क्या स्तन के दूध का उत्पादन नहीं करना संभव है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:26

स्तनदूध ज्यादा नहीं बन पा रहा। क्या यह चिंता का विषय है?

बहुत सी नई माँएं इस बात को लेकर चिंतित रहती हैं कि उनका शरीर पर्याप्त स्तनदूध नहीं बना पा रहा। अधिकांश माँओं के मामलों में यह बात सच नहीं होती। लगभग सभी महिलाएं अपने शिशु के लिए पर्याप्त स्तनदूध बनाने में सक्षम होती हैं।

फिर भी, स्तनदूध की कम आपूर्ति की चिंता एक सबसे आम कारण है जिसकी वजह से माँएं स्तनपान करवाना बंद करने का निर्णय लेती हैं। स्तनदूध की आपूर्ति को लेकर नई माँओं की कुछ आम निराधार चिंताएं नीचे दी गई हैं:

मेरे स्तन बहुत छोटे हैं। वास्तव में स्तनों के माप का स्तनदूध के उत्पादन की मात्रा से कोई लेना-देना नहीं हैं। बड़े स्तन होने का मतलब यह नहीं है कि उनमें ज्यादा दूध बनता है।

मेरा लेटडाउन रिफ्लेक्स अब इतना प्रबल नहीं है, और मेरे स्तन अब कम भरे हुए लगते हैं। यह केवल इस बात का संकेत है कि आपका शरीर शिशु की स्तनपान जरुरतों के अनुसार अच्छी तरह तालमेल बिठा रहा है।

मेरे निप्पलों में से दूध का रिसाव बंद हो गया है। यह भी तब होता है जब आपका शरीर शिशु के स्तनपान के तरीके के अनुसार ढल जाता है।

मेरे शिशु को सामान्य से अधिक दूध चाहिए। यह सामान्य ग्रोथ स्पर्ट हो सकता है।

मेरा शिशु अब कम समय के लिए स्तनपान करता है। कुछ शिशु स्तनपान में अधिक निपुण और तीव्र हो जाते हैं। इसलिए हो सकता है आपको लगे कि शिशु को भरपेट दूध नहीं मिल रहा, जबकि वह जल्दी-जल्दी दूध पीकर अपना पेट भर लेता है।

मेरा शिशु बहुत ज्यादा बाद नींद से जागता है। शिशुओं को विकास के लिए बार-बार स्तनपान करने की जरुरत होती है और रात में बार-बार उठना सामान्य है। आपके दूध की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए रात को दूध पिलाना जरुरी है।

मेरा शिशु दूध पीने के बाद सोता नहीं है। जैसे-जैसे आपका शिशु बड़ा और बलिष्ठ होता जाता है, तो हो सकता है उसके पास दूध पीने के बाद भी जगे और क्रियाशील रहने की ऊर्जा हो।

मेरा शिशु स्तनपान करने के बाद बोतल से दूध पी लेता है। शिशु को बोतल से दूध निकालने के लिए ज्यादा ताकत से चूसना नहीं पड़ता, क्योंकि निप्पल से दूध तेजी से व आसानी से आ जाता है। इसलिए वह भूखा न होने पर भी बोतल से दूध पी सकता है।

मैं अधिक दूध एक्सप्रेस नहीं कर पाती। हाथ से दूध निकालने या मशीन से पंप करने की तुलना में शिशु स्तन से अधिक दूध निकाल सकता है।

मेरा शिशु रोता है और चिड़चिड़ा रहता है। बहुत से शिशु दिन में कुछ समय चिड़चिड़े रहते हैं और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है।

कैसे पता चलेगा कि शिशु को पर्याप्त स्तन दूध मिल रहा है?
यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है शिशु की गीली और गंदी लंगोट या नैपी पर नजर रखना। यदि जन्म के पहले सप्ताह के बाद निम्नांकित संकेत दिखें, तो मतलब है कि शिशु ठीक है:

वह दिन में कम से कम छह नैपी गीली कर रहा है
दिन में दो बार नरम या पतला मलत्याग कर रहा है

