गर्भपात के बाद क्या समस्या आती है?pregnancytips.in

Posted on Fri 14th Oct 2022 : 13:35

गर्भपात के दुष्परिणाम (Side effects of miscarriage)

गर्भपात के बाद ब्लीडिंग होना (Excessive Bleeding)
गर्भपात के बाद कुछ महिलाओं को ब्लीडिंग की समस्या नहीं होती। वहीं, कुछ महिलाओं को गर्भपात के बाद दो से छह हफ्ते के आखिर तक ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।
मिसकैरिज (Miscarriage) के बाद होने वाली ब्लीडिंग स्पॉटी, डार्क ब्राउन और क्लॉट्स जैसे हो सकती है।
अक्सर गर्भपात के शुरुआती दिनों में महिलाओं को ब्लीडिंग (Bleeding) नहीं होती है। गर्भपात के तीसरे और चौथे दिन के आसपास महिलाओं की बॉडी में हार्मोन में बदलाव आते हैं, जिससे उन्हें ब्लीडिंग हो सकती है।
हैवी ब्लीडिंग होने की स्थिति में यूट्राइन मसाज (Uterine massage) इसके इलाज का विकल्प हो सकती है। इस स्थिति में चलना- फिरना कम करें।
तीन से ज्यादा घंटों तक हैवी ब्लीडिंग होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भपात के बाद इंफेक्शन (Infection After Miscarriage)
3% महिलाओं में मिसकैरेज के बाद इंफेक्शन (Infection) हो जाता है। ये इंफेक्शन गर्भाशय में गर्भाधान के बरकरार उत्पादों के कारण हो सकता है। यदि आपको लगता है कि आपको संक्रमण के लक्षण हैं, तो बिना देरी करें अपने डॉक्टर से संपर्क करें। संक्रमण के लक्षण निम्न हो सकते हैं:
दो हफ्ते से ज्यादा समय तक रक्तस्राव (Bleeding) और ऐंठन (Cramp) होना
ठंड लगना (Chills)
बुखार होना (Fever)
वजायना (Vagina) से बदबूदार डिसचार्ज होना

अलग तरह के डिस्चार्ज होना (Discharge)
गर्भपात के बाद ब्राउन से लेकर काले रंग का डिस्चार्ज हो सकता है।
यह डिस्चार्ज म्यूकस के जैसा भी हो सकता है।
डिस्चार्ज के साथ ईचिंग या दर्द होने या डिस्चार्ज के स्मैली होने या फिर इसके पस की तरह आने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भपात के दुष्परिणाम में दर्द और क्रैंप्स आना (Pain and Cramps)

मिसकैरिज के बाद यूटरस (Uterus) को अपने सामान्य आकार में लौटना जरूरी होता है। इस स्थिति में क्रैंप आना सामान्य बात है।
क्रैंपिंग कभी-कभी हो सकती है। यह मासिक धर्म के पहले दिन आने वाले क्रैंप की तरह हो सकते हैं।
ब्लीडिंग (Bleeding) और क्लॉटिंग (Clotting) के बढ़ने पर क्रैंप्स बढ़ सकते हैं। गर्भपात के बाद तीसरे और चौथे दिन क्रैंप्स की तीव्रता बढ़ सकती है।

गर्भपात के बाद हाॅर्मोन में बदलाव (Hormonal changes)
गर्भपात के बाद कुछ महिलाएं ज्यादा भावुक हो जाती हैं। प्रेग्नेंसी हार्मोन (Pregnancy hormone) में बदलाव आने के चलते ऐसा होता है। इसके अलावा, मिसकैरिज के अहसास को लेकर भी महिलाएं भावुक हो सकती हैं। कुछ मामलों में महिलाओं में भावुकता दोनों की मिली जुली प्रतिक्रिया होती है। संभवतः मिसकैरिज के बाद महिलाएं जल्द ही गर्भधारण कर लें या ना भी करें। यह डिसीजन उनके ऊपर ही छोड़ देना चाहिए।

गर्भपात के बाद डिप्रेशन (Depression)
गर्भपात के बाद कुछ महिलाएं अवसाद (Depression), गुस्से (Anger) और आत्मग्लानी (Guilty) की भावना में डूब जाती हैं। यह एक प्रकार का डिप्रेशन होता है। उन्हें खालीपन का अहसास हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला की बॉडी में ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन बनने लगता है, जिससे महिला को शिशु से जुड़ाव का अहसास होता है। गर्भधारण करने के कुछ ही समय के भीतर महिला की बॉडी में यह हॉर्मोन बनने लगता है। हालांकि, मिसकैरिज के बाद ऑक्सीटोसिन का हाई लेवल बना रहता है, जिससे महिला अपने शिशु की यादों में डूबी रह सकती है।

एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorders)
कुछ शोध के अनुसार, मिसकैरेज के बाद एंग्जायटी (Anxiety) और स्ट्रेस डिसऑर्डर (Stress disorder) होना डिप्रेशन से भी ज्यादा कॉमन है। यदि इससे ओवरकम न किया जाए तो ये मिसकैरेज के बाद होने वाले पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की स्थिति का कारण बन सकते हैं।

इनकंप्लीट मिसकैरिज (Incomplete Miscarriage)
इनकंप्लीट मिसकैरिज बहुत कॉमन है। इसका मतलब है प्रेग्नंसी के कुछ टिशू अभी भी यूट्रस में बरकरार हैं। मिसकैरेज के बाद ज्यादा समय तक रक्तस्राव या ऐंठन होना इनकंप्लीट मिसकैरेज का सबसे आम लक्षण है। कई बार इनकंप्लीट मिसकैरिज अपने आप ठीक हो जाता है वहीं कई बार डीएंडसी ( D&C) कराने की जरूरत होती है। इसमें गर्भ से गर्भाधान के सभी उत्पादों को साफ किया जाता है।

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