क्या स्तनपान करने वाले बच्चे ज्यादा खा सकते हैं?pregnancytips.in

Posted on Mon 17th Oct 2022 : 11:35

बच्चे को स्तनपान कराने के तरीके

अगर आप पहली बार मां बनी हैं, तो संभव है कि आपके लिए शिशु को स्तनपान कराना मुश्किल हो रहा होगा। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। इस दौरान नई मां से अनजाने में कुछ गलतियां भी हो सकती हैं। हो सकता है कि आपके मन में स्तनपान से जुड़े कई सवाल होंगे, जिनके जवाब तलाशने का आप प्रयास कर रही होंगी। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपके ऐसे ही कुछ खास सवालों के जवाब लेकर आए हैं। हम आपको बताएंगे कि स्तनपान के दौरान मां को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही देंगे कुछ जरूरी टिप्स।
क्या यह सच है कि मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम है?

वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार छह माह तक के शिशु के लिए मां का दूध ही सबसे बेहतर होता है। इसे शिशु के लिए संपूर्ण आहार माना गया है। इसमें करीब 400 तरह के पोषक तत्व होते हैं। मां के दूध में हार्मोन और रोग से लड़ने वाले यौगिक (कंपाउंड) शामिल होते हैं, जो फॉर्मूला दूध में नहीं होते हैं (1)।

अगर आप यह सोच रहे हैं कि शिशु को दूध पिलाना कब से शुरू किया जाए, तो उसका जवाब हम यहां दे रहे हैं।
स्तनपान शुरू करने का सही समय क्या है?

डिलीवरी नॉर्मल और सीजेरियन दो तरह से होती है। यहां हम दोनों अवस्थाओं के बारे में ही बता रहे हैं कि शिशु को स्तनपान कब से कराया जा सकता है (2) :
1. नॉर्मल डिलीवरी

नॉर्मल डिलीवरी में जन्म के बाद पहले घंटे के भीतर ही शिशु को स्तनपान करवाया जा सकता है।
2. सीजेरियन डिलीवरी

सीजेरियन डिलीवरी में महिला के होश में आने के बाद और उसके कुछ हद तक स्थिर होने के बाद स्तनपान शुरू कराया जाता है। शुरू के कुछ दिन अस्पताल में मौजूद नर्स इस काम में मां की मदद करती हैं।

आगे हम बता रहे हैं कि मां और शिशु दोनों के लिए स्तनपान क्यों जरूरी है।
मां को स्तनपान के लाभ

यह तो सही है कि शिशु के लिए स्तनपान सही है, लेकिन यह नई मां के लिए भी लाभकारी है (3):

जो माताएं अपने शिशु को स्तनपान कराती हैं, वह जल्दी स्वस्थ हो सकती हैं।

स्तनपान के दौरान निकलने वाले हार्मोन से गर्भाशय अपने नियमित आकार में आ सकता है।

प्रसव के बाद गर्भाशय से होने वाली ब्लीडिंग भी कम हो सकती है।

अध्ययन के अनुसार, स्तनपान से स्तन और ओवरियन कैंसर (अंडाशय का कैंसर) की आशंका कम हो जाती है।

स्तनपान से टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और ज्यादा कोलेस्ट्रॉल की समस्या कम हो सकती है।

इससे मां और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होता है और डिलीवरी के बाद किसी भी तरह का तनाव नहीं होता है।

स्तनपान कराने वाली मां को अपना वजन बढ़ाने या घटाने में मदद मिलती है।

स्तनपान करना बेहद आसान है। फॉर्मूला दूध की तरह इसे बनाने या फिर बोतल धोने की जरूरत नहीं होती।

शिशु को जब भी भूख लगती है, आप उसे कहीं भी तुरंत दूध पिला सकती हैं।

बच्चे को स्तनपान के लाभ

शिशु के लिए स्तनपान हर लिहाज से बेहतर है। जिन शिशुओं को जन्म से स्तनपान कराया जाता है, उनके पहले वर्ष में बीमार होने की आशंका कम हो जाती है। स्तनपान से शिशु को निम्न प्रकार के लाभ हो सकते हैं (3) :

मां के दूध में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं और इसे पचाना शिशु के लिए आसान होता है।

शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, जिस कारण आंत्रशोथ, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, कान में संक्रमण, मोटापा, एक्जिमा व डायरिया जैसी बीमारियों से बचाव होता है।

स्तनपान से शिशु विभिन्न तरह के संक्रमण खासकर आंतों व फेफड़ों के संक्रमण से बचा रहता है।

