गर्भवती महिला की मसाज कैसे करें?pregnancytips.in

Posted on Thu 13th Oct 2022 : 15:58

गर्भावस्था में मालिश आम मालिश से किस तरह अलग है?
गर्भावस्था में मालिश करवाना नियमित मालिश की तरह ही है, लेकिन इसमें गर्भवती महिलाओं की जरूरतों और उनके बदलते शरीर के लिए अनुसार कुछ बदलाव किए जाते है।

नियमित मालिश की तरह, प्रसवपूर्व मालिश का उद्देश्य भी तनावग्रस्त मांसपेशियों को आराम पहुंचाना, रक्त परिसंचरण में मदद करना, पीड़ा और दर्द को कम करना और आपको स्वस्थ होने का अहसास दिलाना है।

गर्भावस्था से पहले, गर्भावस्था के दौरान और बाद में मालिश (विशेष रूप से जन्म के बाद पहले 40 दिनों के दौरान) करवाने की परंपरा हमारे देश में लंबे समय से चली आ रही है।

मालिश चिकित्सा प्राचीन काल से इस्तेमाल की जा रही है और इसे आयुर्वेदिक उपचार का एक हिस्सा माना जाता है। मालिशवाली, दाई या जापा बाई भारतीय घरों में नियमित सेवाएं देती थीं और अभी भी बहुत से घरों में ऐसा है।
क्या प्रेगनेंसी में मालिश करवाना सुरक्षित है?
कई पीढ़ियों से प्रचलित एक पारंपरिक प्रथा होने के बावजूद गर्भावस्था में मालिश के लिए मालिशवाली रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर है।

कई डॉक्टर पहली तिमाही में मालिश न करवाने की सलाह देती हैं, क्योंकि इस दौरान गर्भपात होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। हालांकि गर्भावस्था में मालिश करवाना अपने आप में गर्भपात का कारण नहीं बनता, मगर फिर भी इसके लिए पहले डॉक्टर की मंजूरी लेना बेहतर है।

हो सकता है आपको भी यह सही लगे, क्योंकि पहली तिमाही पूरी होने तक, अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में शायद आप किसी को बताना भी न चाह रही हों। अधिकांश मलिशवालियां भी पहली तिमाही के बाद ही मालिश शुरू करना पसंद करती हैं। आमतौर पर, गर्भावस्था में मालिश करने वाले स्पा या आयुर्वेदिक केंद्र भी आपको कम से कम 12 सप्ताह की गर्भवती होने तक कोई मालिश नहीं करवाने की सलाह देते हैं।

इसके अलावा, यदि कई अन्य गर्भवती महिलाओं की तरह आप भी मिचली से पीड़ित हैं, तो आप शायद मालिश या मालिश के तेल की गंध को सहन न कर पाएं।

इसके अलावा, प्रसवपूर्व मालिश कुछ स्थितियों में जोखिम भरी हो सकती है, जैसे कि:

आपकी त्वचा में ऐसी स्थिति है जो रगड़ने से और बढ़ सकती है। इनमें जलन, खुले घाव, त्वचा में संक्रमण या एक्जिमा शामिल हैं।
आपको मालिश के तेलों से एलर्जी हो चुकी है।
आपकी गर्भावस्था उच्च जोखिम वाली है।
आपकी नसों में खून का थक्का जमा है या हड्डी का फ्रैक्चर है।
आप किसी स्वास्थ्य स्थिति या जटिलताओं से पीड़ित हैं और डॉक्टर ने आपको मालिश न करवाने की सलाह दी है।

यदि आप संशय में हैं कि गर्भावस्था में मालिश करवाना आपके लिए सही रहेगा या नहीं, तो शुरु करने से पहले अपनी डॉक्टर से पूछ लें।
गर्भावस्था में मालिश करवाने के क्या फायदे हैं?
गर्भावस्था के दौरान मालिश के फायदों के बारे में बहुत कम शोध उपलब्ध हैं। इसलिए निश्चित लाभ के किसी भी दावे को प्रमाणित करना मुश्किल है।

हालांकि, अगर कुछ सुरक्षा सावधानियों को ध्यान में रखते हुए मालिश की जाए, तो यह गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करने वाले कई दर्द और पीड़ाओं को दूर करने में कारगर हो सकती है। गर्भ में पल रहे शिशु की वजह से आपके गुरुत्वाकर्षण का केंद्र बदल जाता है और आपके शरीर पर बहुत अधिक तनाव पड़ता है। ऐसे में गर्भावस्था में मालिश करवाना निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने का एक बेहतरीन तरीका हो सकता है:

टांग में ऐंठन और सूजन
पीठ के निचले हिस्से में दर्द
कंधों में अकड़न
कूल्हों में दर्द
अनिद्रा (इनसोमनिया)


गर्भावस्था के दौरान मालिश करवाना भी आपकी अच्छा अहसास करवाने और मूड में उतार-चढ़ाव, चिंता और तनाव से निपटने में मदद कर सकता है।

कई महिलाएं पाती हैं कि मालिश अवसाद (डिप्रेशन) को दूर करने में भी मदद करती है। यह आपकी मनोदशा बेहतर बना सकती है और शरीर में संचारित हो रहे अच्छा महसूस करवाने वाले और दर्द से राहत देने वाले एंडोर्फिन को बढ़ावा दे सकती है। इससे आप रिलैक्स्ड और तरोताजा महसूस करेंगी।

