गर्भ में बच्चों का बढ़ना क्यों बंद हो जाता है?pregnancytips.in

Posted on Thu 13th Oct 2022 : 12:02

गर्भ में नहीं बढ़ पा रहा शिशु तो क्‍या करें
जब नॉर्मल रेट पर गर्भ में पल रहे शिशु का विकास नहीं हो रहा होता है तो इस स्थिति को ग्रोथ रिटारडेशन या इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्‍शन (आईयूजीआर) कहा जाता है। इसमें बच्‍चा अपनी उम्र के बाकी शिशुओं के हिसाब से छोटा होता है। जिन बच्‍चों का जन्‍म फुल टर्म यानि नौ महीने के बाद होता है लेकिन उनका वजन सामान्‍य से कम होता है, तो इन शिशुओं के लिए भी इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्‍शन की टर्म इस्‍तेमाल की जाती है।

इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्‍शन के दो रूप होते हैं - सिमेट्रिकल और एसिमेट्रिकल। आईयूजीआर सिमेट्रिकल वाले शिशुओं का शरीर को नॉर्मल होता है लेकिन ये अपनी उम्र के शिशुओं से आकार में छोटे होते हैं।एसिमेट्रिकल आईयूजीआर में शिशु के सिर का आहार नॉर्मल होता है लेकिन शरीर नॉर्मल से ज्‍यादा छोटा होता है। अल्‍ट्रासाउंड में इन शिशुओं का सिर शरीर से बड़ा दिखाई देता है।इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्‍शन के लक्षण
कई महिलाओं को इस स्थिति के बारे में अल्‍ट्रासाउंड के दौरान ही डॉक्‍टर से पता चलता है। वहीं कुछ महिलाओं को डिलीवरी के बाद ही इसके बारे में पता चलता है। इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्‍शन में भ्रूण में आपको कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्‍शन वाले शिशुओं में निम्‍न समस्‍याओं का खतरा ज्‍यादा रहता है :

ऑक्‍सीजन लेवल कम होना
लो ब्‍लड शुगर
बहुत ज्‍यादा लाल रक्‍त कोशिकाएं बनना
शरीर का तापमान संतुलित न बने रहना
एपगार स्‍कोर लो होना
शिशु को दूध पिलाने में दिक्‍कत होना
नसों से संबंधी परेशानी होना

इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्‍शन का इलाज
कारण के आधार पर आईयूजीआर को ठीक किया जा सकता है। इलाज से पहले डॉक्‍टर शिशु को मॉनिटर करते हैं। शिशु के अंगों का विकास और नॉर्मल मूवमेंट देखने के लिए अल्‍ट्रासाउंड करवाया जाता है। हार्ट रेट चैक की जाती है और खून का प्रवाह देखने के लिए डॉप्‍लर फ्लो स्‍टडी की जाती है।

आईयूजीआर के कारण के तहत ही इलाज किया जाता है। इसका निम्‍न तरह से इलाज किया जा सकता है।
अपने भोजन में पोषक तत्‍वों की मात्रा बढ़ा दें जिससे शिशु को पर्याप्‍त पोषण मिल सके। अगर आप प्रेग्‍नेंसी में कम खाना खाती हैं तो इस वजह से शिशु पर्याप्‍त पोषण पाने से वंचित रह सकता है।
भ्रूण को स्‍वस्‍थ रखने के लिए मां को बेड रेस्‍ट यानि पूरी तरह से आराम करने की सलाह भी दी जा सकती है।
कुछ दुर्लभ मामलों में जल्‍दी डिलीवरी करवाने की भी जरूरत पड़ सकती है। इससे डॉक्‍टर आईयूजीआर से शिशु को कोई गंभीर नुकसान पहुंचने से पहले ही उसे गर्भ से बाहर निकाल लेते हैं।
जब गर्भ में शिशु का विकास पूरी तरह से रूक जाता है या कोई गंभीर मेडिकल समस्‍या आती है तो इस स्थिति में डिलीवरी के लिए लेबर पेन शुरू करवाया जाता है। आमतौर पर डॉक्‍टर भ्रूण में शिशु को जब तक हो सके विकास करने का समय देते हैं।

क्‍या आती हैं जटिलताएं
आईयूजीआर के गंभीर रूप लेने पर शिशु गर्भ में ही या डिलीवरी के दौरान मर सकता है। कम गंभीर मामलों में भी कुछ जटिलताएं आ सकती हैं। लो बर्थ वेट वाले शिशुओं में सीखने की क्षमता में कमी, मोटर स्किल्‍स और सोशल डेवलपमेंट में देरी और इंफेक्‍शन का खतरा बढ़ सकता है।

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