मां के दूध में पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जो शिशु के मस्तिष्क विकास के लिए जरूरी है।

स्तनपान से शिशु को जरूरी बैक्टीरिया मिलते हैं, जो शिशु के पाचन तंत्र में आने वाली सूजन, दर्द या जलन से बचाते हैं।

जो शिशु शुरुआती छह महीने तक स्तनपान करते हैं, उनके बीमार होने पर जल्द ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है।

मां जो कुछ भी खाती है, उससे मां के दूध का स्वाद बदल जाता है। इस कारण से शिशु को अलग-अलग स्वाद की आदत शुरू से ही पड़ जाती है। इसका फायदा यह होता है कि छह माह बाद जब शिशु को ठोस आहार देना शुरू किया जाता है, तो उसे खिलाना आसान हो जाता है।

आइए, अब यह जान लेते हैं कि शिशु को स्तनपान कराने की क्या-क्या मुद्राएं होती हैं।
स्तनपान कराने की सही अवस्था

शिशु को स्तनपान करवाने के कई तरीके होते हैं। आप सभी तरह की मुद्राओं को आजमा कर देखें। फिर उस मुद्रा को चुनें, जो आपके व आपके शिशु के लिए आरामदायक हो। आप स्तनपान के लिए तकिये की मदद भी ले सकती हैं। यहां हम कुछ ऐसी ही मुद्राओं के बारे में बता रहे हैं (4) :
1. क्रैडल होल्ड
इस पॉजिशन में आप कुर्सी या पलंग पर सहारा लेकर बैठ सकती हैं। आप शिशु को जिस तरफ से दूध पिलाए, उसी तरफ के हाथ से शिशु के रीढ़, गर्दन और निचले हिस्से को सहारा दें। अगर आपको शिशु के नीचे तकिया रखना हो, तो वो भी रख सकती हैं। इसी तरह दूसरी तरफ से दूध पिलाते समय करें।
2. क्रास क्रैडल होल्ड
इस पॉजिशन में आप अपने शिशु को अगर दाईं तरफ से दूध पिला रही हैं, तो उसके सिर और शरीर को बाएं हाथ से सहारा दें। हाथ से उसकी गर्दन व सिर को पकड़ें और उसके मुंह को स्तन तक ले जाएं। इस मुद्रा में शिशु का मुंह निप्पल से नहीं हटेगा और आराम से दूध पी सकेगा। ध्यान रहे कि इस दौरान शिशु आराम से सांस ले सके। अगर आपका शिशु समय से पहले जन्मा है, तो यह पॉजिशन उसके लिए अच्छी है। ऐसा ही बाएं ओेर से स्तनपान कराते समय करें।
3. फुटबॉल होल्ड
फुटबॉल होल्ड की अवस्था कुछ-कुछ क्रैडल होल्ड जैसी है। आप शिशु के रीढ़, गर्दन और निचले हिस्से को सहारा दें और दूध पिलाते समय शिशु की पीठ के नीचे तकिया रखें। इस दौरान ध्यान दें कि शिशु की नाक स्तन से न दबे और वह सही तरह से सांस ले सके।
4. बगल में लेटाकर दूध पिलाना
इस पॉजिशन में आप शिशु को लेटकर दूध पीला सकती हैं। जिस तरफ करवट करके आप लेती होती हैं, उसी तरफ से दूध पिला सकती हैं। इस दौरान आप शिशु को सिर और पीठ पर भी सहारा दे सकती हैं।
5. रिक्लाइनिंग पॉजिशन

इसे बायोलॉजिकल नर्चरिंग भी कहते हैं। आप अपनी गर्दन, कंधे, हाथ और पीठ के पीछे तकिया लगाकर बैठ जाएं। इस पॉजिशन में आप आधी लेटी और बैठी अवस्था में होती हैं। अपने शिशु को अपने पेट का सहार देकर अपने ऊपर लेटाए और उसके सिर को स्तन तक ले आएं। अगर आपको बैठकर स्तनपान कराते हुए कमर में दर्द होता है, तो यह पॉजिशन सबसे बेहतर है।

आर्टिकल के इस हिस्से में हम स्तनपान से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां दे रहे हैं।
नई मां के लिए स्तनपान करवाने के जरूरी टिप्स

नई माताओं के लिए स्तनपान कराने से संबंधी कई महत्वपूर्ण टिप्स हैं, जो आपके काम आ सकते हैं। नीचे ऐसे ही कुछ टिप्स के बारे में बताया गया है (5) :
पहचानें बच्चा भूखा है या नहीं :

