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ऐसा जरुरी नहीं है। स्तनपान के दौरान आप सीमित मात्रा में अपने सभी पसंदीदा खाद्य और पेय पदार्थ ले सकती हैं। मगर, हमेशा सेहतमंद व संतुलित आहार लेने का प्रयास करें, जिनमें पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ जैसे कि पानी, दूध, लस्सी या नींबू पानी, नारियल पानी या बिना शक्कर मिलाए फलों के रस शामिल हों।
आप जो भोजन खाती हैं, कई बार उनका स्वाद स्तनदूध में भी आ जाता है। वास्तव में ठोस आहार शुरु करने पर यह शिशु के लिए नए स्वादों को ग्रहण करना आसान बना सकता है।
हालांकि, कभी-कभार शिशु उनकी माँ द्वारा सेवन किए गए भोजन के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं। उनमें कॉलिक, गैस, चिड़चिड़ापन या अत्याधिक रोने जैसे लक्षण हो सकते हैं। कुछ भोजनों व पेयों, जैसे कि कैफीन, शराब या गाय के दूध का प्रोटीन आदि के अवशेष स्तनदूध में बने रह सकते हैं और इनकी वजह से कुछ शिशुओं को परेशानी हो सकती है। यहां जाने कि कैसे कुछ खाद्य पदार्थ स्तनपान करने वाले शिशुओं को प्रभावित कर सकते हैं।
डेयरी उत्पाद
कुछ शिशु गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन से प्रभावित होते हैं, जिससे कि नीचे दिए गए लक्षण हो सकते हैं:
पेट फूलना
त्वचा में खुजलाहट और लाल चकत्ते
आंखों, चेहरे या होंठों पर सूजन
सांस फूलना या खांसी होना
दस्त (डायरिया)
कब्ज
उल्टी या रिफ्लक्स
भूख कम लगना
एग्जिमा
शिशु के मल में बदलाव
सही विकास न होना
यदि आपको लगे कि आपके आहार में शामिल दूध या डेयरी उत्पाद से शिशु पर असर हो रहा है, तो शिशु के डॉक्टर से इस बारे में बात करें। आप दो से चार हफ्तों तक इनका सेवन बंद करके देख सकती हैं कि शिशु में कुछ सुधार आता है या नहीं।
आप आहार विशेषज्ञ से भी सलाह ले सकती हैं कि कौन से भोजनों में डेयरी उत्पाद शामिल होते हैं और कौन से भोजन आपको नहीं खाने चाहिए। वे आपको कैल्शियम अनुपूरक लेने की सलाह भी दे सकती हैं।
शिशुओं में अस्थाई तौर पर लैक्टोस असहिष्णुता विकसित होना भी काफी आम है, यह शायद पेट में गड़बड़ी होने की वजह से हो सकती है।
भोजन जिन्हें कॉलिक (उदरशूल) से जोड़ा जाता है
ऐसे पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं, जो यह बताते हों कि स्तनपान के दौरान आपके कुछ विशेष भोजनों के सेवन करने से शिशु में कॉलिक हो सकता है। मगर, कुछ खाद्य पदार्थों को गैस पैदा करने वाला माना जाता है, हालांकि इस बात के भी पक्के सबूत नहीं हैं। इन भोजनों में शामिल हैं:
क्रूसीफेरस सब्जियां, जैसे कि फूल गाभी, पत्ता गोभी, छोटी बंद गोभी, हरी गोभी, शतावरी या सूतमूली
प्याज
मसालेदार भोजन
दालें व बीन्स जैसे कि राजमा, सफेद राजमा, सेम फली और सोयाबीन
एक सप्ताह तक इन खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। यदि ऐसा करने पर शिशु के लक्षणों में सुधार लगे, तो आप शिशु के थोड़ा बड़ा होने तक इन भोजनों को अपने आहार से दूर रखने पर विचार कर सकती हैं। मगर, अपने खान-पान में बदलाव करने से पहले अपनी डॉक्टर से बात करें, वे आपको डायटिशियन से मिलने की सलाह दे सकती है। डायटिशियन आपको संतुलित आहार लेने में मदद करेंगी।
इन सबके बावजूद, ध्यान रखें कि कॉलिक से परेशान शिशु के लिए अक्सर बेहतर होता है कि उसे प्यार-दुलार और आराम दिया जाए व उसकी स्थिति में सुधार आने का इंतजार करें।
कैफीन