माना जाता है कि गर्भावस्था के अंतिम चरण में मालिश करवाने से आपको और गर्भस्थ शिशु को कई लाभ हो सकते हैं। इस बात के भी थोड़े प्रमाण हैं कि तीसरी तिमाही में नियमित मालिश से प्रसव पीड़ा कम करने में मदद मिल सकती है।

एक अध्ययन में यह भी बताया गया है कि यदि आपके पति आपकी मालिश करते हैं, तो इससे समय से पहले प्रसव और कम जन्म वजन शिशु होने की आशंका कम हो सकती है।

कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि गर्भावस्था के अंतिम कुछ हफ्तों (36 सप्ताह के बाद) के दौरान पेरिनियल मालिश से पेरिनियम क्षेत्र (योनि और गुदा के बीच का स्थान) में लचीलापन बढ़ता है। यह शिशु के जन्म के समय इस क्षेत्र में खिंचाव में मदद करता है और आपको शायद एपिसियोटमी से बचा सकता है।

पारंपरिक मालिशवाली और महिला मालिशवाली (नाण) या दाई आमतौर पर गर्भावस्था और प्रसव के दौरान इस तरह की मालिश करने में पारंगत होती हैं। वे आमतौर पर पेरिनियम और योनि की मालिश करने के लिए घी का उपयोग करती हैं।
गर्भावस्था में मालिश के लिए कौन से तेल इस्तेमाल कर सकते हैं?
हर किसी की अपनी पसंद होती है। मालिश के लिए आपको तेल, लोशन या क्रीम की आवश्यकता होती है जिससे चिकनाहट मिले और हाथ त्वचा पर अच्छी तरह चल सकें। साथ ही, कोई बुरी प्रतिक्रिया न हो।

अधिकांश पारंपरिक तेल जैसे नारियल तेल, तिल का तेल, बादाम का तेल, जैतून का तेल और सरसों का तेल गर्भावस्था के साथ-साथ प्रसवोत्तर मालिश के लिए भी लोकप्रिय विकल्प हैं।

विटामिन ई युक्त एक सौम्य मॉइस्चराइज़र भी बहुत अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह त्वचा की खुजलाहट को कम करने में भी मदद कर सकता है। या आप कुसुम तेल, जोजोबा तेल, अंगूर के बीज का तेल, खासतौर पर बच्चों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तेल भी आजमा सकती हैं। कई महिलाएं ऑर्गैनिक तेलों के विशेष मिश्रण से बने तेल इस्तेमाल करना पसंद करती हैं।

हालांकि, अगर आप एसेंशियल ऑयल से अरोमाथेरेपी मालिश की योजना बना रही हैं, तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। गर्भावस्था के दौरान कुछ एसेंशियल ऑयल हानिकारक हो सकते हैं। इनका चयन करने से पहले लेबल को ध्यान से पढ़ें।

गर्भावस्था में मालिश करवाते समय कौन सी अवस्था बेहतर रहती है?
गर्भावस्था की शुरुआत से ही, स्तनों में दर्द और सूजन की वजह से शायद पेट के बल लेटने में मुश्किल हो सकती है। और जब आपका पेट बढ़ने लगता है, तो आप पारंपरिक मसाज टेबल, पलंग या गद्दे पर पेट के बल नहीं लेट सकतीं।

कुछ स्पा पेट और स्तनों को समायोजित करने के लिए खोखले क्षेत्र वाली विशेष मेज या पैड और तकियों का इस्तेमाल करते हैं, ताकि आप मुंह नीचे की तरफ करके लेट सकें। हालांकि कई महिलाओं को इस तरह की मसाज टेबल से अक्सर पीठ के निचले हिस्से पर जोर पड़ता है।

दूसरी तिमाही के बाद, लंबे समय तक अपनी पीठ के बल सपाट लेटे न रहें। इससे आपको बेहोशी का अहसास हो सकता है और शिशु तक रक्त की आपूर्ति भी प्रभावित होती है।

आप तकिए के सहारे करवट लेकर (बाईं तरफ बेहतर है) लेट सकती हैं। बढ़े हुए पेट के नीचे, पीठ के पीछे, घुटनों के बीच लंबा बॉडी पिलो लगा सकती हैं।

एक और तरीका है कि आप बिस्तर पर सीधे बैठें, बहुत से तकियों के सहारे पीछे की और झुकें और टांगे सामने की तरफ सीधी कर लें। सहारे के लिए अपने घुटनों के नीचे कुछ कुशन या मोड़े हुए तौलिये रख लें, इससे आपको घुटने मोड़ने में भी आसानी रहेगी। मालिश के दौरान कुछ समय के लिए आप एक आरामदायक स्टूल पर बैठ सकती हैं या अपने बिस्तर के किनारे का सहारा लेकर घुटनों के बल बैठ सकती हैं।

ऐसी अवस्था चुनने की कोशिश करें जो आपके लिए सबसे आरामदायक हो जैसे कि बैठना, करवट लेकर लेटना या अर्ध-झुकना। यदि आपकी कोई विशेष संवेदनशील जगह है या आप किसी भी बिंदु पर असहज महसूस करना शुरू करें, तो अपनी मालिशवाली को बताएं।

एक प्रशिक्षित प्रसवपूर्व मलिशवाली या मसाज थेरेपिस्ट को पता होता है कि गर्भवती महिला को किन जगहों पर दर्द व सूजन हो सकती है और वे उनपर ध्यान देते हुए आपको राहत देने का प्रयास कर सकती हैं। वह यह भी जानती है कि कौन सी अवस्था सुरक्षित हैं और कौन सी तकनीक से व कौन सी जगह पर मालिश नहीं करनी है।

solved 5
wordpress 1 year ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info