अगर शिशु अपना हाथ या आसपास का समान चाटने लगे।

अगर शिशु कुछ चूसने लगे, तो भी वह भूखा हो सकता है।

अगर शिशु आपके कंधे पर अपना सिर ऊपर नीचे करने लगे।

अगर शिशु जोर-जोर से रोए, तो यह भी भूखे होने का संकेत हो सकता है।

बच्चे को स्तनपान कराने के लिए लेटना या बैठना :

जब भी आप शिशु को दूध पिलाएं, तब आरामदायक स्थिति में रहें।

आप अपने बच्चे को ऐसी अवस्था में लेकर बैठें, जिससे आपके हाथों और पीठ में दर्द न हो।

आप तकिये से शिशु को सहारा दे सकती हैं।

अर्ध-लेटी अवस्था में शिशु को आराम से दूध पिलाने के लिए आपको पीठ के बल लेटना होगा। इस अवस्था में रहते हुए आप अपने हाथों से शिशु को सहारा दे सकती हैं।

शिशु को गोदी में लेकर भी दूध पिलाया जा सकता है। इस स्थिति में आप अपनी गोदी में तकिया रखकर उस पर शिशु को लेटा सकती हैं। ऐसे में शिशु आराम से दूध पी सकेगा।

शिशु मुंह से स्तनों को ठीक से पकड़े :

ध्यान दें कि शिशु के मुंह में निप्पल आराम से चले जाएं।

इससे शिशु आसानी से दूध पी सकेगा।

स्तनों को सपोर्ट करना :

अगर शिशु के दूध पीने पर आपको निप्पल में दर्द हो रहा हो, तो आप अपनी उंगली का सहारा ले सकती हैं।

इस तरह शिशु स्तन को सही प्रकार से थाम लेगा और आराम से दूध पी सकेगा।
शिशु के होंठ की पॉजिशन :

शिशु का मुंह मां के स्तन के पास होना चाहिए। इससे शिशु के होंठ की पॉजिशन सही से बन पाएगी और वह आराम से दूध पी सकेगा।

अगर आपको नहीं पता कि शिशु को कितना दूध पिलाना है, तो यह जानकारी आपके काम आएगी।
बच्चे को कब और कितना दूध पिलाना चाहिए?

शिशु को जन्म के बाद पहले चार हफ्तों में 24 घंटे में कम से कम 8-12 बार भूख लग सकती है। इस दौरान शिशु ज्यादा सोता है, इसलिए अगर वह सो भी रहा है, तो भी हर तीन घंटे में उसे उठाकर दूध पिलाना चाहिए। पहले उसे एक तरफ से स्तनपान करवाएं। जब वह दूध पीना बंद कर दे, तो दूसरी तरफ से दूध पिलाएं। अगर वह भूखा होगा, तो दूसरी तरफ से भी स्तनपान जरूर करेगा। अमूमन शिशु एक बार में करीब 20 से 45 मिनट तक दूध पी सकते हैं (6)।
कैसे पता करें कि आपका शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है?

किसी भी मां के लिए यह जानना बहुत मुश्किल होता है कि उसका शिशु भूखा है या नहीं। नीचे इससे जुड़ी कुछ जानकारियां दी जा रही हैं (7) :

नर्म स्तन : अगर शिशु को दूध पिलाने के बाद आपके स्तन नर्म लगें, तो इसका मतलब यह है कि शिशु ने पर्याप्त दूध पी लिया है।

शांत शिशु : स्तनपान के बाद अगर आपका शिशु शांत है, तो आप समझ जाएं कि उसका पेट भर चुका है।

डायपर : अगर स्तनपान करवाने के बाद शिशु एक दिन में कम से कम 6 बार डायपर गीला करता है, तो इसका मतलब यह है कि उसे पर्याप्त मात्रा में दूध मिल रहा है।

मल : जन्म के बाद शिशु एक दिन में करीब तीन बार मल त्याग करता है। वहीं, पांच-सात दिन का होते-होते उसके मल का रंग हल्का पीले रंग का हो जाता है। एक माह का होते-होते शिशु की मल त्यागने की प्रक्रिया कम हो जाती है और छह महीने का होने पर ठोस पदार्थ लेना शुरू करने पर फिर सामान्य हो जाती है।

वजन : अगर शिशु के चार महीने का होने तक हर हफ्ते करीब 200 ग्राम वजन बढ़ता है, तो इसका मतलब है कि उसे पर्याप्त दूध मिल रहा है।

कुछ महिलाओं को स्तनपान के दौरान विभिन्न तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
स्तनपान के दौरान महिलाओं को होने वाली परेशानी?