शिशु आपको जता देगा कि उसका पेट भर रहा है या नहीं। यदि वह जागते समय स्वस्थ और सतर्क रहे तो मतलब वह ठीक-ठाक है। दूध आने पर आप शिशु की दूध गटकने की आवाज सुनें और देखें कि उसके गाल गोलाकार में हैं।

यदि जन्म के पहले सप्ताह के बाद शिशु का वजन बढ़ रहा है तो आप आश्वस्त हो सकती हैं कि उसे पर्याप्त दूध मिल रहा है।

जन्म के बाद पहले कुछ दिनों में नवजात शिशु का वजन घटना सामान्य है। स्तनपान करने वाले स्वस्थ शिशु का वजन पहले सप्ताह में आमतौर पर पांच से 10 प्रतिशत के बीच कम हो जाता है और उसके बाद बढ़ना शुरु होता है। जब तक वजन 10 प्रतिशत से अधिक कम न हो, तब तक डॉक्टर यही मानेंगे कि शिशु को पर्याप्त स्तनदूध मिल रहा है।

यदि जन्म के पांच से सात दिन के बीच शिशु का वजन लिया जाए, तो आप देख सकेंगी कि उसका वजन बढ़ने लगा है। शुरुआती दो हफ्तों के बाद शिशु का वजन निरंतर बढ़ना चाहिए।

कई बार जटिल प्रसव होने की वजह से भी स्तनों में दूध आने में थोड़ा समय लग जाता है। इसका मतलब है कि आपके शिशु को अपने जन्म वजन तक पहुंचने में अन्य शिशुओं की तुलना में अधिक समय लगेगा। यदि आप शिशु को उसकी इच्छानुसार दूध पिलाएंगी तो वह जल्द ही अपना जन्म वजन हासिल कर लेगा।
स्तन दूध की आपूर्ति कम होने की क्या वजह होती है?
आपके स्तन शिशु की जरुरत के अनुसार दूध का उत्पादन करते है। शिशु जितना ज्यादा दूध पीएगा, उतने ही ज्यादा दूध का उत्पादन होगा। इसलिए यदि आपके दूध की आपूर्ति अस्थाई तौर पर कम हो भी जाती है, तो इसका उपाय लगभग हमेशा निकाला जा सकता है। यदि आप शिशु को ज्यादा बार स्तनपान नहीं करवा रही, तो भी आपके दूध की आपूर्ति कम हो सकती है। शिशु को दूध न पिला पाने की शायद निम्न वजह हो सकती हैं:

आपके निप्पलों में दर्द है और स्तनपान करवाने में असहजता होती है।
आप शिशु को पैसिफायर या सूदर देती है या फिर फॉर्मूला दूध भी पिला रही हैं। इन चीजों के इस्तेमाल की वजह से शिशु 24 घंटों में स्तनों पर ज्यादा समय नहीं लगा रहता।
आप शिशु को तय समय के अनुसार दूध पिला रही हैं, न कि शिशु की इच्छानुसार।
आपका शिशु उनींदा रहता है और स्तनपान करवाने के लिए उसे जगाना पड़ता है।
आपको चिंता या अवसाद (डिप्रेशन) है। अपनी डॉक्टर से बात करें, वे इस बारे में आपको सहयोग दे सकती है।
आप या शिशु शायद बीमार है, इसलिए आपको उससे अलग रहना पड़ रहा है।

दूध की आपूर्ति कई बार चिकित्सकीय कारणों से भी घट सकती है। निम्नांकित स्थितियां होने पर आपकी डॉक्टर संभवतया आपको स्तनपान सलाहकार या विशेषज्ञ के पास भेजेंगी:

आपको हॉर्मोनों से जुड़ा विकार है, जैसे कि थायराइड स्थिति या ओवेरियन सिस्ट।
प्रसव के दौरान या बाद में आपका बहुत सारा खून बह गया।
अपरा का कुछ अंश अभी भी आपके गर्भाशय में है। जब तक यह निकल नहीं जाता तब तक आपके दूध की आपूर्ति पर असर रह सकता है।
आप कुछ ऐसी दवाएं ले रही हैं, जैसे कि संयुक्त गर्भनिरोधक गोली या डीकंजेस्टेंट के साथ-साथ सर्दी-जुकाम की दवा।
आपको मधुमेह (डायबिटीज) है। मधुमेह से पीड़ित बहुत सी माँएं पाती हैं कि उनका दूध थोड़ी देर से आना शुरु होता है। आप फिर भी शिशु को स्तनपान करवा सकती हैं। वास्तव में स्तनपान से आप दोनों को रक्त शर्करा के स्तरों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
आपका स्तन का आॅपरेशन हुआ है या स्तन की चोट रही है।
आपने स्तनों का माप बढ़वाने का आॅपरेशन (ब्रेस्ट एनहेंसमेंट) करवाया था जिसमें इम्प्लांट एरियोला के किनारे पर डाला गया था। इस तरह की सर्जरी में निप्पल की नसों में संवेदना नष्ट होने का खतरा रहता है। यदि ऐसा हो, तो स्तनदूध की सप्लाई प्रभावित हो सकती है।

बहरहाल, स्तनदूध की कम आपूर्ति के अधिकांश मामलों में मुख्य समस्या यह नहीं होती कि आपका कितना दूध बन रहा है, बल्कि मुद्दा यह होता है कि आपका शिशु कितना अधिक दूध निकाल पाने में सक्षम है।
शिशु को भरपेट दूध पीने के लिए प्रोत्साहित कैसे करुं?
शिशु के स्तनपान के संकेतों के बारे में सचेत रहना और उनके अनुसार प्रतिक्रिया करना जरुरी है। मगर, यह भी ध्यान रखें कि छोटे शिशुओं में अभी इतनी ताकत नहीं होती कि वे नींद से जागकर दूध पीने की मांग करें। यह बात तब और भी जरुरी हो जाती है, जब आपका शिशु समय से पहले जन्मा हो, वह कम जन्म वजन शिशु हो, उसे पीलिया हो या वह बीमार हो और इतना छोटा और उनींदा हो कि रो भी न पा रहा हो। वह अपनी ऊर्जा विकास और बीमारी से उबरने में लगा रहा है।

यदि आपका नवजात शिशु बहुत ज्यादा सोता हो, तो आपको उसे नींद से जगाना होगा और धीरे-धीरे उसे ज्यादा बार स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इस तरह आपके स्तनों को ज्यादा दूध का उत्पादन करने का संकेत मिलेगा।

जो नवजात शिशु लगातार तीन से चार घंटे सोते हैं, उनपर निगरानी रखने की जरुरत होती है ताकि सुनिश्चित हो सके कि उनका पर्याप्त वजन बढ़ रहा है।

यदि शिशु जाग न रहा हो या फिर सही से स्तनपान न कर रहा हो तो थोड़ा कोलोस्ट्रम या दूध एक्सप्रेस करके उसे देने का प्रयास करें। इससे शिशु को ऊर्जा व ताकत मिलेगी और साथ ही आपके दूध की आपूर्ति भी बनी रहेगी।

आप बोतल की बजाय पलड़ाई, कटोरी, कप, चम्मच या ड्रॉपर से शिशु को यह दूध पिला सकती हैं। ऐसा इसलिए ताकि आपका शिशु बोतल और स्तनपान के अलग-अलग तरीकों के बीच उलझ न जाए।

यदि आपका शिशु स्तनों को सही से मुंह में नहीं ले रहा है, तो उसे पर्याप्त दूध नहीं मिल सकेगा।

इस बारे में काफी विशेषज्ञ सहयोग उपलब्ध है। आपकी डॉक्टर स्तनपान विशेषज्ञ या लैक्टेशनल कंसल्टेंट के पास जाने की सलाह दे सकते हैं। या फिर वे आपसे किसी स्तनपान संस्था से संपर्क करने के लिए कह सकते हैं।
स्तन दूध की आपूर्ति बढ़ाने के लिए मैं क्या कर सकती हूं?
जब आप सुनिश्चित हों कि शिशु स्तन सही ढंग से मुंह में ले रहा है, तो आप निम्नांकित उपाय आजमा सकती हैं:

शिशु को अपने नजदीक थामे और त्वचा से त्वचा का संपर्क रखें। इससे दूध की आपूर्ति बढ़ाने वाले हॉर्मोनों को बढ़ावा मिलता है। समय निकालकर पूरी तरह स्तनपान पर ध्यान केंद्रित करना काफी मदद करता है।
शिशु जब भी चाहे उसे स्तनपान करवाएं। शिशु के भूखा होने के संकेतों को पहचानें जैसे कि चटकारे लेना और बार-बार अपना सिर आपकी तरफ घुमाना। शिशु दिन-रात जितनी बार चाहे और जितनी देर तक चाहे उसे स्तनपान करवाएं।
यदि आपके शिशु के भूख के संकेत बहुत हल्के या फिर न के बराबर हैं तो ऐसे शिशुओं को हर तीन घंटे में और कभी-कभी हर दो घंटे में स्तनपान करवाने की सलाह दी जाती है। फिर चाहे ​इसके लिए शिशु को गहरी नींद या झपकी से जगाना पड़े। इसे 'फीडिंग आॅन शेड्यूल' कहा जाता है।
शिशु को दूसरे स्तन से दूध पिलाना शुरु करने से पहले पहला स्तन उसे खुद छोड़ने दें।
शिशु को केवल स्तनदूध दें। शिशु को बोतल से फॉर्मूला दूध पिलाने का विकल्प आपको काफी सुविधाजनक लग सकता है। लेकिन, यदि आप शिशु की भूख को फॉर्मूला दूध से शांत करेंगी तो उसे कम स्तनदूध की जरुरत होगी और फिर आपके दूध का उत्पादन कम होगा।
शिशु को स्तनदूध से ही शांत कराएं और कोशिश करें कि शुरुआती कुछ हफ्तों में सूदर न दें। इस दौरान आप दोनों ही स्तनपान के लिए अभ्यस्त हो रहे होते हैं।
हर बार स्तनपान के बाद अपना दूध एक्सप्रेस करने का प्रयास करें। स्तनों में बचे हुए दूध को निकालने से अधिक दूध के उत्पादन में मदद मिलेगी।
ध्यान (मेडिटेशन) आदि रिलैक्सेशन तकनीक अजमाएं। यदि तनाव या नींद पूरी न होने से आपकी दूध की सप्लाई पर असर पड़ रहा है, तो आराम करने से आपको फायदा होगा।
स्वस्थ और संतुलित आहार स्तनदूध की आपूर्ति बढ़ाने में मददगार हो सकता है। कुछ ऐसे भोजन हैं जिन्हे स्तनदूध की आपूर्ति बढ़ाने के लिए जाना जाता है जैसे कि मेथी दाना, लहसुन, जई (ओट्स) और दलिया। स्तनपान करवाने वाली मांओं के लिए ऐसे पारंपरिक एकांतवास के भोजनों और पेयों के बारे में यहां पढ़ें।

क्या स्तन दूध की आपूर्ति कम होने का असर शिशु पर पड़ता है?
यदि आपके शिशु को दूध पीने के बाद भी अक्सर और ज्यादा दूध चाहिए होता है, तो शायद उसका विकास अपनी उम्र के अन्य शिशुओं की तुलना में धीमा रहेगा। इसे 'फेल्योर टू थ्राइव' यानि विकास में विफलता कहा जाता है।

यदि आपके शिशु का वजन नहीं बढ़ रहा या कम हो रहा है, तो डॉक्टर आपकी इसमें मदद करेंगे। आप शिशु को ज्यादा बाद स्तनपान करवाकर और अपनी स्तनपान की तकनीक में सुधार करके लगभग हमेशा ही इस समस्या का समधान ​कर सकती हैं।

यदि आपका दूध कम बन रहा है या फिर सभी तरीके असफल रहे हों तो आपकी डॉक्टर आपको दवाएं लेने की सलाह दे सकती हैं।

अधिक जानकारी या फिर दूध की आपूर्ति बढ़ाने के अन्य तरीकों के बारे में जानने के लिए अपनी डॉक्टर या स्तनपान सलाहकार से बात करें।

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