हम यह निश्चित तौर पर नहीं कर सकते कि स्तनपान करने वाले शिशुओं पर कैफीन का क्या असर होता है। हमारे देश में इस बारे में विशेष निर्देश नहीं हैं, मगर अमेरिका में प्रतिदिन 200 मि.ग्रा. कैफीन का सेवन सीमित माना जाता है।
यदि आप अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करती हैं, तो आपका शिशु चिड़चिड़ा हो सकता है और उसे नींद आने में परेशानी हो सकती है। मगर इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि सीमित मात्रा में थोड़ी सी कैफीन लेने से भी शिशु पर असर होता है।
इसलिए, यदि आपका शिशु असहज या बेचैन लगे या फिर उसे सोने में दिक्कत हो रही हो, तो आप कैफीन का सेवन बंद करके देख सकती हैं कि इससे कुछ असर होता है या नहीं। कैफीन हमारे खाने-पीने की बहुत सी चीजों में स्वाभाविक रूप से शामिल होता है, जैसे कि कॉफी, चाय और चॉकलेट। यह कुछ सॉफ्ट ड्रिंक्स और एनर्जी ड्रिंक्स में और सर्दी-जुकाम की कुछ दवाओं में भी पाया जाता है।
शराब
आप किसी भी तरह की शराब पीएं, वह आपके स्तनदूध के जरिये शिशु तक पहुंच जाती है।
नियमित तौर पर सीमित या अधिक मात्रा में शराब के सेवन से शिशु के विकास और आपकी स्तनदूध की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है। इसलिए मन की शांति के लिए, बेतहर है कि शिशु के शुरुआती तीन महीनों में आप शराब का सेवन न करें।
भोजन से एजर्ली
अगर आपके परिवार में एलर्जी का इतिहास रहा है, तो हो सकता है कि आप एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन को लेकर चिंतित हों, जैसे कि मूंगफली, सोया, अंडे, मछली, दूध, डेयरी उत्पाद और गेहूं।
यदि आपके शिशु में स्तनपान के बाद एलर्जी के लक्षण दिखाई दें जैसे कि एग्जिमा, चिड़चिड़ापन, नाक बंद होना या दस्त, तो हो सकता है कि आपने जिन भोजनों का सेवन किया था, वे स्तनदूध के जरिये शिशु के शरीर में पहुंचकर प्रतिक्रिया कर रहे हैं।
आमतौर पर यह जानने के लिए कि किस चीज से यह संवदेनशीलता पैदा हो रही है, खोज-बीन की जरुरत होती है। आपकी डॉक्टर आपको सलाह दे सकती है कि क्या किया जाना चाहिए।
अस्वास्थ्यकर वसायुक्त भोजन
घी से चूर भोजनों का सेवन सीमित करने का प्रयास करें और अधिक पौष्टिक स्नैक्स को चुने, जैसे कि
फल
भाप में पकाई गई सब्जियां
संपूर्ण अनाज से बनी ब्रेड के सैंडविच
हरी पत्तेदार सब्जियों, अंकुरित दलहन या उबले या बेक किए गए आलू की या फिर चिकन की भरवां रोटी
सूखे मेवे
गर्भावस्था में लिस्टिरिओसिस के खतरे के कारण जो खाद्य पदार्थ आप नहीं खा सकती थीं, वे अब खा सकती हैं, जैसे कि मुलायम चीज़, कलेजी के व्यंजन आदि। हालांकि, लिस्टीरिया स्तन दूध में पाया गया है, मगर इस कीटाणु का माँ के दूध के जरिये शिशु में स्थानांतरित होना अत्याधिक असामान्य बात है।
इन सबके बावजूद, अपने आहार में कोई भी परिवर्तन करने से पहले शिशु के डॉक्टर से बात करें। यदि किसी भोजन का सेवन बंद करने से पौष्टिकता का असंतुलन बनता है (उदाहरण के तौर पर यदि आप सभी डेयरी उत्पाद बंद कर दें) तो आपको आहार विशेषज्ञ की सलाह लेनी पड़ सकती है। वे आपको इनके बदले अन्य भोजनों के विकल्प बता सकती हैं या फिर पौष्टिक अनुपूरक लेने की सलाह दे सकती हैं। डॉक्टर द्वारा बताए गए विटामिन और अनुपूरकों का सेवन जारी रखें, ताकि आहार में हो रही किसी तरह की कमी को पूरा किया जा सके।
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