स्तनपान के दौरान महिलाओं को कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें से कुछ के बारे में हम यहां बता रहे हैं (8) :

स्तन में दर्द : कुछ महिलाओं को स्तनपान के दौरान स्तन में दर्द हो सकता है। अगर शिशु के दूध पीने के बाद आपको निप्पल में दर्द होता है, तो आप स्तनपान कराने की पॉजिशन बदल सकती हैं।

निप्पल फटना : स्तनपान के पहले हफ्ते में निप्पल फट सकते हैं। ऐसा हार्मोनल बदलाव, साबुन के इस्तेमाल या फिर मौसम में परिवर्तन के कारण हो सकता हैं। कुछ महिलाओं को स्तनपान के समय निप्पल से खून भी आ सकता है। हालांकि, इससे शिशु को नुकसान नहीं होता, लेकिन आप अपने निप्पलों का ध्यान रखें और उन पर दूध सूखने न दें।

मास्टिटिस : मास्टिटिस स्तनों में टिशू में होने वाली सूजन है। यह स्तनपान के पहले 6-12 सप्ताह के दौरान होती है। ऐसा आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है।

स्तनों में ज्यादा दूध : ऐसा शिशु के कम दूध पीने, शिशु का दूध पूरी तरह से न खींच पाने या फिर मां के ज्यादा सेहतमंद होने के कारण होता है। आप उंगली या अंगूठे की मदद से स्तनों को हल्का-हल्का दबाकर अतिरिक्त दूध निकाल सकते हैं। साथ ही ब्रेस्ट पंप का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

बच्चे का सो जाना : स्तनपान करते समय कुछ शिशु सो जाते हैं। ऐसे में शिशु को लगातार दूध पिलाना मुश्किल हो जाता है। इसका हल यह है कि आप थोड़ी-थोड़ी देर में स्तन बदल-बदलकर दूध पिलाएं। इस प्रक्रिया से शिशु आराम से दूध पिएगा और सोएगा भी नहीं।

स्तन में दूध न बनने की समस्या : कई महिलाएं इस बात से चिंतित रहती हैं कि उनके स्तन में दूध नहीं बन पाता। इसका कारण है शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी होना। संतुलित और पौष्टिक आहार खाने से स्तन में पर्याप्त मात्रा में दूध बन सकता है।

आगे हम कामकाजी महिलाओं के लिए जरूरी बातें बता रहे हैं।
कामकाजी महिलाएं कैसे अपने बच्चे को स्तनपान कराना जारी रख सकती हैं?

यहां हम कामकाजी महिलाओं के लिए स्तनपान कराने के जरूरी टिप्स दे रहे हैं (9) :

एक दिन में लगभग 2-3 बार पंप के जरिए अपने शिशु के लिए दूध इकट्ठा करके भेज सकती हैं। इसके लिए आप कुछ देर के लिए ऑफिस में कोई भी प्राइवेट रूम ले सकती हैं।

अगर आप शिशु को अपने साथ ऑफिस लेकर जा रही हैं, तो काम के बीच में से टाइम निकालकर उसे शांत वातावरण में दूध पिला सकती हैं।

क्या आप जानते हैं कि स्तनपान के लिए कुछ खास चीजों की जरूरत होती है। यहां हम उसी बारे में बता रहे हैं।
बेहतर स्तनपान अनुभव के लिए आवश्यक चीजों की सूची

कुछ चीजों की मदद से स्तनपान करवाना शिशु और आपके लिए सुखदायी हो सकता है। नीचे ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में बताया जा रहा है।

कम से कम दो नर्सिंग ब्रा खरीदें, जो आपके नाप की और आरामदायक होनी चाहिए।

नर्सिंग ब्रा में लगे फ्लैप पूरी तरह से खुलने वाले होने चाहिए। अगर यह पूरी तरह से नहीं खुलेंगे, तो स्तनों पर दबाव पड़ सकता है और नसों में रुकावट आने से मास्टिटिस की समस्या हो सकती है।

कभी-कभी स्तनों से रिसाव हो सकता है, इसलिए अपने पास हमेशा ब्रेस्ट पैड (डिस्पोजेबल) रखें।

रात में सोने के हिसाब से हल्की नर्सिंग ब्रा भी खरीदें, ताकि आप सोते समय उसमें ब्रेस्ट पैड लगाकर सो पाएं।

