह हो सकता है कि जब आपका बच्चा बलपूर्वक उल्टी करता है, तो आहार नलिका (ग्रसनी) के भीतर की परत में मौजूद रक्त वाहिकाएं हल्की सी फट जाती हैं। आपके बच्चे की उल्टी में तब भी लाल खून हो सकता है जब वह अपने मुंह में किसी घाव से रक्त निगल गया हो या पिछले छह घंटे में उसकी नाक से खून आया हो।
बहरहाल, यदि आपके शिशु की उल्टी में लगातार खून आ रहा है या मात्रा में वृद्धि हो रही है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। यदि उल्टी में खून और पित्त हो, तो शायद डॉक्टर इसका नमूना देखना चाहेंगे। हालांकि उल्टी का नमूना लेना एक अरुचिकर काम हो सकता है, लेकिन फिर भी कुछ उल्टी को संभालकर रखने का प्रयास करें। आप डॉक्टर को दिखाने के लिए इसकी फोटो भी खींच सकती हैं।
उल्टी में हरा पित्त आने का मतलब हो सकता है कि आंते अवरुद्ध हैं, यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें तत्काल इलाज की आवश्यकता है।
दूध पीने के आधे घंटे में नवजात बलपूर्वक उल्टी करना
ऐसा पाइलोरिक स्टेनोसिस की वजह से हो सकता है। यह एक दुर्लभ अवस्था है, और शिशु जब कुछ ही हफ्तों का होता है तब इसके होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन उसके चार महीने का होने से पहले भी किसी भी समय यह समस्या दिखाई दे सकती है।
शिशु को यह स्थिति तब होती है जब पेट से आंत में जाने वाले वैल्व को नियंत्रित करने वाली मांसपेशी इतनी अधिक मोटी हो जाती है कि वह भोजन के गुजरने के लिए पूरी तरह से खुल नहीं पाती है। इसकी वजह से उसे उल्टी होती है।
उल्टी बहुत बल से बाहर आती है और उल्टी करने के बाद शिशु को बेहतर महसूस होता है और उसे फिर से भूख लगती है। डिहाइड्रेशन की वजह से उसका वजन घट सकता है और उल्टी की वजह से उसे पर्याप्त पोषण भी नहीं मिल रहा।
छोटा सा आॅपरेशन करके इस समस्या का समाधान किया जा सकता है मगर इस स्थिति में तुरंत चिकित्सकीय जांच की जरुरत होती है।
गलती से जहरीली चीज निगल लेना
यदि शिशु को कुछ विषैली चीज जैसे कोई दवा, पौधा या कैमिकल निगल लिया हो, तो उसे उल्टी हो सकती है। या फिर उसे दूषित भोजन या पानी से भोजन विषाक्तता हो सकती है। यदि आपको लगे कि शिशु ने कुछ जहरीली चीज निगल ली है, तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं। यदि आपको पता लग जाए कि शिशु ने क्या निगला है, उदाहरण के लिए यदि आपको दवा की खाली बोतल मिले तो उसे अपने साथ डॉक्टर को दिखाने के लिए ले जाएं।
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