अगर आप अपने स्तनों से दूध निकालकर शिशु को पिलाना चाहती हैं, तो आपको ब्रेस्ट पंप खरीदना होगा।

स्तनपान के बारे में मिथक

स्तनपान के बारे में कुछ लोगों के मन में कई तरह के मिथक होते हैं। ये मिथक कितने सही हैं और कितने गलत हैं, यहां हम उसी के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

मिथक : अगर आप अपने सिर को धोने के बाद स्तनपान कराती हैं, तो शिशु को सर्दी-खांसी हो सकती है।
तथ्य : यह सोचना गलत है। सर्दी-खांसी सिर्फ संक्रमण के कारण होती है।

मिथक : स्तनों के आकार से शरीर में उत्पादित दूध की मात्रा पर फर्क पड़ता है।
तथ्य : मांसपेशियों (फैटी टिशू) की वजह से स्तन छोटे या बड़े होते हैं। इसका दूध की मात्रा पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

मिथक : स्तनपान कराने वाली मां को अधिक दूध का उत्पादन करने के लिए अधिक खाने की आवश्यकता होती है।
तथ्य : स्तनपान कराने वाली मां को अधिक दूध का उत्पादन करने के लिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरा खाना चाहिए। इससे मां न सिर्फ स्वस्थ रहेगी, बल्कि स्तनों में पर्याप्त दूध भी बन सकेगा।

मिथक : स्तनपान कराने वाली मां गर्भवती नहीं होगी।
तथ्य : बेशक, स्तनपान कराने वाली महिला में प्रजनन क्षमता कम होती है, लेकिन वह गर्भवती हो सकती है।

मिथक : स्तनपान कराने से स्तन शिथिल हो जाते हैं।
तथ्य : उम्र बढ़ने के साथ-साथ और शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का निर्माण कम होने से स्तन शिथिल होने लगते हैं।

मिथक: शिशुओं को स्तनपान के अलावा पानी की आवश्यकता होती है।
तथ्य: मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है, इसलिए छह माह तक स्तनपान के अलावा शिशु को किसी और चीज की आवश्यकता नहीं होती है।

मिथक : पर्याप्त दूध न मिलने के कारण नवजात रोता है।
तथ्य : अगर शिशु को तेज भूख लगती है, तो वह पर्याप्त दूध न मिलने पर रो सकता है। इसके अलावा, शिशु के रोने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे – शरीर में किसी प्रकार की असुविधा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या स्तनपान के दौरान शिशु को गाय का दूध पिलाना सही है?

नहीं, शिशु को 6 माह का होने तक मां के दूध के अलावा कुछ और नहीं देना चाहिए। गाय के दूध में फास्फोरस की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे शिशु को हाइपोकैल्सीमिया हो सकता है। इसलिए, एक वर्ष बाद ही शिशु को गाय का दूध देना चाहिए (10)।
क्या स्तनपान कराने वाली मां के लिए धूम्रपान करना, शराब पीना या दवाओं का सेवन करना सुरक्षित है?

अगर स्तनपान के दौरान मां धूम्रपान करती है, शराब पीती है या दवाइयों का सेवन करती है, तो इससे शिशु को नुकसान हो सकता है। इन चीजों का थोड़ा बहुत हिस्सा मां के दूध के साथ शिशु के अंदर चला जाता है (11)।
क्या शिशु को लेटकर दूध पिलाना सुरक्षित है?

हां, लेटकर शिशु को दूध पिलाया जा सकता है। इस मुद्रा के बारे में हमने ऊपर लेख में विस्तार से बताया है।
क्या सी-सेक्शन के तुरंत बाद मां अपने शिशु को दूध पिला सकती है?

सी-सेक्शन के बाद मां के पूरी तरह से होश में आने और स्थिर होने के बाद स्तनपान कराया जा सकता है।
क्या मैं सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान करवा सकती हूं?

सार्वजनिक जगहों पर भी आप अपने शिशु को दूध पीला सकती हैं। शिशु को जब भी भूख लगे, जहां भी भूख लगे, आपको उसे दूध पिलाने का पूर्ण अधिकार है।

उम्मीद है कि आपको स्तनपान से जुड़ी काफी जानकारी मिल गई होगी और आपको इसका फायदा होगा। अगर आप पहली बार मां बनी हैं, तो इस लेख में बताए गए स्तनपान के तरीकों को जरूर आजमाएं। यह आपके और आपके शिशु दोनों के लिए सुखदाय रहेगा। हम उम्मीद करते हैं कि आपको स्तनपान से जुड़े जरूरी सवालों के जवाब मिल गए होंगे।

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